रायपुर। पूर्व प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता एवं लेखक शिव ग्वालानी व उनकी पत्नी पूर्व पार्षद श्रीमती कविता ग्वालानी 13 सितंबर को जम्मू तवी एक्सप्रेस से श्री नगर जा रहे हैं। वहां ये मीडिया के माध्यम से कश्मीर के युवाओं से देश की मुख्य धारा में शामिल होने का आह्वान करेंगे।
शिव ग्वालानी ने बताया की 1985 में बाबा अमरनाथ की यात्रा एक दिन में हो जाया करती थी। सुबह पांच बजे सोनमर्ग से यात्रा घोड़े पर बैठकर आरम्भ होती थी। दोपहर तक सकरी पहाड़ियों की पगडंडियों को पार करते हुये लगभग तीन किलोमीटर बर्फीली पहाड़ी चट्टानों पर चलते हुये लोग बाबा अमरनाथ पहुंच जाया करते थे। बाबा के दर्शन परिक्रमा करके शाम ढलते ढलते सोनमर्ग पंहुच जाया करते थे। आज आतंकवादी हमलों के चलते बाबा अमरनाथ पंहुचने के पथ बदल दिये गये हैं। सुरक्षा कर्मियों व सैनिकों के साये में यात्रा होती है। आतंकवादी हमले होते हैं, साथ ही नये बने रुट में प्राकृतिक जलजले भी आते रहते हैं। तनाव में रहते हुये अब चार दिन लग जाते हैंं जबकि पहले मुस्लिम युवाओं की सुरक्षा में शार्ट रुट से एक दिन में ही यात्रा हो जाया करती थी। शिव ग्वालानी ने बताया कि 1985 में शफीक अली और रफीक अली ने हमें एक दिन में बाबा अमरनाथ की यात्रा कराई थी। हम एक दिन शफीक भाई के घर पर भी रहे। उस दौर में पर्यटकों को इतनी मोहब्बत मिलती थी कि धर्म पीछे रह जाते थे। तब कश्मीर में फ़िल्मों की शूटिंग भी हुआ करती थी। शादीशुदा जोड़ों की हनीमून के लिए पहली पसंद कश्मीर हुआ करता था। ग्वालानी ने बताया कि मैंने अपनी पुस्तक मास्टर आफ नथिंग WD में कश्मीर के युवाओं की मेहमाननवाज़ी का विस्तार से जिक्र किया है। अब 37 वर्षों बाद कश्मीरियत को फिर से जिंदा करने की अपील करने कश्मीर जा रहा हूं।