मिसाल न्यूज़
रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि मेरे लोकसभा चुनाव लड़ने ले भाजपा को समझ में आ गया है कि न केवल राजनांदगांव बल्कि पूरे प्रदेश में उसको नुकसान होने वाला है। यही कारण है कि ईडी का गलत इस्तेमाल करते हुए मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी गई है। मैं गीदड़ भभकियों से न डरने वाला और न ही पीछे हटने वाला।
राजीव भवन में आज प्रेस वार्ता में भूपेश बघेल ने कहा कि एफआईआर की जो कॉपी मुझे मिली है उसके अनुसार यह एफआईआर चार मार्च को रायपुर में दर्ज की गई है। लेकिन इसे जारी किया गया दिल्ली में आज यानी 17 मार्च को। आमतौर पर एफ़आईआर तुरंत ही सार्वजनिक कर दी जाती है तो क्यों इसे छिपा कर रखा गया और क्यों इसे दिल्ली से जारी किया गया? इससे स्पष्ट होता है कि राजनीतिक उद्देश्य से ही यह एफ़आईआर की गई। जिस समय एफ़आईआर दर्ज की गई वह वही समय था जब मेरा नाम राजनांदगांव से कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी के रूप में अख़बारों और टेलीविज़न चैनलों में आ रहा था। जाहिर है कि इसी से डरकर भाजपा ने आनन फ़ानन में एफ़आईआर में मेरा नाम डालने की साज़िश रची। ऐसा कोई विवरण एफआईआर में नहीं है जिससे यह साबित हो कि महादेव ऐप के संचालकों को संरक्षण देने में मेरी कोई भूमिका थी। इस एफआईआर में कहा गया है कि वैधानिक कार्रवाई को रोकने के लिए विभिन्न पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों तथा प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तियों का संरक्षण प्राप्त किया गया। अब सवाल यह है कि जब इन विभिन्न लोगों में किसी का नाम नहीं है तो छत्तीसगढ़ पुलिस को मेरा ही नाम दर्ज करने की क्यों सूझी? अगर ईओडब्लू के पास इन विभिन्न लोगों के नाम थे तो उनके नाम एफआईआर में क्यों नहीं हैं? और अगर मेरा नाम है तो विभिन्न लोगों के नाम क्यों नहीं हैं?
बघेल ने कहा कि मेरे मुख्यमंत्रित्व काल में ही महादेव ऐप की जांच शुरु हुई थी और गिरफ़्तारियों का सिलसिला शुरु हुआ था। महादेव ऐप की तरह की सट्टेबाज़ी को रोकने के लिए 2022 में हमने जुआ और सट्टा अधिनियम में परिवर्तन भी किया था। हमने ही महादेव ऐप के संचालकों सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल के खिलाफ एलओसी यानी लुक आउट सर्कुलर जारी किया था। यह वही भाजपा है कि जिसमें देश के सबसे बड़े लॉटरी का धंधा करने वाली कंपनी फ़्यूचर गेमिंग से 1368 करोड़ रुपए चुनावी चंदे के रूप में लिए हैं। पहले मेरी सरकार पर महादेव ऐप को संरक्षण देने का आरोप था पर यह ऐप तो अभी भी चल रहा है, सवाल यह है कि हमारी सरकार हटने के बाद इसे कौन संरक्षण दे रहा, नरेंद्र मोदी की गारंटी या विष्णुदेव साय का सुशासन?