● कारवां (4 सितम्बर 2022)- शाह बैलों को पूजे, मोहन भागवत फरा चीला खाएंगे

■ अनिरुद्ध दुबे

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अब प्रदेश के विपक्षियों के बजाए राष्ट्रीय स्तर के विपक्षी नेताओं पर ज़्यादा वार करते नज़र आ रहे हैं। पिछले तीन-चार दिनों में मुख्यमंत्री जिन सार्वजिनक कार्यक्रमों में गए वे केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर कटाक्ष करते नज़र आए। मुख्यमंत्री जगह-जगह यही बोले कि “जिस छत्तीसगढ़ की संस्कृति की हम बात किया करते थे उसका महत्व भाजपा के लोगों अब कहीं जाकर समझ आ रहा है। यही कारण है कि अमित शाह पोला के दिन रायपुर आए तो मोदी पर केन्द्रित पुस्तक पर रखे गए सेमिनार में हिस्सा लेने से पहले बैलों की पूजा किए। अब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत आने वाले हैं। वे यहां फरा और चीला खाएंगे। पहले ये रोटी पीठा को मान नहीं देते थे लेकिन अब देंगे।“ वहीं एक अन्य कार्यक्रम में वन मंत्री मोहम्मद अक़बर यह कहते नज़र आए कि “मोदी जी छत्तीसगढ़ से प्रभावित होकर जो काम करना है कर जाएं, लेकिन गेड़ी चढ़ने का काम न करें। उम्र के हिसाब से ऐसा करना खतरा है। गेड़ी भूपेश जी के लिए ही ठीक है।“

कौन है बैजू…

वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद ने यह कहते हुए कांग्रेस छोड़ी कि “राहुल गांधी का व्यवहार बचकाना रहा है। इससे बदतर बात और क्या हो सकती है कि पार्टी के सारे बड़े फैसले राहुल के साथ-साथ उनके पीए व सूरक्षा कर्मी लेते रहे हैं।“ आज़ाद के इस तरह के आरोप के बाद से रायपुर में कई कांग्रेसी यह जानने की कोशिश में लगे नज़र आ रहे हैं कि ये बैजू कौन है? बताते हैं बैजू सूरक्षा से जुड़ा विशेषज्ञ है। दिल्ली वाले बाबा के रायपुर दौरे से पहले उनके कार्यक्रम की व्यवस्था और स्थल को देखने बैजू ही आया था। बताते हैं छोटे बाबा को मां व दीदी के बाद किसी पर भरोसा है तो वह बैजू ही है। बैजू कोई आज नहीं लंबे समय से साये की तरह छोटे बाबा के साथ चलते रहा है। रायपुर के कुछ नेताओं को इस बात का अहसास रहा है कि बैजू के बाजूओं में कितना दम है। 2018 की बात है। बैजू ने यह जानने की कोशिश की थी कि छत्तीसगढ़ से जीत सकने लायक कौन लोग हैं। बैजू से निकटता बना चुके छत्तीसगढ़ के कुछ लोग उन्हें फोन करके या वाट्स अप पर बताते रहते थे कि किसे कहां से टिकट देने पर मामला ठीक रहेगा। सुनने में यही आ रहा है कि आज़ाद के कड़वे बोल सामने आने के बाद बैजू भैया को जो लोग नहीं जानते थे वो लोग भी जानने लगे हैं।

सब पर भारी हाथी

वन मंत्री मोहम्मद अक़बर की गिनती ज्ञानी नेताओं में होती रही है। वहीं हाथी को सबसे बुद्धिमान जानवर माना जाता है। हाल ही में एक कार्यक्रम में मोहम्मद अक़बर ने हाथियों से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें सुधि श्रोताओं के सामने रखी। सबसे पहले उन्होंने कहा कि “छत्तीसगढ़ में हाथियों के रहने के लिए वन क्षेत्र निर्धारित है, लेकिन उन्हें भला कहां बॉर्डर लाइन का ज्ञान, इसलिए वे उससे बाहर निकलकर कहीं भी बढ़े चले जाते हैं।“ दूसरी बात उन्होंने कही कि “हाथी उन झोपड़ियों या मकानों को क्षतिग्रस्त कर देते हैं जहां से उन्हें धान या अनाज की महक आती है। उन्हें ऐसा करने से रोकने के लिए जगह-जगह धान व अनाज रखकर देखा गया। हाथी इन्हें देखकर रूकते ज़रूर थे लेकिन सोच में पड़ जाते थे तोड़-फोड़ जैसे बड़े संघर्ष के बाद यह सब मिलता है, खुले में पड़ा है यानी ज़रूर कुछ गड़बड़ है। ऐसे में हाथी बिना ठहरे वहां से निकल जाते थे।“ अक़बर भाई ने यह भी बताया कि “हाथी मधुमक्खियों के हमले से घबराते हैं। उन्हें खदेड़ने जगह-जगह ऐसे यंत्र लगाए गए जिसमें से मधुमक्खियों के झुंड की आवाज़ आती थी। पहले-पहले तो इन्हें इसका असर हुआ फिर ये समझ गए कि सिर्फ आवाज़ आती है कहीं कुछ दिखता नहीं। इस तरह ये प्रयोग भी बेअसर रहा।“

लाल हो चुके आला अफ़सरों

पर आयकर विभाग की नज़र

प्रशासनिक हल्कों में चर्चा यही है कि 10 आईएएस एवं 4 आईपीएस पर आयकर विभाग की नज़र है। इनके बारे में कहा यही जा रहा है कि बहुत कम समय में ये सब लाल हो गए। खुद इन अफ़सरों को इस बात का अहसास हो चुका है कि वे इस समय निशाने पर हैं। यह जानकारी मुखिया के संज्ञान में भी है। सूत्रों का कहना है कि यहां के आला अफ़सरों की रिपोर्ट पिछले कुछ महीनों से बराबर दिल्ली पहुंच रही है। किन अफ़सरों पर गाज गिरेगी यह तो आने वाले समय में पता चलेगा।

पांच महापौर आकर चले

गये,जस का तस भैंसथान

राजधानी रायपुर में रेल्वे स्टेशन से थोड़ी दूर पर अग्रसेन चौक एवं तेलघानी नाका चौक के बीच एक छोटा सा इलाका है, जिसे भैंसथान के नाम से जाना जाता है। कभी यहां गाय-भैंस व दूध का व्यापार हुआ करता था। जनवरी 1995 से दिसंबर 1999 तक रायपुर नगर निगम के महापौर बलबीर जुनेजा थे। जुनेजा ने बड़ा फैसला लेते हुए भैंसथान की क़रीब 3 एकड़ जमीन खाली करवाई। वह अविभाजित मध्यप्रदेश का समय था और रायपुर नगर निगम की माली हालत अक्सर ख़राब रहा करती थी। जुनेजा इस ज़मीन को बेचकर नगर निगम की आर्थिक स्थिति सुधारने के पक्ष में थे। इसके लिए नगर निगम की पुरानी बिल्डिंग के रविशंकर शुक्ल हाल में नीलामी रखवाई गई थी। तब कई बड़े सेठ रुपयों से भरा बेग लेकर नीलामी में शामिल होने पहुंचे थे। उस नीलामी में बोली लगाने नेता जग्गू सिंह ठाकुर सुटकेस के साथ रविशंकर शुक्ल हाल पहुंचे थे। यही जग्गू सिंह ठाकुर 2009 के चुनाव में निर्दलीय पार्षद चुनाव जीते थे और तत्कालीन महापौर श्रीमती किरणमयी नायक की मेयर इन कौंसिल के सदस्य भी बने थे। बहरहाल जुनेजा के महापौर कार्यकाल में अपेक्षाकृत बोली सामने नहीं आने के कारण भैंसथान की वह ज़मीन बिकने से रह गई। जुनेजा के बाद तरूण चटर्जी, सुनील सोनी, श्रीमती किरणमयी नायक, प्रमोद दुबे महापौर बने और इनके कार्यकाल में ज़मीन खाली ही पड़ी रही, किसी निष्कर्ष पर पहुंचा नहीं जा सका। महापौर एजाज़ ढेबर यह कहते हुए भैंसथान की ज़मीन बेचने का प्रस्ताव लाए थे कि “ऐसा करने से निगम की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी”, लेकिन उन्हीं के मेयर इन कौंसिल के सदस्य रितेश त्रिपाठी तथा रायपुर पश्चिम विधायक विकास उपाध्याय की ओर से इसका जमकर विरोध हुआ। उपाध्याय व त्रिपाठी खाली पड़ी इस ज़मीन को खेल का मैदान बनाए जाने के पक्ष में हैं। एजाज़ ढेबर ने कहा है कि “उपाध्याय व त्रिपाठी को विश्वास में लेकर ही किसी निर्णय पर पहुंचेंगे।“ देखते हैं आगे क्या होता है…..

महापौर ने पत्नी को

दिया ताज महल

80 के दशक में सुप्रसिद्ध ग़ज़ल सिंगर राजेन्द्र मेहता और नीना मेहता की एक ग़ज़ल खूब सुनी जाती थी- “जब आंचल रात का लहराए और सारा आलम सो जाए, तूम मुझसे मिलने शमा जलाकर ताज महल में आ जाना…।“ हाल ही में राजधानी रायपुर में महापौरों का राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ। इस आयोजन की ज़िम्मेदारी रायपुर महापौर एजाज़ ढेबर ने ले रखी थी। बाहर से यहां पहुंचे महापौरगण एजाज़ की ख़ातिरदारी से गदगद थे। समापन समारोह की मुख्य अतिथि राज्यपाल सुश्री अनुसूईया उइके थीं। महापौर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आगरा के महापौर नवीन जैन मंच पर थे। नवीन जैन ने कहा कि वे ताज महल के मॉडल से एजाज़ भाई का सम्मान करना चाहते हैं। ताज महल को देख एजाज़ अपनी भावनाओं को रोक नहीं पाए और मंच पर से ही उन्होंने अपनी पत्नी श्रीमती अर्जुमन ढेबर को आवाज़ दी और कहा कि “आ जाओ मिलकर ताज महल लेते हैं। अभी असली ताज़ महल तो बनवा नहीं सकता तो ताज का मॉडल ही सही।“ इस तरह एजाज़ एवं उनकी धर्मपत्नी ने महामहिम राज्यपाल के समक्ष ताज को स्वीकार करने का गौरव हासिल किया।

वाह रे पासधारी युवक

रायपुर एयरपोर्ट की तरफ लगातार आना-जाना करते रहने वाला एक युवक इन दिनों लोगों की निगाहों में चढ़ा हुआ है। बताते हैं उसका संबंध एक राष्ट्रीय पार्टी से है। गुजरात की तरफ उसके कनेक्शन हैं। अपनी पार्टी के वीआईपी लोगों के स्वागत के लिए छत्तीसगढ़ कोटे से उसका कोई दो साल का पास बना हुआ था। पास की अवधि पूरी होने पर उसने मध्यप्रदेश तरफ से पास बनवा लिया। यानी मध्यप्रदेश की तरफ का पास छत्तीसगढ़ में दौड़ रहा है। उसकी पार्टी का कोई वीआईपी पर्सन विमान से आए तो एयरपोर्ट पर उतरते ही पासधारी यह युवक उन्हें बुके देता है, फिर उन्हीं वीआईपी के सत्कार में लगी किसी गाड़ी में बैठकर वहां से निकल लेता है। बेचारे दूसरे संघर्षशील नेता व कार्यकर्ता वीआईपी के सत्कार के लिए जो पहुंचे हुए होते हैं वे लोग उस पासधारी युवक का जलवा देखकर अपनी किस्मत को कोसते रह जाते हैं।

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