■अनिरुद्ध दुबे
टिप्स फ़िल्म के कुमार तौरानी एवं प्रोड्यूसर अभिषेक दुधैया ने वेब सीरीज ‘सलवा जुडूम’ बनाने की घोषणा की है। जब नाम ‘सलवा जुडूम’ हो तो स्वाभाविक है कि छत्तीसगढ़ में इस शीर्षक को लेकर कौतुहल उपजेगा ही! छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर में ‘सलवा जुडूम’ की शुरुआत सन् 2005 में तत्कालीन डॉ. रमन सिंह सरकार ने की थी। इसके पीछे उद्देश्य यही बताया गया था कि भोले भाले आदिवासियों को नक्सल आतंकवाद से मुक्ति दिलाना। कितने ही गांव को खाली कराकर वहां के आदिवासियों को सलवा जुडूम केम्प में लाकर व्यवस्थापित किया गया था। तब छत्तीसगढ़ विधानसभा के तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष महेन्द्र कर्मा ने सलवा जुडूम अभियान का खुलकर समर्थन किया था जिसे लेकर उनकी काफ़ी आलोचना भी हुई थी। माना यही जाता है कि ‘सलवा जुडूम’ प्रयोग से नक्सलवाद कम नहीं हुआ बल्कि और विकराल रूप में सामने आते गया। झीरम घाटी, मदनवाड़ा एवं ताड़मेटला के नक्सली हमले इसका उदाहरण हैं। जब ‘सलवा जुडूम’ अभियान चलाने की घोषणा हुई थी तब पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने सवाल उठाया था कि “कोई समझा तो दे कि ये ‘सलवा जुडूम’ क्या है?” अजीत जोगी ने ‘सलवा जुडूम’ पर न सिर्फ़ संदेह जताया था बल्कि इसे काफ़ी हल्के तौर पर लिया था। उनके एक समर्थक ने तो रायपुर में ‘पिछड़ा जुडूम’ बनाने की घोषणा कर दी थी। जोगी जी अक्सर कहा करते थे ‘सलवा जुडूम’ का मामला सेटिंग से जुड़ा है।
‘द केरला स्टोरी’
देखने टूटे पड़े लोग
फ़िल्म ‘द केरला स्टोरी’ इन दिनों सुर्खियों में है। कुछ ऐसा होते आया है कि जिस किसी फ़िल्म को लेकर विवाद खड़ा हो जाए उसे देखने लोग टूट पड़ते हैं। पिछले साल ‘द कश्मीर फाइल्स’ के साथ ऐसा ही हुआ था। और अब ‘द केरला स्टोरी’ के साथ भी ऐसा ही हुआ है। पिछले कुछ सालों से हिन्दी सिनेमा में कुछ अलग तरह के प्रयोग चल रहे हैं। एक शब्द काफ़ी दौड़ रहा है रियलिस्टिक सिनेमा। यानी सच्चाई पर आधारित। रियलिस्टिक सिनेमा में होरी-हीरोइन बाग बगीचे, नदी-पहाड़, पब या किसी दर्शनीय फॉरेशन लोकेशन पर गाना गाते, ठुमके लगाते नहीं नज़र आते बल्कि सीधी सपाट कहानी चलती है। दावे यही होते हैं कि फ़िल्म की कहानी सत्य घटना पर आधारित है। ‘द कश्मीर फाइल्स’, ‘भीड़’ एवं ‘द केरला स्टोरी’ कुछ इसी तरह की फ़िल्में हैं। इसके अलावा बायोपिक का दौर भी चला हुआ है। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह पर बनी ‘द एक्सीडेंल प्राइम मिनिस्टर’ हो या फिर बाला साहेब ठाकरे पर बनी ‘ठाकरे’ हो, साहित्यकार सआदत हसन मंटो पर बनी ‘मंटो’ हो या फिर पहाड़ों को काटकर रास्ता बना देने वाले दशरथ मांझी पर ‘मांझी द माउंटेन‘ हो, बायोपिक पर ये सब उदाहरण हैं। ‘इंदू सरकार’ भी किसी ख़ास मक़सद को लेकर बनाई गई फ़िल्म नज़र आती थी, जो कि पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी एवं उनके बेटे संजय गांधी पर केन्द्रित थी। अब सिनेमा भी राजनीतिक पार्टियों के लिए हथियार जैसा बन गया लगता है। ‘द कश्मीर फाइल्स’ एवं ‘द केरला स्टोरी’ के साथ तो ऐसा ही होते नज़र आया है। भाजपा इन दोनों फिल्मों के समर्थन में खड़ी रही तो कांग्रेस विरोध में। जब ‘कश्मीर फाइल्स’ लगी थी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने मंत्री मंडल एवं विधायकों के साथ इसे देखने गए थे। वहीं हाल ही में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव एवं नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल अपनी पार्टी के लोगों के साथ ‘द केरला स्टोरी’ देखने गए। ‘द केरला स्टोरी’ के प्रदर्शन से पहले राजधानी रायपुर में ख़ास लोगों के लिए गोपनीय तरीके से इस फ़िल्म की स्क्रीनिंग रखी गई थी। पश्चिम बंगाल एवं तमिलनाडु की सरकार ने ‘केरला स्टोरी’ पर प्रतिबंध ही लगा दिया है। वहीं मध्यप्रदेश में ‘केरला स्टोरी’ को टैक्स फ्री करने की घोषणा हुई थी बाद में इस फैसले को वापस ले लिया गया।
ज़ल्द छत्तीसगढ़ आ
सकते हैं मोदी
कर्नाटक विधानसभा चुनाव का नतीजा सामने आ चुका। वहां पूर्ण बहूमत के साथ कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। कर्नाटक में भाजपा को जो हार मिली उसकी उसने कल्पना भी नहीं की रही होगी। बहरहाल कर्नाटक चुनाव हो जाने के बाद अब दिसंबर में छत्तीसगढ़, राजस्थान एवं मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। स्वाभाविक है अब इन तीनों राज्यों में राजनीतिक सरगर्मी काफ़ी तेज हो जाएगी। संकेत तो यही मिल रहे हैं कि इसी मई महीने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का छत्तीसगढ़ दौरा होने जा रहा है। मोदी भिलाई में आईआईटी के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण करने आ सकते हैं। इसके अलावा वे चांपा-जांजगीर में छत्तीसगढ़ को उत्तरप्रदेश व बिहार से जोड़ने वाले सुपर एक्सप्रेस हाइवे का शिलान्यास भी कर सकते हैं। यदि मोदी आते हैं तो साढ़े चार वर्ष बाद उनका यह छत्तीसगढ़ दौरा होगा। भले ही उनका आना लोकार्पण एवं शिलान्यास कार्यक्रम के लिए हो लेकिन छत्तीसगढ़ में राजनीतिक हलचल तेज तो होगी ही। कुछ ही हफ्ते पहले केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह एवं भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का छत्तीसगढ़ प्रवास हो चुका है। वहीं कांग्रेस पार्टी फरवरी के अंतिम सप्ताह में रायपुर में राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित कर पहले ही हलचल पैदा कर चुकी है। प्री मानसून बारिश की तरह छत्तीसगढ़ में प्री चुनावी वादों की बारिश का दौर अब शुरु होने वाला है।
चंदखुरी का राम मंदिर
और बैस परिवार का गांव
भूपेश सरकार ने चंदखुरी के कौशल्या माता मंदिर को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिला दी है। गौर करने लायक बात यह है कि चंदखुरी महाराष्ट्र के राज्यपाल एवं रायपुर से सात बार सांसद रहे रमेश बैस का गांव है। वह रमेश बैस के बड़े भाई वरिष्ठ भाजपा नेता श्याम बैस ही हैं जिन्होंने राम वन गमन परिपथ पर शोध कर इसे चर्चा में लाया था। यह अलग बात है कि प्रदेश में जब भाजपा की सरकार रही इस शोध पर कुछ नहीं हो पाया और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस विषय को लेकर तेजी से आगे निकल गए। चंदखुरी स्थित कौशल्या माता का मंदिर अब पर्यटन स्थल बन चुका है। कौशल्या माता के मंदिर के बाद अब चंदखुरी में ही उनके पुत्र भगवान राम के प्राचीन मंदिर के जीर्णोद्धार के बाद हाल ही में वहां प्राण प्रतिष्ठा हुई। इस प्राचीन राम मंदिर के जीर्णोद्धार का श्रेय बैस परिवार को जाता है। हाल ही में भव्य आयोजन कर इस मंदिर को भक्तों के लिए खोला गया। स्वयं राज्यपाल रमेश बैस इस धार्मिक अनुष्ठान में हिस्सा लेने मुम्बई से यहां पहुंचे हुए थे। आयोजन में प्रदेश के बहुत से भाजपा नेता एवं कार्यकर्ता पहुंचे हुए थे। इसके साथ ही आयोजन से लोगों के बीच बड़ा संदेश भी गया है। चर्चा यही होने लगी है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा रमेश बैस का पिछड़ा कार्ड के रूप में इस्तेमाल कर सकती है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पिछड़ा वर्ग से हैं। अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष एवं नारायण चंदेल को नेता प्रतिपक्ष बनाकर भाजपा पहले ही पिछड़ा कार्ड खेल चुकी है।
नया रायपुर में जान
फूंकने प्रयास शुरु
इस ‘कारवां’ कॉलम में लगातार लिखा जाता रहा है कि मुर्दा शहर कहलाने वाले नया रायपुर में जान फूंकने सरकार की ओर से लगातार प्रयास हो रहे हैं। माना एयरपोर्ट के पास एयरो सिटी बनाने नया रायपुर विकास प्राधिकरण (एनआरडीए) ने कागज़ी कार्यवाही तेज कर दी है। बरौदा एवं रमचंडी गांव में एयरो सिटी बनाना है। यहां के कुछ किसानों ने दावा आपत्ति लगाई है, जिस पर एनआरडीए जल्द सुनवाई करने वाला है। वहीं मंदिर हसौद के पास ब्रिज क्रास कर नया रायपुर जाने वाले रास्ते के दोनों तरफ के बड़े हिस्से का लैंड यूज़ चेंज करते हुए मिश्रित कर दिया गया है। यानी इस हिस्से में आवासीय और व्यावसायिक दोनों ही प्रोजेक्ट पर अब धड़ाके से काम हो सकेगा।