■ देवेन्द्र गुप्ता
जनसेवक चाहे कितनी कोशिश कर ले , सभी को खुश नहीं कर पाता। कोई न कोई किसी न किसी बात को लेकर असंतुष्ट रहता ही है। यही वजह है कि किसी भी जन सेवक के लिए जनप्रिय बन पाना असंभव की हद तक कठिन कार्य हो जाता है। राजनीति जिसे काजल की काली कोठरी कहा जाता है में तो बिरले ही नेता होते हैं जो सफलता के साथ ही लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच पाते हैं और हरदिल अजीज़ कहलाते हैं। ऐसे ही बिरले जनप्रिय सेवकों में से एक हैं प्रदेश के जनप्रिय नेता रायपुर से निरंतर 7 बार के विधायक बृजमोहन अग्रवाल।
बृजमोहन अग्रवाल एक ऐसा नाम है जो किसी परिचय का मोहताज नहीं। उनका काम आज उन्हें उस मुकाम तक पहुंचा चूका है, जहां पहुँचने का सपना हर कोई संजोता है, लेकिन अपने सपनों को साकार कोई-कोई ही कर पाता है। वजह साफ़ है, इसके लिए दृढ़ इच्छा शक्ति, कर्मठता और सच्ची सेवा भावना जैसे सद्गुणों का होना आवश्यक है जो कि सभी में नहीं होता। आज से 64 वर्ष पूर्व रायपुर के प्रतिष्ठित व्यवसायिक परिवार में जन्मे बृजमोहन अग्रवाल ने किशोरावस्था में कदम रखते ही अपनी अलग राह चुनने का निर्णय ले लिया था। पैतृक व्यवसाय में रूचि न लेकर वे सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों में ज़्यादा सक्रिय दिखाई दिया करते थे। उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के माध्यम से छात्र राजनीति में पदार्पण किया। तभी उनके पिता श्री रामजी अग्रवाल समझ गए थे कि उनका पुत्र सेठ नहीं, जनता का सेवक बनेगा। मजदूर दिवस के दिन पैदा हुआ उनका यह बेटा जन सेवा के लिए दिन और रात एक मजदूर की तरह ही खटेगा। परिजनों ने भी उन्हें रोकने टोकने की कोशिश नहीं की बल्कि समय-समय पर प्रोत्साहित ही किया। नतीजतन राजनीति के क्षेत्र में बृजमोहन अग्रवाल ने देखते ही देखते अपनी ऐसी विशिष्ठ पहचान बनाई कि भाजपा ने 1990 में उन्हें रायपुर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया जो कि कांग्रेस का अभेद गढ़ था। पहली ही बार में बृजमोहन अग्रवाल ने किला फतह कर सबको चमत्कृत कर दिया। इसके बाद से आज तक लगातार चुनाव जीतकर वे नया इतिहास रच चुके हैं।
अविभाजित मध्यप्रदेश के समय में पटवा सरकार से लेकर छत्तीसगढ़ में रमन सरकार तक सभी महत्वपूर्ण विभागों की उन्होंने जिम्मेदारी संभाली और अपनी विशिष्ठ कार्यशैली से अनूठी छाप छोड़ी। भाजपा सरकार के दौरान डेढ़ दर्जन से ज्यादा विभागों का दायित्व संभालने का वृहद अनुभव उनके पास है।सत्ता और संगठन ने उन्हें जब-जब जो दायित्व सौंपा उनका उन्होंने पूरी कुशलता के साथ निर्वहन किया। भाजपा सरकार के दौरान खेल मंत्री के रूप में रायपुर में अन्तर्राष्ट्रीय स्टेडियम बनाना ,लोक निर्माण मंत्री के रूप में पूरे प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाना, पर्यटन मंत्री के रूप में छत्तीसगढ़ को अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन के नक्शे पर लाना और संस्कृति मंत्री के रूप में सिरपुर को विश्व धरोहर घोषित करना तथा राजिम कुंभ को देश के पांचवे कुंभ के रूप में प्रतिष्ठित करना और स्कूली शिक्षा मंत्री के रूप में शिक्षा क्रांति लाना, ये सब ऐसे काम थे जिसे लिए बृजमोहन अग्रवाल का नाम हमेशा याद रखा जाएगा। आज प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार नहीं है, परंतु बृजमोहन अग्रवाल लगातार सातवीं बार रायपुर (दक्षिण) से जीत दर्ज कर विधायक बने हुए हैं। वे पूरी शिद्दत के साथ विपक्ष का धर्म निभाते हुए प्रदेश की कांग्रेस सरकार से जनहित के मुद्दों पर लड़ाई लड़ रहे हैं। उनका निरंतर प्रयास जारी है कि भारतीय जनता पार्टी के बिखरे हुए वोटों को पुनः एकजुट किया जाए।
बृजमोहन अग्रवाल जितने उत्कृष्ट राजनीतिज्ञ हैं उससे भी अच्छे एक ऐसे इंसान हैं, जिनके लिए जनसेवा ही ईश्वर की सेवा है। एक पुरानी फिल्म का यह गीत “जीना तो है उसी का जिसने यह राज जाना है काम आदमी का औरों के काम आना “ बृजमोहन अग्रवाल के लिए लिखा गया लगता है। जनसेवा के प्रति ऐसा समर्पण ,ऐसी निष्ठा,और लगन किसी जनसेवक में इन पंक्तियों के लेखक ने आज तक नहीं देखी। बृजमोहन के बंगले पर सुबह से देर रात तक गरीब और जरूरतमंद लोगों का तांता लगा रहता है। ऐसा आज तक नहीं हुआ कि कभी कोई उनके पास से निराश लौटा हो। हर किसी की हरसंभव सहायता करना मानो उनका धर्म है। धार्मिक और सांस्कारिक परिवार में जन्म लेने की वजह से बृजमोहन अग्रवाल गीता प्रतिपादित निष्काम कर्म योग को आत्मसात किये हुए हैं। वे निःस्वार्थ भाव से अपना कर्म करते रहते हैं। जनहित और जन सेवा ही उनके लिए सर्वोपरि है। दरिद्र नारायण की सेवा ही उनके लिए ईश्वर की सेवा है। वे हर सामजिक समारोह में यही आह्वान करते हैं कि गरीब परिवार की शिक्षा और स्वास्थ के लिए काम करें और गरीब घर कि बेटियों के शादी- ब्याह के लिए सब मिलकर सहयोग करें। वे इस तरह का उपदेश देते ही नहीं बल्कि इस पर खुद भी अमल करते हैं। गरीबों की शिक्षा और और बीमारों के उपचार के लिए मुक्त हस्त से सहायता करने के साथ ही उन्होंने गरीब परिवारों की हजारों बेटियों की शादी करवाई है। उन्होंने राजनीति को सेवा का माध्यम बनाकर लाखों लोगों की दुआएं पाई हैं। यही वजह है कि हर साल उनके जन्म दिन पर उन्हें शुभकामनाएं देने उनके निवास पर जनसैलाब उमड़ पड़ता है। वे ऐसे निर्विवाद नेता हैं जिनका सोशल नेट वर्किंग साइट पर बड़ा फैन्स ग्रुप है,जो लगातार सक्रिय रहता है और उनके कार्यों की दलगत भावना से ऊपर उठकर प्रसंशा करता है। उनका परिवार आज भी संयुक्त परिवार है। उनके पुत्र भी अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए ‘अतिथि देवो भव’ की परंपरा का पालन कर रहे हैं। वैसे तो पूरा रायपुर शहर उनका परिवार है। वे अपना जन्म दिन ही नहीं बल्कि सभी त्यौहार अपने इस विशाल परिवार के बीच मनाते हैं।बृजमोहन अग्रवाल का मानना है जीवन में यदि कुछ काम आता है तो आपका व्यवहार और आत्मीय सम्बन्ध। अपनी इसी सोच की वजह से जनप्रिय जनसेवक बने बृजमोहन अग्रवाल को उनके 64 वें जन्म दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं…