मिसाल न्यूज़
रायपुर। कांग्रेस नेता एवं मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा ने आरोप लगाया कि भाजपा अब तक धर्म को राजनीति से जोड़ते रही थी, इस बार के चुनाव में अपराध को राजनीति से जोड़ा है। महादेव एप्प इसका जीता जागता उदाहरण है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राष्ट्रीय मीडिया समन्वयक सिद्धार्थनाथ सिंह ने जिस तरह महादेव एप्प के कथित आरोपी के साथ मेरा नाम जोड़ा है, उसके लिए माफी मांगें अन्यथा मान हानि के मुकदमे का सामना करने तैयार रहें।
राजीव भवन में आज पत्रकार वार्ता में विनोद वर्मा ने कहा कि पूर्व में ईडी ने मेरे अलावा मुख्यमंत्री के दो ओएसडी आशीष वर्मा और मनीष बंछोर के घर छापा मारा था। तीनों के बयान दर्ज करने के बाद कुछ न मिला तो वे विजय भाटिया के घर छापा मारने पहुंच गए। भाटिया जी के यहां छापा मारने और बयान लेते वक़्त अमानवीय बर्ताव भी किया गया। वहां पर भी ईडी को कुछ हासिल नहीं हुआ। जब उन्हें कुछ नहीं मिला तो ऐन चुनाव के वक़्त एक नया षड़यंत्र रचा गया। तीन नवंबर को एक व्यक्ति को गिरफ़्तार किया गया। उसकी कार और घर से करोड़ों रुपए बरामद किए गए। फिर उसका कथित बयान सामने आया कि उसे ये रुपए किसी राजनीतिक बघेल को पहुंचाने को कहा गया था। उसके कथित बयान के आधार पर ही ईडी ने कह किया कि वह बघेल और कोई नहीं बल्कि राज्य के निर्वाचित मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं और उन्हें 508 करोड़ रुपए पहुंचाए गए हैं। अपनी प्रेस रिलीज़ में ईडी ने उसी गिरफ़्तार व्यक्ति के कथित बयान के हवाले से कहा कि यह पैसे महादेव ऐप के मैनेजर शुभम सोनी नाम के व्यक्ति के ज़रिए पहुंचे हैं। हालांकि ईडी व्दारा चतुराई से यह भी कह दिया गया कि अभी ये जांच का विषय है। इसके दो दिन बाद मीडिया में एक वीडियो अवतरित हुआ। देश के सभी प्रमुख चैनलों ने इसे ग़ैर ज़िम्मेदाराना ढंग से प्रसारित किया। स्पष्ट रूप से काट छांट कर जारी किया गया। इस वीडियो में शुभम सोनी नाम का व्यक्ति यह कहता है कि उसे किसी ‘वर्मा जी’ ने उसे मुख्यमंत्री से मिलवाया। वह इस ‘वर्मा जी’का नाम बार बार लेता है। वह दावा करता है कि वह ख़ुद महादेव ऐप का मालिक है और अब तक जिस रवि उप्पल और सौरभ चंद्राकर को ईडी महादेव ऐप का मालिक बता रही थी वे उसके नौकर हैं। इससे किसी को आश्चर्य नहीं हुआ कि वीडियो जारी होते ही भाजपा ने इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने में ज़रा भी देर नहीं की। आनन फ़ानन में इसे सोशल मीडिया पर डालकर सवाल पूछे जाने लगे और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अपराधी बनाकर पेश करने की कोशिश की गई।
विनोद वर्मा ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राष्ट्रीय मीडिया समन्वयक सिद्धार्थ नाथ सिंह ने रायपुर में भाजपा कार्यालय में एक पत्रकार वार्ता बुलाई और इस वीडियो पर टिप्पणियां कीं। उनके साथ भाजपा के प्रदेश प्रवक्तागण केदार गुप्ता और अनुराग अग्रवाल भी इस पत्र वार्ता में शामिल थे। सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बिना हिचक व बिना संकोच के कह दिया कि शुभम सोनी ने जिस ‘वर्मा जी’ का नाम बार बार लिया वह और कोई नहीं बल्कि विनोद वर्मा है यानी मैं। उन्होंने विनोद वर्मा का नाम लेने के बाद जिस तरह से विवरण दिए उसमें संदेह नहीं है कि वह मेरा ही ज़िक्र कर रहे थे। विनोद वर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में लाखों वर्मा होंगे। हज़ारों लोगों को वर्मा के नाम से पुकारा जाता होगा। आखिर भाजपा के राष्ट्रीय व प्रदेश प्रवक्ता किस आधार पर इस नतीजे पर पहुंचे कि वह वर्मा जी और कोई नहीं विनोद वर्मा है? मैं न किसी शुभम सोनी को जानता हूं और न कभी उससे मिला हूं। मेरा नाम प्रवक्तागणों की ओर से जान-बूझकर व अवैधानिक ढंग से लिया गया है। यह मुझे बदनाम करने की सोच समझकर चली गई एक कुत्सित राजनीतिक चाल है। 8 नवंबर को मेरे वकील की ओर से सिद्धार्थनाथ सिंह, केदार गुप्ता और अनुराग अग्रवाल को नोटिस भेज दी गई है। अगर वे अपने बयान के लिए सार्वजनिक रूप से खेद व्यक्त नहीं करते और अपना बयान वापस नहीं लेते हैं तो मैं इन तीनों भाजपा प्रवक्ताओं के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करवाऊंगा।
विनोद वर्मा ने कहा कि महादेव एप्प की जांच का काम छत्तीसगढ़ पुलिस ने शुरु किया था। अब तक 72 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। 449 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है। 191 लैपटॉप, 865 मोबाइल फ़ोन, डेढ़ करोड़ से अधिक की संपत्ति और 16 करोड़ रुपए बैंक खातों में ज़ब्त किए गए हैं। छत्तीसगढ़ पुलिस ने जांच में पाया कि महादेव एप्प के संचालक रवि उप्पल और सौरभ चंद्राकर हैं। इसके बाद पुलिस ने इन दोनों के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया।इसके बाद से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार कह रहे हैं कि इन अपराधियों को केंद्र सरकार गिरफ़्तार करें क्योंकि वे इस देश में नहीं रहते। छत्तीसगढ़ पुलिस के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता कि वे किसी अपराधी को किसी दूसरे देश से गिरफ़्तार करके लाएं। महादेव एप्प पर प्रतिबंध लगाने की मांग वे बार-बार करते रहे थे। उन्होंने आशंका ज़ाहिर की थी कि एप्प पर रोक इसलिए नहीं लग रही है कि क्योंकि भाजपा के लोगों से संचालकों की सांठगांठ हो गई है। आखिरकार तीन दिन पहले केंद्र सरकार ने महादेव एप्प को बंद करने का दावा किया। दिलचस्प और हैरान करने वाली बात यह है कि उसी शाम एक समाचार चैनल ने दिखा दिया कि रोक लगाने की बात बेकार है क्योंकि एप्प तो बकायदा चल रहा है और सट्टेबाज़ी का खेल निर्बाध रूप से जारी है।