उत्पादन से अधिक धान समर्थन मूल्य पर खरीदने का फर्जीवाड़ा… नारेबाजी करते हुए कांग्रेस विधायकों का सदन से वाक आउट…

मिसाल न्यूज़

रायपुर। विधानसभा में आज विपक्षी कांग्रेस विधायक दल ने आरोप लगाया कि कुल उत्पादन से 36% अधिक धान समर्थन मूल्य पर खरीदने का फर्जीवाड़ा हुआ है। विपक्ष व्दारा इस पर स्थगन प्रस्ताव लाया गया, जिस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने चर्चा कराने से इंकार कर दिया। विरोध में विपक्षी विधायक सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सदन से वाक आउट कर गए।

शून्यकाल में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि धान के मामले में 13 हजार करोड़ का घपला हुआ है। खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में छत्तीसगढ़ में 149 लाख 25 हजार मीट्रिक टन धान का समर्थन मूल्य पर उपार्जन किया जाना बताया जा रहा है। जबकि खरीफ 2024  में पूरे प्रदेश में धान का कुल उत्पादन ही कृषि विभाग व्दारा 110 लाख 11 हजार मीट्रिक टन प्रतिवेदित है। यह असंभव है कि कुल उत्पादन से 36% अधिक धान समर्थन मूल्य पर खरीदा जाए। समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी मात्रा के अतिरिक्त कृषि उपज मंडियों में भी लगभग 15 लाख मीट्रिक टन धान का विपणन हुआ है। धान उत्पादन की सम्पूर्ण मात्रा का बाजार में विपणन होता भी नहीं है। किसानों के व्दारा प्रमाणित बीज उत्पादन योजना के अन्तर्गत भी लाखों टन धान दिया जाता है और अपने परिवार के खाने के लिए भी बड़ी मात्रा में धान का उपयोग किया जाता है। खाद्य विभाग के व्दारा समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की अनुमानित मात्रा 160 लाख मीट्रिक टन थी। खरीफ 2023 सीजन में धान का कुल उत्पादन 100 लाख 30 हजार मीट्रिक टन था। उत्पादन की इस मात्रा के आधार पर खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 के लिए समर्थन मूल्य पर उपार्जन की मात्रा का अनुमान लगाया जाना चाहिए था जो कि नहीं लगाकर वास्तविकता से बहुत अधिक लगाया गया। खरीफ 2024 के धान उत्पादन की औसत मात्रा ज्ञात करने के लिए फसल बीमा योजनान्तर्गत प्रत्येक ग्राम में क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट किया जाता है, जो पूरी तरह से वैज्ञानिक विधियों पर आधारित होता है और इसके परिणाम को अस्वीकार नहीं किया जा सकता। पूरे प्रदेश में किये गये क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट के परिणामों के अनुसार धान का औसत उत्पादन 12 क्विंटल प्रति एकड़ से अधिक नहीं है। इस परिणाम से तुलना करने पर भी धान का कुल उत्पादन लगभग 110 लाख मीट्रिक टन ही होता है। उपार्जन की अनुमानित मात्रा 160 लाख मीट्रिक टन बहुत अधिक होने के कारण धान खरीदी केन्द्र प्रभारियों, राईस मिलर्स और दलालों को मिलीभगत करके किसानों से वास्तविकता से अधिक धान की खरीदी करने का फर्जीवाड़ा करने का सुअवसर प्राप्त हो गया। डॉ. महंत ने कहा कि सदन की कार्यवाही रोककर इस गंभीर विषय पर लाए गए स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराने की अनुमति प्रदान करें।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत अन्य कांग्रेस विधायकगण विक्रम मंडावी, दलेश्वर साहू, श्रीमती संगीता सिन्हा, ब्यास कश्यप एवं लालजीत सिंह राठिया ने भी अपनी बात रखते हुए स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराने की मांग की।

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में हुए धान उपार्जन को लेकर लाए गए स्थगन प्रस्ताव का मैंने अवलोकन किया। अभी विपक्षी विधायकों के विचारों को भी सुना। इसी सत्र में पूर्व में इस विषय पर चर्चा हो चुकी है। अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान भी यह विषय आ चुका है। इसलिए मैंने स्थगन प्रस्ताव को अग्राह्य कर दिया है। चर्चा की अनुमति नहीं मिलने पर कांग्रेस विधायक सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सदन से वाक आउट कर गए।

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