मिसाल न्यूज़
रायपुर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री भक्त चरणदास ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह चुनाव प्रचार के लिए तो बार-बार छत्तीसगढ़ आ रहे लेकिन इन्हें अशांत मणिपुर जाने की फुरसत नहीं है।
राजीव भवन में आज पत्रकार वार्ता में भक्त चरणदास ने कहा कि प्रधानमंत्री छत्तीसगढ़ में सत्ता हासिल करने 4 बार छत्तीसगढ़ आ सकते हैं। गृह मंत्री हर हफ्ते छत्तीसगढ़ आ रहे हैं। देश का एक राज्य मणिपुर जल रहा है। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को मणिपुर जाने की फुरसत नहीं है। मणिपुर में डबल इंजन की सरकार है, फिर भी वहां पर भूखमरी है। महिलाओं की इज्जत सुरक्षित नहीं है। लेकिन केन्द्र सरकार नक्कारा बनी हुई है। छत्तीसगढ़ में इनके पास मुद्दे नहीं हैं। भाजपा के महत्वपूर्ण पद पर बैठे नेता यहां अंशाति फैलाकर सांप्रदायिकता फैलाकर चुनाव में ध्रुवीकरण करने में लगे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार देश की जनगणना नहीं करवाना चाहती है। चुनाव आते ही प्रधानमंत्री मोदी स्वयं ओबीसी बन जाते हैं लेकिन जब-जब पिछड़ा वर्ग को उनका अधिकार देने की बारी आती है तब तब उन्होंने निराश ही किया। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री मोदी से लगातार अनुरोध किया है कि जनगणना रजिस्टर में जाति का कॉलम जोड़ा जाए लेकिन मोदी सरकार एवं आरएसएस के लोग नहीं चाहते कि ओबीसी को उनकी संख्या के अनुपात में न्याय मिले। सरकारी योजनाओं का लाभ मिले।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने सर्व समाज के हित में राज्य के अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, ओबीसी, अनारक्षित वर्ग के गरीबों के हित में छत्तीसगढ़ सरकार ने नवीन आरक्षण विधेयक विधानसभा में पारित करवा कर राज भवन भेजा है। दुर्भाग्यजनक है आरक्षण विधेयक कानून का रूप नहीं ले पा रहा। वंचित वर्गों को उनका संवैधानिक हक भाजपा के षड़यंत्रों के कारण नहीं मिल पा रहा है। आरक्षण संशोधन विधेयक राज भवन में 9 महीनों से अटका हुआ है। अभी तक राज भवन ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किया है। प्रदेश में चुनावी दौरे पर भाजपा के बड़े-बड़े नेता आ रहे प्रधानमंत्री, भाजपा अध्यक्ष से लेकर केंद्रीय मंत्री तक आ रहे लेकिन राज भवन में रूके आरक्षण बिल पर सब मौन हैं। भाजपा के कारण आरक्षण बिल राज भवन में रुका हुआ है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार के प्रति केंद्र सरकार की दुर्भावना इतनी ज्यादा है कि केंद्र के पास राज्यों को देने चावल का स्टॉक नहीं है। कर्नाटक सरकार ने केंद्र से 35 लाख मीट्रिक टन चावल मांगा उसके लिये वह भुगतान भी करती लेकिन केंद्र ने स्टॉक नहीं होने की बात कर कर्नाटका को चावल देने से मना कर दिया। वहीं केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ से इस वर्ष 86 लाख टन चावल लेने का एमओयू करती है। बाद में केंद्र इस एमओयू से चावल लेने की मात्रा घटाकर 61 लाख मीट्रिक टन कर देता है। यह छत्तीसगढ़ के साथ दुर्भावना नहीं तो और क्या है? आपको विभिन्न योजनाओं में चावल देना है लेकिन आपके पास स्टॉक भी नहीं है। छत्तीसगढ़ राज्य में किसान भरपूर धान पैदा कर रहे हैं। यहां पर इस वर्ष कांग्रेस की सरकार ने 125 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है। छत्तीसगढ़ में चुनाव है। छत्तीसगढ़ सरकार को असहयोग करना है इसलिये वहां की सरकार से चावल नहीं लेना है यह केंद्र की दुर्भावना है। इस वर्ष राज्य के किसानों से कांग्रेस सरकार 125 लाख मीट्रिक टन धान खरीदेगी। मोदी सरकार तो घोषित समर्थन मूल्य से 1 रूपये भी ज्यादा कीमत देने पर राज्य सरकार को धमकाती है कि वह राज्य से केन्द्रीय योजनाओं के लिये लगने वाला चावल नहीं खरीदेंगे। अकेली छत्तीसगढ़ सरकार है जो अपने धान उत्पादक किसानों को देश में सबसे ज्यादा कीमत देती है। छत्तीसगढ़ के किसानों को पिछले वर्ष धान की कीमत 2640 रुपये मिली। उत्तरप्रदेश, गुजरात, जैसे राज्यों में तो किसानों को धान का मूल्य 1100 रूपये मिलता है।