■ अनिरुद्ध दुबे
भानुप्रतापपुर उप चुनाव कई मायनों में यादगार रहेगा। एक तरफ आदिवासी आरक्षण की गूंज थी तो दूसरी तरफ भाजपा प्रत्याशी ब्रह्मानंद नेता पर कांग्रेस की ओर से लगातार गंभीर आरोप की झड़ी। उस पर भी 5 दिसंबर को चुनाव से ठीक पहले 1 व 2 दिसंबर को आरक्षण पर ही विधानसभा का विशेष सत्र हुआ। साथ में वहां के विधायक मनोज मंडावी के निधन पर उनकी पत्नी श्रीमती सावित्री मंडावी का कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उतरने पर कहीं न कहीं सहानुभूति तो साथ थी ही। इस तरह कांग्रेस के 21 हज़ार मतों से भी ज़्यादा बड़ी जीत के पीछे कारक आरक्षण मुद्दा, भाजपा प्रत्याशी पर लगाए गंभीर आरोप का चुनावी माहौल में घुला होना एवं सहानुभूति ये तीनों को माना जा सकता है। माना तो यह भी गया कि भानुप्रतापुर उप चुनाव में विकास कोई बड़ा मुद्दा नहीं रहा। फिर बात यह भी आई कि सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी अकबर कोर्राम 23 हज़ार से अधिक वोट पाये। आख़िर इन्होंने किसके वोट ज़्यादा काटे? सुनने यही मिल रहा कांग्रेस के। यानी सर्व आदिवासी समाज का प्रत्याशी मैदान में नहीं होता तो कांग्रेस की जीत और भी ज़्यादा मतों से होती।
शैलजा के प्रभारी
बनने के मायने
कुमारी शैलजा छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस प्रभारी नियुक्त की गई हैं। कांग्रेस के इस बड़े निर्णय को 2023 के आख़री में होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। शैलजा से पहले पी.एल. पुनिया छत्तीसगढ़ प्रभारी थे। वे पांच साल से अधिक समय तक प्रभारी रहे, जो कि अपने आप में रिकॉर्ड है। माना तो यही जाता है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की ज़मीन जो बंजर हो चुकी थी उसे उपजाऊ बनाने एवं बीज डालने का काम तत्कालीन छत्तीसगढ़ प्रभारी बी.के. हरिप्रसाद ने किया था। आगे जाकर कांग्रेस की ज़मीन पर फिर से अंकूर जो फूटने शुरु हुए उस पर खाद पानी डालने का काम पुनिया ने किया। पुनिया के प्रभारी रहते हुए में ही 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी। हरिप्रसाद के बारे में एक बात और बता दें कि उनके एवं तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल के बीच जबरदस्त तालमेल था। वे हरिप्रसाद ही थे जो कभी अजीत जोगी जैसे तेज तर्रार नेता के दबाव में नहीं आए। अब बात शैलजा की करें तो उनके बारे में यही कहा जाता है कि वे श्रीमती सोनिया गांधी की विश्वसनीय हैं। बातचीत में मृदुभाषी लेकिन कामकाज में उतनी ही तेज तर्रार। शैलजा के प्रभारी बनने पर प्रदेश के कितने ही कांग्रेसियों के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव दिखे। वजह यह कि छत्तीसगढ़ के कांग्रेस के अधिकांश चर्चित चेहरों को शैलजा अच्छी तरह जानती हैं। डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार में जब वे शहरी विकास मंत्री थीं ग़रीबों के लिए बनाए जाने वाले 28 हज़ार मकानों के निर्माण के शिलान्यास कार्यक्रम में रायपुर आई थीं। तब रायपुर के गांधी चौक मैदान में बड़ा शिलान्यास कार्यक्रम रखा गया था जिसमें शैलजा का भाषण भी हुआ था। कुछ ही महीनों पहले वे केन्द्र सरकार के ख़िलाफ प्रेस कान्फ्रेंस लेने रायपुर के राजीव भवन आई थीं। रायपुर के मीडिया जगत ने शैलजा की राजनीतिक शैली को नज़दीक से देखा है। फरवरी में रायपुर में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का जो राष्ट्रीय अधिवेशन होने जा रहा है उसकी तैयारियों में शैलजा की अहम् भूमिका होगी। अधिवेशन के बाद उन्हें 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लग जाना होगा। प्रभारी के रूप में शैलजा कितनी खरी उतर पाएंगी इसका आकलन आने वाले समय में ही हो पाएगा।
तो क्या प्रदेश कांग्रेस
अध्यक्ष भी बदलेंगे
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी बदलने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के बदलने की भी संभावना जताई जा रही है। यह कहते हुए कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव हो जाने और प्रदेश प्रभारी बदल जाने के बाद प्रदेश अध्यक्ष पद पर किसी नये का आना तय है। वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम हैं। 2018 में जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बन गई राहुल गांधी की दिली इच्छा थी इस प्रदेश का पार्टी अध्यक्ष आदिवासी समुदाय से हो। उन्होंने बस्तर के दो आदिवासी विधायकों मोहन मरकाम एवं मनोज मंडावी से सीधे साक्षात्कार करने दिल्ली बुलवाया था। मरकाम का नाम ओके हुआ और उनके अध्यक्ष बन जाने के कुछ समय बाद मंडावी छत्तीसगढ़ विधानसभा के उपाध्यक्ष बने। मंडावी के निधन के बाद इसी महीने की 5 तारीख़ को भानुप्रतापपुर में उप चुनाव हुआ जहां से उनकी पत्नी श्रीमती सावित्री मंडावी कांग्रेस की टिकट पर ही चुनाव जीती हैं। बहरहाल सवाल यह कि क्या छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष बदल सकता है? अंदर से तो ख़बर यही छनकर आ रही है कि मोहन मरकाम के विकल्प के रूप में दो नामों पर विचार करना शुरु कर दिया गया है- शिशुपाल सोरी एवं दीपक बैज। दोनों बस्तर के नेता हैं। गहरी समझ रखने वाले। सोरी विधायक हैं तो बैज सांसद। सोरी तो आईएएस भी रहे हैं। यानी उनके पास गहरा प्रशासनिक अनुभव भी है। चर्चा तो यही है कि नई कांग्रेस प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा 18 दिसंबर के बाद आएंगी। यदि प्रदेश अध्यक्ष बदले भी जाते हैं तो यह परिवर्तन दिसंबर-जनवरी में देखने मिलेगा या फरवरी 2023 में रायपुर में होने जा रहे पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद, बस बात यहीं पर जाकर फंसी हुई है। हमेशा उधेड़बुन में लगे रहने वाले कुछ कांग्रेसियों का कहना है कि अगले साल तो विधानसभा चुनाव ही है। फरवरी के बाद कोई नया प्रदेश अध्यक्ष आया तो उसे चीजों को समझने व तालमेल बिठाने में ही महीनों निकल जाएंगे। यदि परिवर्तन होना होगा तो दिसंबर-जनवरी में ही हो जाएगा।
अपराधियों के निशाने
पर मालदार रायपुर
अपराध जगत से जुड़े दूर बैठे लोगों को भी समझते देर नहीं लग रही है कि रायपुर मालदार शहर है। यहां आए दिन बाहरी लोगों व्दारा साइबर क्राइम को अंजाम देने की ख़बरें सामने आती रहती हैं। कम समझ रखने वाले साइबर क्राइम का शिकार हों तो समझ में आता है, यहां तो डॉक्टर, इंजीनियर, अधिकारी, सेवानिवृत्त अधिकारी लगातार साइबर क्राइम के शिकार हो रहे हैं, जिनके पास अनुभव का खज़ाना होता है। ताजा जानकारी यह कि हफ्ते दस दिन के भीतर रायपुर की दो शादी पार्टी में सूट बूट पहनकर आए चोरों ने स्टेज पर दुल्हा-दुल्हन के बाजू रखे नोटों वाले लिफाफों एवं कीमती गिफ्ट पर हाथ साफ कर दिया। ये चोर गिरोह मध्यप्रदेश का बताया जा रहा है। मध्यप्रदेश अपने आप में काफ़ी बड़ा राज्य है। फिर भी सूट बूट वाले चोरों को चोरी के लिए उपजाऊ जगह रायपुर नज़र आ रही है। वीडियो फूटेज देखने के बाद पुलिस महकमा हैरान है कि सूट बूट वाले चोर कितने आत्मविश्वास के साथ शादी पार्टी का हिस्सा बन जाते हैं और मौका पाते ही वर वधू को उपहार में मिले नोटों से भरे लिफाफों व अन्य गिफ्ट पर हाथ साफ कर जाते हैं।
पदाधिकारी ने आरडीए पर ही
लगाया सूचना का अधिकार
रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) की सारी एनर्जी भले ही कर्ज़ पटाने में जा रही हो और इस भार से वह किसी नये प्रोजेक्ट पर काम नहीं कर पा रहा हो लेकिन वह सुर्खियों में ज़रूर बने रहता है। अभी इस बात की जबरदस्त चर्चा है कि आरडीए संचालक मंडल के सदस्य राजेन्द्र पप्पू बंजारे ने आरडीए में ही सूचना के अधिकार के तहत सवाल पर सवाल लगा दिए हैं। आरडीए के इतिहास में ऐसा ग़ज़ब पहली बार हुआ है। वो ऐसे कि पप्पू राज्य सरकार व्दारा आरडीए में संचालक मंडल सदस्य के रूप में नियुक्त किए गए हैं। राज्य सरकार व्दारा नियुक्त कोई जन प्रतिनिधि उसी संस्था में सूचना का अधिकार लगा दे जहां कि उसे बिठाया गया हो तो ये है न ग़ज़ब।
सिंचाई कॉलोनी पर नज़र
प्राइवेट एजेन्सी की
छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल (हाउसिंग बोर्ड) क्या राजधानी रायपुर की उजाड़ी जा चुकी सिंचाई कॉलोनी शांति नगर में नई कोई योजना लाएगा इस पर यक्ष प्रश्न बरक़रार है। पहले तो यह तय हुआ था कि यहां बरसों पुराने बने सरकारी मकानों को तोड़ गिराने के बाद हाउसिंग बोर्ड आवासीय एवं व्यावसायिक प्रोजेक्ट लाएगा। सुनने में आ रहा है कि हाउसिंग बोर्ड इस योजना पर काम करेगा इसमें संशय है। शांति नगर की यह बेशकीमती ज़मीन किसी निजी एजेन्सी को निर्माण के लिए सौंपे जाने की तैयारी बताई जा रही है।