■ अनिरुद्ध दुबे
रायपुर दक्षिण सीट में भाजपा प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल के सामने इस बार महंत रामसुंदर दास चुनावी मैदान में हैं। महंत जी पूर्व में दो बार विधायक रह चुके हैं। पामगढ़ व जैजैपुर से। 2018 के चुनाव में भी महंत जी का नाम रायपुर दक्षिण सीट से चला था तब उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि “मैं चुनाव नहीं लड़ रहा हूं।“ इस बार कांग्रेस की दूसरी सूची में महंत जी का दक्षिण से नाम आने के बाद अब सारी अटकलों पर विराम लग चुका है। यूं तो दक्षिण से पूर्व महापौर प्रमोद दुबे समेत वर्तमान महापौर एजाज़ ढेबर, सन्नी अग्रवाल एवं कन्हैया अग्रवाल की भी दावेदारी थी लेकिन टिकटों पर गहन विचार मंथन करते रहने वाले दिग्गज नेताओं ने महंत जी के नाम पर भरोसा जताया। देखा जाए तो रायपुर दक्षिण के चुनावी माहौल में ‘राम’ और ‘कृष्ण’ दोनों के ही नाम लोगों की ज़ुबान पर होंगे। महंत जी के नाम के साथ ‘राम’ तो जुड़ा ही है वहीं कृष्ण का दूसरा नाम ‘बृजमोहन’ है। बृजमोहन के सामने इसी दक्षिण सीट से पूर्व में दो और ‘कृष्ण’ चुनावी रणभूमि में सामने आ चुके हैं- कन्हैया अग्रवाल व योगेश तिवारी। कन्हैया व योगेश दोनों ही कृष्ण का दूसरा नाम हैं।
कुर्मी वर्सेस कुर्मी
कांग्रेस व भाजपा दोनों तरफ के प्रत्याशियों की घोषणा हो चुकी है। दोनों ही पार्टियों ने इस बार जातिगत समीकरण पर विशेष ध्यान दिया है। विशेषकर पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) पर। उसमें भी पिछड़ा वर्ग में साहू एवं कुर्मी मतदाताओं की बहुलता है। दिलचस्प बात यह है कि चार सीटें ऐसी हैं जहां पर कांग्रेस व भाजपा दोनों ही पार्टियों के कुर्मी नेता चुनावी मैदान में हैं। गौर करें- पाटन में भूपेश बघेल (कांग्रेस) एवं विजय बघेल (भाजपा), बिल्हा में धरमलाल कौशिक (भाजपा) और सियाराम कौशिक (कांग्रेस), जांजगीर-चांपा में नारायण चंदेल (भाजपा) और व्यास नारायण कश्यप (कांग्रेस) तथा कुरूद में अजय चंद्राकर (भाजपा) और तारिणी चंद्राकर (कांग्रेस)।
दोनों तरफ की दूसरी सूची
से दोनों तरफ आया जोश
दिन भर चुनावी चर्चाओं में लगे रहने वाले कुछ लोगों का मानना है कि चाहे भाजपा हो या कांग्रेस दोनों की ओर से जारी प्रत्याशियों की दूसरी सूची ने ज़रूर ख़ूब सुर्खियां बटोरी हैं। वो कैसे… भाजपा की जब दूसरी सूची आई तो उसमें न जाने ऐसा क्या था कि कांग्रेसियों के चेहरे खिल उठे थे। उसी तरह कांग्रेस की हाल ही में जो दूसरी सूची आई है उसमें कुछ तो ऐसा रहा है कि भाजपाइयों के चेहरे की चमक बढ़ गई है। दोनों तरफ के लोगों ने एक दूसरे की सूची में कुछ तो ज़रूर ऐसा पाया होगा जिससे कि दिल गॉर्डन गॉर्डन हो गया…
वृहस्पत, मोहित व
नाग का गुस्सा फूटा
कांग्रेसी अक्सर कहते नज़र आते हैं कि हमारी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र है। दूसरी तरफ राजनीति के कुछ जानकार ऐसे हैं, जो कहा करते हैं कि भाजपा में ‘संगठन’ की चलती है और कांग्रेस में ‘मन’ की। भाजपा की तरफ से रायपुर उत्तर समेत आरंग, राजिम एवं धरसींवा में चौंकाने वाले प्रत्याशियों के नाम सामने आए। इन विधानसभा क्षेत्रों में असंतोष के स्वर तो उठे लेकिन किसी भी बड़े नेता का नाम लेकर खुलकर कोई कुछ नहीं बोला। वहीं कांग्रेस में वर्तमान विधायक वृहस्पत सिंह ने टिकट कटने के लिए सीधे टी.एस. सिंहदेव को दोषी ठहराया दिया। वृहस्पत सिंह यह कहने से भी नहीं चूके कि “सिंहदेव छत्तीसगढ़ के एकनाथ शिंदे बनने की तैयारी में हैं।“ वहीं पाली तानाखार के वर्तमान विधायक मोहित राम केरकेट्टा ने टिकट कटने के लिए वरिष्ठ नेता डॉ. चरणदास महंत को जिम्मेदार ठहरा दिया। बस्तर में अंतागढ़ के वर्तमान कांग्रेस विधायक अनूप नाग ने टिकट कट जाने के पीछे बड़े नेताओं की साजिश क़रार देते हुए निर्दलीय परचा भर दिया है।
कांग्रेस टिकट- रायपुर
धमतरी ने एक
दूसरे को उलझाया
ये रायपुर उत्तर विधानसभा भी ग़ज़ब सीट है। आख़री समय तक टिकट के दावेदारों की सांस अटकाकर रख देती है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने तो समय रहते रायपुर उत्तर से कुलदीप जुनेजा को प्रत्याशी घोषित कर दिया था, लेकिन भाजपा ने अंतिम समय तक नाम अटकाकर रखा था। यहां तक कि पिछले चुनाव में 90 में से 89 प्रत्याशियों की घोषणा भाजपा की तरफ से हो चुकी थी, बची थी तो सिर्फ़ रायपुर उत्तर सीट। तब श्रीचंद सुंदरानी से लेकर संजय श्रीवास्तव, सुनील सोनी एवं केदार गुप्ता रायपुर उत्तर से टिकट की दौड़ में थे। नामांकन दाखिले को जब एक दिन बचा था तब कहीं जाकर श्रीचंद सुंदरानी की टिकट फाइनल हुई थी। इस बार उत्तर से भाजपा टिकट को लेकर श्रीचंद सुंदरानी समेत सुनील सोनी, संजय श्रीवास्तव, केदार गुप्ता, उदय शदाणी, अमित चिमनानी एवं प्रमोद साहू जैसे नामों की चर्चा ज़रूर होती रही लेकिन रायपुर क्या पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश को पुरंदर मिश्रा ने टिकट पाकर चौंका दिया। अब कांग्रेस में आएं। कांग्रेस की 90 में से सात टिकटें घोषित होने को बची हैं। लाइन से त्यौहार हैं। इन सात सीटों पर कांग्रेस से टिकट के जो दावेदार हैं, उनकी धड़कनें तेज हैं। बात रायपुर उत्तर की ही करें। वर्तमान विधायक कुलदीप जुनेजा समेत अजीत कुकरेजा एवं डॉ. राकेश गुप्ता तो कांग्रेस टिकट की दौड़ में थे ही आख़री-आख़री में महापौर एजाज़ ढेबर भी ताल ठोंककर सामने आ गए। हो सकता है जब आप यह ‘कारवां’ कॉलम पढ़ रहे हों रायपुर उत्तर के कांग्रेस प्रत्याशी की घोषणा हो चुकी हो या होने जा रही हो, लेकिन इस सीट पर जिस कारण से पेंच फंसा वह भी कम रोचक नहीं। रायपुर उत्तर से सिक्ख समाज से कुलदीप जुनेजा एवं सिंधी समाज से अजीत कुकरेजा टिकट के प्रबल दावेदार रहे, वहीं धमतरी सीट से सिक्ख समाज से गुरुमुख सिंग होरा और सिंधी समाज से मोहन लालवानी का नाम टॉप पर चलते रहा। लगातार चर्चा यही होते आ रही है कि धमतरी से सिक्ख कैंडिडेट उतरा तो रायपुर से सिंधी और अगर धमतरी से सिंधी कैंडिडेट उतरा तो फिर रायपुर से सिक्ख। यानी रायपुर एवं धमतरी दोनों ने एक दूसरे को उलझाकर रख दिया।
भाजपा से 1 व कांग्रेस
से दो लोक कलाकार
चुनावी मैदान में
2008, 2013 एवं 2018 के चुनावों पर नज़र डालें तो दिखाई पड़ता है कांग्रेस लगातार लोक कलाकारों को टिकट देती रही है, वहीं भाजपा ने अब पहली बार धरसींवा से फ़िल्म एवं लोक कलाकार अनुज शर्मा को टिकट दिया है। 2008 में कांग्रेस ने पामगढ़ से लोक कलाकार गोरेलाल बर्मन को टिकट दी थी, जिसमें वे हार गए थे। 2013 के चुनाव में कांग्रेस ने मस्तूरी सीट से लोक कलाकार दिलीप लहरिया को टिकट दी थी। लहरिया वह चुनाव जीत गए थे। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 3 लोक कलाकार दिलीप लहरिया को मस्तूरी, गोरेलाल बर्मन को पामगढ़ तथा कुंवर सिंह निषाद को गुंडरदेही से टिकट दी थी, जिसमें निषाद तो जीत गए, बाक़ी दो कलाकार हार गए थे। इस बार कांग्रेस ने कुंवर सिंह निषाद एवं दिलीप लहरिया दोनों को टिकट दी है वहीं गोरेलाल बर्मन की टिकट काट दी है। गोरेलाल बर्मन समर्थकों ने राजधानी रायपुर के राजीव भवन में यह कहते हुए जमकर प्रदर्शन किया कि पामगढ़ सीट से जिस शेषराज हरबंस को टिकट दिया गया है वो बाहरी हैं।