मिसाल न्यूज़
रायपुर। महापौर एजाज़ ढेबर ने कहा कि रायपुर की तरह इंदौर शहर में फ्लैक्स वॉर नहींं चलता। यहां तो नेताओं के जन्म दिन फ्लैक्स 10-10 दिन तक टंगे रहते हैं। वहां चार-पांच घंटे के लिए ही लगाए जाते हैं। वह भी नगर निगम की परमिशन पर। इंदौर में लोग पुलिस से कम, नगर निगम से ज़्यादा डरते हैं। इंदौर नगर निगम को शहर के विकास के लिए केन्द्र सरकार सालाना 300 करोड़ मिलता है। हमें 40-50 करोड़ भी मिल जाए तो रायपुर शहर की तस्वीर पूरी तरह बदल दें। हम केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी से मिलकर अनुरोध करेंगे कि इंदौर की तरह रायपुर के विकाास के लिए भी राशि उपलब्ध कराएं।
महापौर एजाज़ ढेबर ने आज निगम दफ़्तर में पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि पिछले दिनों हमारे 72 लोगों का दल इंदौर, चंडीगढ़ व मोहाली शैक्षणिक टूर पर गया था। इस टूर में महापौर, सभापति, नेता प्रतिपक्ष, सत्ता पक्ष व विपक्ष के पार्षदगण तथा जोन कमिश्नर शामिल थे। हमने जानने की कोशिश की कि आखिर ऐसा कौन सा कारण है कि स्वच्छता में इंदौर की रैकिंग नंबर वन पर आई। इंदौर में हमने पाया कि वहां रोजाना 3 बार सफाई होती है। चाहे दोपहर में हो या रात 2 बजे हो। मैं खुद बाइक में घुमकर वहां के सफाई सिस्टम को देखा। इंदौर नगर निगम अंतर्गत 19 जोन एवं 85 वार्ड हैं। वहां क़रीब 8 हजार सफाई कर्मचारी कार्यरत हैं। वहां 600 गाड़ियां डोर टू डोर कचरा कलेक्शन करती हैं। हमारे पास सफाई के लिए जहां 4 मैकेनाइज़ गाड़ियां हैं उनके पास 23 हैं। इंदौर में एनजीओ सफाई के काम में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। वहां एनजीओ से जुड़े लोग खुद गाड़ी में बैठकर कचरा कलेक्शन के लिए निकलते हैं। हमारे यहां सूखा एवं गीला दो प्रकार के कचरे का कलेक्शन किया जाता है, उनके यहां 6 प्रकार के कचरे का कलेक्शन किया जाता है। सबसे बड़ी बात यह कि इंदौर में सफाई का काम ठेका प्रथा में नहीं होता। वहां कचरे में फेंकी गई पॉलीथिन को री साइकल कर सीमेन्ट प्लांट भेजा जाता है। इंदौर में कचरा बीनने वाली बाइयों की प्रतिभा का सही उपयोग किया गया। उन्हें कचरा अलग-अलग करने की ख़ास ट्रेनिंग दी गई। पहले उनका दिन भर में 150 से 200 रुपये का ही जुगाड़ हो पाता था। आज वे 400 से 500 रुपये कमा रही हैं। इंदौर में 100 प्रतिशत कचरों का निष्पादन होता है। इंदौर में अनुशासन इतना सख्त है कि सड़कों पर घुमने वाले आवारा पशुओं को यदि नगर निगम पकड़ लेता है तो मुख्यमंत्री का भी फोन आ जाए, उन्हें छोड़े जाने की गुंजाइश नहीं रहती। इंदौर शहर आवारा कुत्तों की नसबंदी के माले में भी सफल है। वहां कुत्तों की बजाय कुतिया की नसबंदी पर ज़्यादा जोर रहता है। चंडीगढ़ जाने पर हमें मालूम हुआ कि वहां 1800 गॉर्डन हैं और मोहाली में हरियाली ही हरियाली।
महापौर ने कहा कि रायपुर नगर निगम के सारे 70 पार्षद दलगत सोच से ऊपर उठकर काम करें हमारे शहर को भी स्वच्छता में नंबर वन पर आने में देर नहीं लगेगी। पत्रकार वार्ता में नगर निगम की मेयर इन कौंसिल के सदस्य ज्ञानेश शर्मा, श्री कुमार मेनन, सुंदर जोगी एवं स्वास्थ्य अधिकारी विजय पांडे मौजूद थे।