मिसाल न्यूज़
रायपुर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा के उप नेता प्रतिपक्ष प्रमोद तिवारी ने कहा कि भाजपा की अयोध्या में राम मंदिर बनाने की नीयत ही नहीं थी। यह एजेन्डा उसके लिए एटीएम होता था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आगे उसे झुकना पड़ा और राम मंदिर निर्माण की तरफ बढ़ना पड़ा।
राजीव भवन में आज पत्रकार वार्ता में प्रमोद तिवारी ने कहा कि तेलंगाना राज्य के बनने में श्रीमती सोनिया गांधी की अहम् भूमिका रही है। इस विधानसभा चुनाव में वहां कांग्रेस की जबरदस्त वापसी हो सकती है। भाजपा तय नहीं कर पा रही है कि तेलंगाना में वह खुद लड़े या वीआरएस के साथ गठबंधन कर कांग्रेस को रोकने की कोशिश करे। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार की वापसी में कोई बाधा नहीं दिखाई देती। राजस्थान में पहली बार एंटी इंकमबेंसी नहीं है। इस तरह वहां दोबारा कांग्रेस की सरकार बनना तय है। इस तरह चार राज्यों छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं तेलंगाना में कांग्रेस को सरकार बनाने में कोई दिक्कत नहीं है। मिजोरम में सहयोग से कांग्रेस सरकार बना सकती है।
तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में दिल्ली से भाजपा नेताओं का खूब आना जाना हो रहा है। अमित शाह भी लगातार छत्तीसगढ़ आ रहे हैं। जिस राज्य में भाजपा हारने की स्थिति में होती है वहां अमित शाह चुनाव के लिए नहीं बल्कि चुनाव के बाद वाली स्थिति के लिए आना-जाना करते हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को ऐसा निर्णायात्मक बहुमत मिलेगा कि अमित शाह की जरूरत ही नहींं पड़ेगी। मोदी सरकार व्दारा छत्तीसगढ़ को बेहतर कामकाज के लिए 65 पुरस्कार दिया जा चुका है। इसके बाद भी भाजपा के लोग छत्तीसगढ़ सरकार के खिलाफ बोलने का नैतिक साहस कैसे कर लेते हैं। कैसे केन्द्र में बैठे लोग बेशर्मी से ईडी का इस्तेमाल छत्तीसगढ़ के खिलाफ किए जा रहे हैं। इतिहास उठाकर देख लें कर्नाटक चुनाव पूरे देश की राजनीतिक हवा को बदलने में निर्णायक भूमिका निभाते रहा है। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने के साथ ही पूरे देश में परिवर्तन की शुरुआत हो चुकी है।
तिवारी ने कहा कि कल केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ आये। एक और झूठ बोलकर गये कि बस्तर एनएमडीसी संयंत्र नहीं बेचा जायेगा। यदि नगरनार संयंत्र नहीं बेचा जा रहा तो इसका फैसला कब हुआ। कब केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने नगरनार संयंत्र को विनिवेशीकरण की सूची से बाहर किया। उसको नहीं बेचने का आदेश कहां है, इसका मोदी और अमित शाह जवाब दें? मोदी सरकार ने नगरनार को बेचने का फैसला कर लिया है। इसके बेचने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। 14 अक्टूबर 2020 में भारत सरकार ने एनएमडीसी (नगरनार) स्टील प्लांट में 50.79 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का निर्णय लिया था। उक्त कार्य हेतु भारत सरकार के वित्त विभाग के अधीन “निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग” (डीआईपीएएम) को सौंपा गया। यह निर्णय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति द्वारा लिया गया। इस बैठक में नगरनार स्टील प्लांट के राजनीतिक विनिवेश का कार्य सितंबर 2021 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया। उक्त निर्णय के क्रियान्वयन हेतु “दीपम” (डीआईपीएएम) ने 2 दिसंबर 2022 को नगरनार की रणनीतिक बिक्री हेतु प्रारंभिक बोलियां आमंत्रित की गयी। इस निविदा के संबंध में निजी निवेशकों को अन्य जानकारी प्राप्त करने हेतु प्रश्न जमा करने की अंतिम तारीख 29 दिसंबर 2022 तथा बोली जमा करने की अंतिम तिथि 27 जनवरी 2023 रखी गयी थी।