12 जातियों को जनजाति दर्जा दिलाने विधेयक पर जब राज्यसभा में चर्चा हो रही थी छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी सदस्य नदारद थे- अरुण साव

मिसाल न्यूज़

रायपुर। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने आरोप लगाया कि 12 जातियों को जनजाति का दर्जा दिलाने वाले महत्वपूर्ण विधेयक पर जब राज्यसभा में चर्चा हो रही थी छत्तीसगढ़ कोटे से आने वाले सभी कांग्रेसी सदस्य अनुपस्थित थे। भले वोट की राजनीति के मजबूरीवश कांग्रेस सड़क पर कुछ भी कहती रहे लेकिन जब भी ऐसे कोई विषय परिणाम तक पहुँचने वाले होते हैं, कांग्रेस अड़ंगा लगाती ही है। आखिर 50 से अधिक वर्षों तक इसी कांग्रेस ने इन तमाम मामलों को लटकाए रखा था।

एकात्म परिसर में आज अरुण साव ने प्रेस वार्ता में कहा कि जैसा कि आप सभी जानते हैं, प्रदेश के 12 आदिवासी समूह जो आज़ादी के बाद से अब तक अनुसूचित जाति में शामिल होने का अपना अधिकार नहीं पा सके थे, महज़ लिपिकीय त्रुटि को बहाना बनाकर कांग्रेस की सरकारों ने उन्हें दशकों तक उनके अधिकारों से वंचित रखा था। जनगणना 2011 के अनुसार छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति की कुल जनसंख्या 78 लाख 22 हज़ार 902 है। प्रदेश की कुल जनसंख्या की लगभग एक-तिहाई जनसंख्या (30.62 प्रतिशत) अनुसूचित जनजातियों की है। इनमें सर्वाधिक 72 लाख 31 हज़ार 82 ग्रामीण इलाकों में निवासरत हैं। अब जब सदन के दोनों सदनों में पारित करा कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें उनका अधिकार लौटाया है, तब प्रदेश की कांग्रेस सरकार जबरिया इस बात का श्रेय लेने की कोशिश कर रही है। इस संबंध में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बयान न केवल सफ़ेद झूठ है बल्कि शर्मनाक भी है। सच तो यह है कि इस विधेयक को लोकसभा ने 21 दिसंबर 2022 को ही पारित कर दिया था। तब से लगातार कांग्रेस ने किसी-न-किसी बहाने संसद की कार्यवाही को बाधित किया था ताकि यह विधेयक राज्यसभा से पास होकर क़ानून न बन पाए। इसे अटकाने, लटकाने और भटकाने की भरसक कोशिश होती रही। यहां तक कि जब यह ऐतिहासिक महत्वपूर्ण विधेयक राज्यसभा में प्रस्तुत हुआ तब भी छत्तीसगढ़ के राज्यसभा सदस्यों ने इसका अघोषित बहिष्कार किया और वे कार्यवाही से अनुपस्थित रहे। इससे पहले भी आरक्षण आदि के मुद्दे पर लगातार कांग्रेस का इसी तरह का दोहरा रवैया देखा जाता रहा है। 12 जनजाति समुदायों को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा झूठा श्रेय बटोरने की प्रवृत्ति निंदनीय है। केंद्रीय कैबिनेट में यह विधेयक सन 2016 में पास हो गया था और तब छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार थी। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार 2018 में बनी तो मुख्यमंत्री बघेल ने 12  पत्र कब और किसको लिखा था? सूची में शामिल 12 जनजातियों के आदिवासी भाई-बहनों के साथ-साथ प्रदेश की जनता देख रही है कि कौन शोषित-वंचित आदिवासियों के साथ कौन खड़ा है और कौन नहीं? सब को पता है भाजपा ने इन आदिवासियों के साथ न्याय करके उन्हें उनका हक दिलाया है। भाजपा पहले भी आदिवासी समाज के साथ खड़ी थी, आज भी खड़ी है और हमेशा खड़ी रहेगी।

पत्रकार वार्ता में भाजपा अनुसूचित जनजाति के प्रदेश अध्यक्ष विकास मरकाम, प्रदेश मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी एवं प्रदेश प्रवक्ता अमित साहू उपस्थित थे।

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