मिसाल न्यूज़
रायपुर। मीसा बंदियों की पेंशन बंद कर दिए जाने का मामला आज विधानसभा में जमकर उठा। विपक्षी भाजपा विधायकों ने मांग उठाई कि हाई कोर्ट का फैसला आ चुका है अतः पेंशन वापस शुरु की जाए। सरकार की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आने पर विपक्षी विधायक सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। विधानसभा उपाध्यक्ष को सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।
शून्यकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि कांग्रेस नहीं होती तो आपातकाल नहीं लगा होता। बेवजह लोग जेल में नहीं ठूंसे जाते। कांग्रेस की सत्ता जाने के बाद ही बंद लोगों कि रिहाई हो पाई थी। जो आपातकाल में जेल गए सम्मान स्वरूप उनके पेंशन की व्यवस्था की गई थी। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई तो वह पेंशन बंद कर दी गई। यह सरकार और मुख्यमंत्री की हठधर्मिता है जो कोर्ट के आदेश के बाद भी पेंशन चालू नहीं कर रहे हैं। यदि इस सदन में मुख्यमंत्री वापस पेंशन चालू करने की घोषणा कर दें तो इससे उनका सम्मान बढ़ेगा। इस सदन की भी गरिमा बढ़ेगी। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि मुख्यमंत्री ने इसी सदन में कहा था कि हम असहमति का सम्मान करते हैं। हम चाहते हैं कि वे पेंशन को बंद कराए जाने पर चर्चा करा लें या फिर इसे वापस लागू करने की घोषणा कर दें। भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि 25 जून 1975 आपातकाल लगने के बाद आंदोलनकारी जेल में डाल दिए गए थे। 19 माह जेल में रहे उन लोकतांत्रिक सेनानियों की पेंशन का निर्धारण हुआ था। हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार पेंशन को वापस शुरु करने का काम नहीं कर रही है। भाजपा विधायक नारायण चंदेल ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार के समय यह सम्मान निधि शुरु की गई थी। दुर्भाग्य है कि इसे बंद कर दिया गया। कोर्ट का आदेश हो चुका है अब इसे वापस शुरु किया जाए। भाजपा विधायक सौरभ सिंह ने कहा कि राजनीतिक कारणों से इस पेंशन को बंद कर दिया गया। इसे वापस लागू किया जाए। भाजपा विधायक रजनीश सिंह ने कहा कि आपातकाल में राजनीतिक पार्टी के नेता ही नहीं बल्कि पत्रकार एवं अन्य क्षेत्र के लोग भी जेल गए थे। हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए पेंशन वापस शुरु की जानी चाहिए। भाजपा विधायक श्रीमती रंजना डिपेंद्र साहू ने कहा कि इतिहास में दर्ज है कि आपातकाल में कुछ महिलाएं भी जेल गई थीं। सरकार सहृदयता दिखाते हुए बंद पेंशन को वापस शुरु करे।
विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी ने जब अन्य विषयों पर ध्यानाकर्षण की सूचनाएं लेने की घोषणा की भाजपा विधायकगण शोर मचाने लगे। पेंशन वापस शुरु करने की मांग को लेकर नारेबाजी करने लगे। उपाध्यक्ष को सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।