नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बरसों से पदस्थ जवान अवसाद में, आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं… विधानसभा में उठी आवाज…

मिसाल न्यूज़

रायपुर। विधानसभा में आज नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बरसों से पदस्थ पुलिस जवानों की तकलीफों को लेकर कांग्रेस विधायकों ने आवाज उठाई और उनके स्थानांतरण की जरूरत बताई।

प्रश्नकाल में कांग्रेस विधायक श्रीमती सावित्री मंडावी ने कहा कि हमारा बस्तर संभाग नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। पुलिस विभाग के कितने ही जवानों को 10 वर्ष से अधिक समय से यहां पदस्थ करके रखा गया है। ऐसी स्थिति में वे अवसाद में रहते हैं। आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। सरकार ने इनके लिए जो स्थानांतरण नीति बना रखी है आखिर उसका परिपालन कब होगा? उप मुख्यमंत्री (गृह विभाग) विजय शर्मा ने कहा कि बस्तर में पदस्थ उप निरीक्षक स्तर के अधिकारियों व अन्य पुलिस कर्मचारियों को बराबर पदोन्नति दी जाती रही है। यदि कोई 3 साल से ज़्यादा का समय गुजार चुका है या आयु 54 वर्ष से ऊपर हो चुकी है तो स्थानांतरण का प्रावधान है, जिसका पालन किया जा रहा है। सावित्री मंडावी ने कहा कि कुछ लोग पहुंच के बल पर जहां दो-तीन साल में ही बस्तर से बाहर निकल लेते हैं, वहीं कितने ही ऐसे लोग हैं जिन्हें 9 से 10 साल हो गए बस्तर में ही डटे रहना पड़ रहा है। पुलिस कर्मियों को आवास उपलब्ध नहीं हो पाना भी बड़ा समस्या है। विजय शर्मा ने कहा कि आवास को लेकर स्थिति वाकई चिंताजनक है। 66 हजार के विरुद्ध 18 हजार आवास ही उपलब्ध हैं। पिछले पांच वर्षों में जब हमारी सरकार नहीं थी तब 2 हजार ही आवास बने थे।

कांग्रेस विधायक विक्रम मंडावी ने कहा कि ऐसे भी पुलिस कर्मचारी हैं जो 20-22 साल से बस्तर में पदस्थ हैं। उनका स्थानांतरण नहीं हो रहा। शर्मा ने कहा कि व्यवस्था ऐसी है कि आरक्षक हैं तो दस साल रहेंगे ही। सघन नक्सल क्षेत्र में पदस्थ जवानों को 50 प्रतिशत अधिक राशि का प्रावधान है। इस कारण भी बहुत से जवान वहां सेवाएं देते रहना चाहते हैं।

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