■ अनिरुद्ध दुबे / मिसाल न्यूज़
डायरेक्टर मनोज वर्मा की बहुप्रतीक्षित छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘सुकवा’ 10 जनवरी को प्रदर्शित होने जा रही है। प्रदर्शन से कुछ घंटों पहले डायरेक्टर मनोज वर्मा ने ‘मिसाल न्यूज़’ से ख़ास बातचीत में ‘सुकवा’ शब्द पर रोशनी डालते हुए बताया कि “सुकवा यानी शुक्र तारा। ‘सुकवा’ यानी सुबह का तारा, भोर का तारा। ‘सुकवा’… इस नाम में ही अपना अलग आकर्षण है।
मनोज वर्मा से हुई बातचीत के मुख्य अंश यहां प्रस्तुत हैं-
0 जानी-मानी छत्तीसगढ़ी लोक गायिका गरिमा दिवाकर को ‘सुकवा’ में लेने के पीछे क्या वज़ह रही…
00 गरिमा को काफ़ी पहले से जानता हूं। बहुत प्रतिभाशाली लड़की है। जब वह छोटी थी उसने एक वीडियो बनाकर भेजा था। उसमें वह डराने वाले करैक्टर में नज़र आई थी। चूंकि ‘सुकवा’ में भूत-प्रेत भी दिखाए गए हैं, अतः जब हम फ़िल्म का प्लॉन कर रहे थे अलग हटकर एक नये चेहरे की तलाश थी। लगा कि वह नया चेहरा गरिमा दिवाकर से बेहतर और कोई नहीं हो सकता। इन दिनों वह नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा दिल्ली से कोर्स कर रही है। मैंने उससे संपर्क किया। ‘सुकवा’ का रोल सुनकर उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। ‘सुकवा’ करने वह सहर्ष तैयार हो गई।
0 इस समय की फ़ेमस जोड़ी मन कुरैशी एवं दीक्षा जायसवाल को आख़िर आपने भी ‘सुकवा’ के लिए चुना…
00 इसमें कोई शक नहीं कि मन व दीक्षा की जोड़ी इस समय हिट है। मन अक्सर कहा करता था अब कुछ अलग हटकर करना चाहता हूं। ‘सुकवा’ में नया मन देखने को मिलेगा। हमारे कस्बों व गावों में अच्छी पृष्ठभूमि की जो आम लड़कियां नज़र आती हैं वह बात दीक्षा में है। फिर मेरी फ़िल्में कस्बों व गांवों के ज़्यादा इर्द-गिर्द घुमती नज़र आती हैं।
0 ‘भूलन द मेज़’ से आप राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त डायरेक्टर कहलाने लगे हैं। अब बात ‘सुकवा’ की है तो इसकी मेकिंग के समय कितने दबाव में रहे होंगे…
00 इसमें कोई दो मत नहीं कि ‘भूलन द मेज़’ में कुछ अलग ही बात रही। लेकिन ये भी सच है कि कोई भी फ़िल्म रहे अपना 100 प्रतिशत देने की कोशिश में रहता हूं। कोई जगह नहीं छोड़ता। हमेशा मन में यही चलते रहता है कि लोगों की उम्मीदों पर खरे उतरना है। किसी भी सूरत में फ़िल्म अच्छी ही बनानी है।
0 यह बात कम लोग जानते हैं कि मनोज वर्मा गाते हैं। इस्टूमेंट भी बजा लेते हैं। अपनी फ़िल्मों में संगीत को कहां पर रखते हैं…
00 मैंने अब तक जितनी भी फ़िल्में की उनमें छत्तीसगढ़ी लोक संगीत का समावेश रहा। मैंने लोक संगीत में डिप्लोमा किया है। लोक संगीत में थोड़ा शिक्षित होने पर सिनेमा का संगीत मेरे लिए और आसान हुआ। ‘सुकवा’ के दो गीत तो पूरी तरह लोक संगीत पर हैं। कोशिश यही रहती है कि संगीत में जो कुछ भी सीख पाया उसे सिनेमा के माध्यम से लोगों तक पहुंचा सकूं।
0 देखा गया आपकी हर फ़िल्म में संगीत गायक व संगीतकार सुनील सोनी का ही होता है…
00 संगीत को लेकर सुनील सोनी से मेरा हमेशा से अच्छा तालमेल बैठते रहा है। मैं क्या चाहता हूं उसे समझने में देर नहीं लगती। यही नहीं मैंने और सुनील सोनी ने ‘सुकवा’ के गाने भी लिखे हैं।
0 प्रोड्यूसर गजेन्द्र श्रीवास्तव के साथ कैसा तालमेल रहा…
00 गजेन्द्र जी जॉली नेचर के हैं। हमेशा हल्के फुल्के मूड में रहते हैं। काम के समय में उनकी तरफ से किसी तरह की टोकाटाकी नहीं रहती। ‘सुकवा’ के पूरे शूट के समय में उन्होंने किसी भी तरह का कोई दख़ल नहीं दिया। उनके भीतर काफ़ी एनर्जी है। इस उम्र में भी वे जिस स्टाइल में रहते हैं प्रोड्यूसर से ज़्यादा डायरेक्टर नज़र आते हैं। छत्तीसगढ़ी सिनेमा को ऐसे ही जिंदा दिल प्रोड्यूसरों की ज़रूरत है।
डायरेक्टर मनोज वर्मा के साथ ‘मिसाल न्यूज़ ‘ के चीफ एडिटर अनिरुद्ध दुबे