मिसाल न्यूज़
रायपुर। विधानसभा में आज भाजपा विधायक प्रबोध मिंज ने दिव्यांगजनों के साथ हो रहे अन्याय को लेकर आवाज उठाई। मिंज ने कहा कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम प्रदेश में दो बार लागू हो चुका है। 7 वर्षों से केवल चिन्हांकन का काम चल रहा है। दिव्यांगजनों की न भर्ती हो पा रही है, न पदोन्न्ति हो पा रही है। यह दिव्यांगजनों के साथ सरासर अन्याय है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने स्वयं इस मसले को संज्ञान में लेते हुए कहा कि मुख्य सचिव एवं विभाग के प्रमुख सचिव इस विषय पर चिंता करें। 6 माह के भीतर समाधान निकल आना चाहिए।
प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक प्रबोध मिंज का सवाल था कि राज्य में समस्त विभागों हेतु दिव्यांगजन अधिनियम 1995 के तहत दिव्यांगजन हेतु पदों का चिन्हांकन कब किया गया था? क्या दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के तहत पदों का चिन्हांकन किया गया है? यदि नहीं तो कब तक कर लिया जायेगा? भारत सरकार की अधिसूचना 4 जनवरी 2021 अनुसार दिव्यांगजन हेतु चिन्हांकित संवर्गवार पदों को छत्तीसगढ़ राज्य में अनुकूलन किये जाने की कार्यवाही कब तक पूर्ण कर ली जावेगी?
समाज कल्याण मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े की ओर से जवाब आया कि व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण एवं पूर्ण भागीदारी) अधिनियम 1995 के तहत दिव्यांगजनों हेतु पदों का चिन्हांकन 25 सितंबर 2014 व्दारा किया गया था। दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के तहत पदों के चिन्हांकन का कार्य वर्तमान में प्रक्रियाधीन है। भारत सरकार की अधिसूचना 4 जनवरी 2021 अनुसार दिव्यांगजन हेतु चिन्हांकित संवर्गवार पदों को छत्तीसगढ़ राज्य में अनुकूलन किये जाने की कार्यवाही हेतु समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
प्रबोध मिंज ने कहा कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम प्रदेश में 2016 से लागू है। 2023 में फिर से लागू हुआ। 7 वर्षों से केवल चिन्हांकन का काम चल रहा है। दिव्यांगजनों की न भर्ती हो पा रही है, न पदोन्न्ति हो पा रही है। यह दिव्यांगजनों के साथ सरासर अन्याय है। दोषी लोगों पर क्या कार्यवाही होगी? श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा कि 2016 से यह प्रक्रियाधीन है। इस पर अब तक 24 विभागों का ही अभिमत मिल पाया है। 26 विभागों का अभिमत आना बाकी है। यही कारण है कि 2023 अधिनियम अब तक लागू नहीं हो पाया है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि 2016 से हम 2025 पर आ गए। नौ साल हो गए। दिव्यांगजनों के प्रति विभागों को संवेदनशील होना चाहिए। अब तक केवल चिन्हांकन का ही कार्य चल रहा है। इसे जल्द से जल्द पूरा करने की व्यवस्था करें। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि दिव्यांगजनों से जुड़ा मुद्दा मोदी जी के घोषणा पत्र में था। जो कुछ हो रहा वह दिव्यांगजनों के साथ धोखा है। अमानवीय व्यवहार है। दोषी लोगों के खिलाफ सजा निर्धारित करना चाहिए। 24 विभागों का अभिमत आया, 26 विभागों का नहीं आया, यह बात हजम नहीं होती। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा इस विषय पर मुख्य सचिव एवं विभाग के प्रमुख सचिव चिंता करें। 6 माह के भीतर समाधान निकल आना चाहिए।