● कारवां (4 जून 2023)- अब की बार ‘80’ पार!

■ अनिरुद्ध दुबे

कांग्रेस व भाजपा दोनों ही पार्टियां जान रही हैं सत्ता की चाबी आदिवासी बहुल क्षेत्र बस्तर और सरगुजा से मिलनी है। यही कारण है कि दोनों ही पार्टियां दोनों तरफ ताकत झोकें हुए हैं। उसमें भी दोनों तरफ सबसे ज़्यादा ताकत बस्तर में ही लगती दिख रही है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस 68 सीट लेकर सत्ता में आई थी, जो कि उप चुनाव के कारण बढ़ते-बढ़ते 71 पर जा पहुंची। हाल ही में बस्तर पहुंचीं प्रदेश कांग्रेस प्रभारी कुमारी सैलजा ने बिना कोई भूमिका बांधे यही कहा है कि “अब की बार 80 पार।“ यानी दूसरों के लिए 10 सीटें भी नहीं छोड़ना है। वहीं भाजपा प्रदेश प्रभारी ओम माथुर भी उम्र के इस पायदान में पूरी ताकत बस्तर में झोंकें हुए हैं। चुनावी समीकरण बिठाने में वे बेहद अनुभवी माने जाते हैं। देखने वाली बात यह रहेगी छत्तीसगढ़ में माथुर दिल्ली में बैठे हुए नेताओं को विश्वास में लेते हुए जीत का लक्ष्य लेकर कौन सा पांसा फेंकेंगे। ओम माथुर एवं भाजपा सह प्रभारी नितिन नवीन दोनों अच्छी तरह जान रहे हैं कि बस्तर और सरगुजा की राह इतनी आसान नहीं है। इस समय बस्तर की 12 में से 12 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। वहीं सरगुजा डिवीजन की 14 में से 14 सीटों पर भी कांग्रेस के ही विधायक काबिज हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के समय में अमित शाह भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से जब छत्तीसगढ़ आए थे तो पार्टी के लोगों को 65 प्लस का टारगेट देकर गए थे। 65 प्लस तो हुआ था लेकिन कांग्रेस के पक्ष में।

भाजपा में भूतकाल

और भविष्यकाल

मोदी सरकार की 9 साल की उपलब्धियों पर प्रकाश डालने केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मूंडा रायपुर आए। मुंडा कागजों में लिखा हुआ पढ़कर मोदी सरकार की उपलब्धियों पर घंटे भर बोले। इस अवसर पर आमंत्रित मीडिया के लोगों ने धैर्य का पूरा परिचय देते हुए शांत भाव से उन्हें सुना। मुंडा जी जब बोल रहे थे एक तरफ लगी कुर्सियों में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, विधानसभा नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल, पूर्व मंत्री व्दय प्रेमप्रकाश पांडे एवं राजेश मूणत बैठे हुए थे वहीं थोड़े से गेप के बाद दूसरी तरफ लगी कुर्सियों में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव, पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर, वरिष्ठ विधायक शिवरतन शर्मा, भाजपा मीडिया विभाग के प्रभारी अमित चिमनानी तथा सह प्रभारी अनुराग अग्रवाल बैठे हुए थे। इन दो अलग-अलग तस्वीरों को भाजपा के ही लोग एक-दूसरे को भेजकर मजे ले रहे हैं। डॉ. रमन सिंह की कतार वाली तस्वीर के नीचे लिख मारा गया है ‘भूतकाल’ और अरुण साव की कतार वाली तस्वीर के नीचे दर्शाया गया है ‘भविष्य काल।‘

कमल छाप में रहकर

कितने खिलेंगे अनुज

छत्तीसगढ़ी सिनेमा में हीरो के रूप में लंबी पारी खेल चुके अनुज शर्मा ने भाजपा का दामन थाम लिया। इसके साथ ही अटकलों का दौर शुरु हो गया कि क्या अनुज विधानसभा चुनाव लड़ेंगे? यदि लड़ेंगे तो भाटापारा या धरसींवा इन दोनों में से कौन सी सीट से लड़ेंगे? या फिर उन्हें विधानसभा के बजाय सीधे अगले साल लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका दिया जाएगा? या फिर उन्हें क्या यह आश्वासन मिला होगा कि सरकार बनी तो छत्तीसगढ़ फ़िल्म विकास निगम अध्यक्ष की कुर्सी पक्की! राजनीति ऐसा क्षेत्र है जहां अटकलों का दौर कभी थमता नहीं। यह तो साफ है कि भाजपा अनुज का इस्तेमाल बड़े मिशन के लिए ही करेगी। अनुज को इस बात का संकेत दे भी दिया गया होगा। तभी तो वे प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रहते हुए में भाजपा की तरफ रूख़ किए। अनुज भले ही सिनेमा एवं लोक कलाकार के रूप में जाने जाते रहे हों लेकिन नेताओं से उनका रिश्ता कोई आज का नहीं बरसों पुराना रहा है। जब अजीत जोगी की सरकार थी उसी समय उनके पुत्र अमित जोगी से अनुज की घनिष्ठता हो चुकी थी। 2003 में प्रदेश में भाजपा की सरकार आई तब भी अनुज की अमित से निकटता बनी रही थी। अमित ने अनुज को प्रदेश युवक कांग्रेस उपाध्यक्ष का पद भी दिलवाया था। यह तब हुआ था जब राज कुमारी दीवान प्रदेश युवक कांग्रेस की अध्यक्ष थीं। जब 2008 से 2013 के बीच भाजपा सरकार का दूसरा दौर था तब अनुज तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह के संपर्क में आए थे। इस तरह छत्तीसगढ़ के दूसरे मुख्यमंत्री के पुत्र से भी अनुज की घनिष्ठता रही। मई 2013 में जब राजधानी रायपुर के परसदा क्रिकेट स्टेडियम में आईपीएल मैच हुआ था, अभिषेक सिंह के साथ मैच देखते हुए अनुज की तस्वीर ख़ूब वायरल हुई थी। दिसंबर 2013 में डॉ. रमन सिंह विधानसभा और मई 2014 में अभिषेक सिंह लोकसभा चुनाव लड़े, इन दोनों ही अवसरों पर अनुज ने इनके पक्ष में जमकर चुनाव प्रचार किया था। 23 साल के फ़िल्मी कैरियर में इनके खाते में पांच सुपरहिट छत्तीसगढ़ी फ़िल्में ‘मोर छंइहा भुंइया’, ‘मया दे दे मया ले ले’, ‘मया पार्ट-1’, ‘मया दे दे मयारू’ एवं ‘राजा छत्तीसगढ़िया पार्ट-1’ दर्ज रहीं। फ़िल्म के बाद अब राजनीति के मैदान में अनुज क्या करिश्मा कर पाएंगे यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा। भाजपा प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव, पूर्व मंत्री व विधायक बृजमोहन अग्रवाल तथा सांसद सुनील सोनी की मौजूदगी में अनुज ने पार्टी का दामन थामा उस पर कांग्रेस की ओर से कुछ इस तरह की प्रतिक्रिया आई कि “वाकई चुनावी इवेंट की यह तस्वीर देखने लायक है।“

शुक्ला है तो

भरोसा है

सेवानिवृत्त आईएएस अफ़सर डॉ. आलोक शुक्ला की संविदा नियुक्ति आगे और बढ़ा दी गई है। इसके साथ ही उन्हें संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव की नई ज़िम्मेदारी दी गई है। इससे अलावा वे कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग, ग्रामोद्योग विभाग, माध्यमिक शिक्षा मंडल, छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मंडल, ग्रामीण औद्योगिक पार्क, सी मार्ट एवं गोधन न्याय मिशन का दायित्य पूर्व की तरह संभाले रहेंगे। छत्तीसगढ़ राज्य के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि संविदा पर कार्यरत किसी बड़े अफ़सर के पास एक-दो नहीं दस विभाग का प्रभार हो। यूं भी कहा जा रहा है कि साहब संविदा शब्द से ऊपर उठ चुके हैं।  माना यही जाता है कि शुक्ला जी को इतिहास और भाषा विज्ञान के साथ वित्तीय व्यवस्था की भी गहरी समझ है। उनकी यह समझ कागज़ों पर दौड़ती दिखने लगी भी है। कहा जा सकता है कि शुक्ला है तो भरोसा है।

रायपुर नगर निगम में

अब संविदा की चाह नहीं

रायपुर नगर निगम में एक के बाद एक इंजीनियरों के रिटायर होने का सिलसिला 2022 में जो शुरु हुआ वह 2024 तक जारी रहेगा। यानी 2024 में एक युग की समाप्ति हो जाएगी। एक समय था जब रायपुर नगर निगम में रिटायर होने के बाद लोग संविदा नियुक्ति के लिए एड़ी-चोटी एक कर दिया करते थे। संविदा नियुक्ति के लिए राज्य शासन तक की दौड़ लग जाती थी। अब ऐसा नहीं है। रिटायर होने वाला कोई भी अफ़सर अब संविदा नियुक्ति की चाह नहीं रखता। पूछो ऐसा क्यों, तो खुलकर कोई ज़वाब भी नहीं देता। कुछ तो यह भी कहते नज़र आते हैं संविदा की बात तो छोड़िये बचा-खुचा समय ठीक से कट जाए वही बहुत है। 60-62 की उम्र के बाद चार पैसा आए किसे अच्छा नहीं लगता लेकिन रायपुर नगर निगम में संविदा नियुक्ति का क्रेज़ खत्म हो जाने के पीछे गहरा राज़ है।

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