■ अनिरुद्ध दुबे
बस्तर के फरसगांव में हुई कांग्रेस की चुनावी सभा में एक और बड़ी घोषणा हो गई। मंच से राहुल गांधी ने घोषणा की कि कांग्रेस की सरकार बनने पर सरकारी स्कूलों व कॉलेजों में केजी से लेकर पीजी तक शिक्षा फ्री। इससे पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सक्ती की चुनावी सभा में ऐलान कर चुके हैं कि कांग्रेस की फिर से सरकार बनने पर किसानों का फिर से कर्ज़ा माफ़ होगा। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद संभवतः पहली बार ऐसा हो रहा है कि घोषणा पत्र के माध्यम से जारी होने वाली चीजें घोषणा पत्र के जारी होने से पहले ही सामने आ जा रही हैं। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने वैसे तो कई सारे वादे किए थे लेकिन दो वादे काफ़ी बड़े थे। पहला- किसानों की कर्ज़ माफ़ी का और दूसरा- बिजली बिल हाफ। राजनीतिक हल्कों में चर्चा यही है कि इस बार कांग्रेस की ओर से चार बड़े वादे होने वाले हैं। दो बड़े वादे तो मंच पर से किए जा चुके हैं, दो बड़े और वादे सामने आने बाक़ी हैं। हो सकता है वो दो वादे घोषणा पत्र के माध्यम से सामने आएं।
सुर्खियों में रायपुर दक्षिण
छत्तीसगढ़ में पाटन, राजनांदगांव, कवर्धा एवं अम्बिकापुर के बाद यदि कोई विधानसभा सीट सबसे ज़्यादा चर्चा में है तो वह रायपुर दक्षिण है। पिछले 3 चुनाव की तुलना में कांग्रेस इस बार दक्षिण सीट पर कुछ ज़्यादा ही ज़ोर लगाती दिख रही है। एक तरफ भाजपा प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल के परिवार के सारे सदस्यों के अलावा पुराने साथियों ने दक्षिण में पूरी ताकत झोंक दी है तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी महंत रामसुंदर दास के पक्ष में महापौर एजाज़ ढेबर एवं पूर्व महापौर प्रमोद दुबे समेत अन्य कई नामचीन नेता जी जान से जुटे हुए हैं। बताते हैं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हाल ही में एजाज़ ढेबर एवं प्रमोद दुंबे समेत रायपुर दक्षिण के कांग्रेस पार्षदों की बैठक लेकर सीधे सपाट शब्दों में कह चुके हैं कि जैसे भी हो दक्षिण सीट चाहिए। इधर, मौलश्री बिहार में कुछ रणनीतिकार दिन रात बृजमोहन अग्रवाल के पक्ष में चुनावी रणनीति बनाने हाइटेक सिस्टम का इस्तेमाल कर हैं।
टिकट से वंचित हुए देवजी
व बाफना में समानताएं
धरसींवा से 3 बार के विधायक रहे देवजी भाई पटेल की इस बार टिकट कट गई। कुछ ऐसा ही जगदलपुर से दो बार विधायक रहे संतोष बाफना के साथ हुआ। भाजपा ने धरसींवा से देवजी भाई की जगह फ़िल्म कलाकार अनुज शर्मा को टिकट दी। वहीं भाजपा ने जगदलपुर से इस बार बाफना के बजाय किरण देव सिंह को चुनावी मैदान में उतारना मुनासिब समझा। देवजी भाई और बाफना में कुछ समानताएं हैं। दोनों जब-जब विधायक रहे इन्हीं की भाजपा की सरकार थी। जब भी इन्हें ज़रूरी लगता विधानसभा सत्र के समय ये अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़े करने से पीछे नहीं रहा करते थे। इसके लिए दोनों को मीडिया में ख़ूब जगह भी मिला करती थी और आम जन के बीच भी ये प्रशंसा के पात्र हुआ करते थे। 2018 के चुनाव में इन दोनों ही नेताओं को हार का सामना करना पड़ा था। टिकट नहीं मिलने पर देवजी भाई के दिल को किस कदर ठेंस पहुंची इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि सोशल मीडिया में उन्होंने अपना भाजपा का पद नाम हटा दिया और धरसींवा का सेवक लिख दिया। देवजी भाई ने तो धरसींवा से निर्दलीय लड़ने नामांकन फार्म तक खरीद रखा है। नामांकन दाखिल करने अभी एक दिन का समय और बचा है। देखें आगे क्या तस्वीर बनती है।
क्या है जुनेजा का
टिकट कनेक्शन…
ये रायपुर उत्तर विधानसभा ऐसी सीट है जो हर चुनाव में किसी न किसी कारण से सुर्खियों में बनी रहती है। रायपुर उत्तर में पुरंदर मिश्रा को भाजपा से टिकट मिलना इसलिए जबरदस्त हलचल पैदा कर गया क्योंकि वहां से टिकट की दौड़ में उनका नाम दूर-दूर तक नहीं था। कांग्रेस की बात करें। यहां के विधायक कुलदीप जुनेजा हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे हैं। जब चुनाव को गिनती के दिन बचे हों ऐसे में जुनेजा के हाउसिंग बोर्ड के कार्यकाल बढ़ाए जाने का पत्र जारी हुआ तो मानने वालों ने यही मान लिया था कि अब कि बार इनकी टिकट गई। बहस छिड़ गई थी जुनेजा नहीं तो फिर कौन? नया नाम उभरकर सामने आया डॉ. राकेश गुप्ता। बताते हैं मुख्यमंत्री के दो बेहद क़रीबी लोग डॉ. गुप्ता की टिकट के लिए लगे थे। एक तरह से डॉ. गुप्ता की टिकट पक्की हो भी गई थी। डॉ. गुप्ता ने जनसम्पर्क अभियान शुरु करते हुए उससे जुड़ी तस्वीरों को सोशल मीडिया में शेयर करना भी शुरु कर दिया था। कुछ ऐसा हुआ कि सीन बदल गया और नया नाम अजीत कुकरेजा का आ गया। दूसरे दौर में कुकरेजा की टिकट पक्की मान ली गई थी। दिल्ली से तक ख़बर छनकर आ रही थी कि कुकरेजा की टिकट पक्की हो गई। 22 अक्टूबर की रात जब कांग्रेस प्रत्याशियों की अंतिम सूची आई सारी अटकलों पर विराम लग गया। सूची में रायपुर उत्तर वाली जगह पर कुलदीप जुनेजा का नाम था। पहली बार में डॉ. गुप्ता की टिकट पक्की होने की खबर, फिर दूसरे दौर की चर्चा में कुकरेजा की टिकट पक्की मान लिया जाना और अंतिम समय में अधिकृत प्रत्याशी के रूप में जुनेजा का नाम सामने आना, ऐसा उतार-चढ़ाव वाला घटनाक्रम टिकट वितरण के दौर में कभी-कभी ही देखने को मिलता है। सवाल यह कि एकदम आख़री में जाकर जुनेजा की टिकट पक्की हुई तो कैसे? इस सवाल के दो अलग-अलग ज़वाब सामने आ रहे हैं। कोई इसके पीछे बड़ा दिल्ली कनेक्शन बता रहा है तो कोई नागपुर कनेक्शन।
कलाकार गोरेलाल बर्मन
व अखिलेश पांडे
जोगी कांग्रेस से प्रत्याशी
पिछले हफ़्ते ‘कारवां’ कॉलम में उल्लेखित किया गया था कि कौन छत्तीसगढ़ी लोक कलाकार कौन सी पार्टी से लड़ रहा है। अब ताजा जानकारी यह है कि लोक कलाकार गोरेलाल बर्मन ने टिकट कटने पर कांग्रेस से नाता तोड़ते हुए जोगी कांग्रेस यानी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस से कनेक्शन जोड़ लिया है। गोरेलाल बर्मन जोगी कांग्रेस की टिकट पर पामगढ़ से चुनाव भी लड़ने जा रहे हैं। यानी कांग्रेस से लोक कलाकार दिलीप लहरिया व कुंवर सिंह निषाद तथा भाजपा से अनुज शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं तो जोगी कांग्रेस की टिकट पर गोरेलाल बर्मन चुनावी मैदान में ताक धिनाधिन करने कूद पड़े हैं। बर्मन के बाद छत्तीसगढ़ी फिल्म अभिनेता अखिलेश पांडे भी बिलासपुर से जोगी कांग्रेस की टिकट पर चुनावी मैदान में उतर चुके हैं।