● कारवां (1 जनवरी 2023)- स्वर्ण तुल्य गोबर

■ अनिरुद्ध दुबे

छत्तीसगढ़ में सरकारी भवनों का रंग रोगन गोबर पेंट से किए जाने का जो निर्णय हुआ है उसकी केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दिल खोलकर तारीफ़ की है। गडकरी ने ट्विट कर कहा कि “छत्तीसगढ़ ने गोबर पेंट की जो परंपरा शुरु की उसका अभिनंदन करते हैं।“ केन्द्र सरकार के गडकरी ऐसे मंत्री हैं जिनके साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का अच्छा तालमेल बैठता है। पिछले साल गडकरी जब रायपुर आए थे तो बघेल के अनुरोध पर उनका आधे घंटे के लिए सीएम हाउस का कार्यक्रम तय हुआ था। जब गडकरी सीएम हाउस पहुंचे तो वहां उन्हें स्वागत सत्कार सब कुछ इतना अच्छा लगा था कि ढाई से तीन घंटे रूक गए थे। बहरहाल गडकरी ने गोबर पेंट की जो तारीफ़ की है वह वाकई मन को प्रफुल्लित कर देने वाली है। पिछले दिनों भेंट मुलाक़ात कार्यक्रम में भूपेश बघेल साजा विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बोरी पहुंचे हुए थे। जहां उन्होंने आम जनता के बीच काफ़ी जोश के साथ कहा कि “यहां तो गोबर सोना हो गया है।“ छत्तीसगढ़ में रतनजोत के बाद गोबर दूसरी ऐसी प्राकृतिक चीज देखने में आई है जिसकी बड़ी चर्चा है। किसी ज़माने में रतनजोत अख़बारों में छाया रहता था। डॉ. रमन सिंह जब मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने रतनजोत (बायोडीज़ल) को लेकर बड़े सपने देखे थे। उनका सपना था कि छत्तीसगढ़ में वाहन बायोडीजल से दौड़ें। प्रचारित भी किया गया था कि डॉ. रमन सिंह की कार रतनजोत से निकले तेल से इतने किलोमीटर सफलतापूर्वक दौड़ी। उस समय नारा ईज़ाद किया गया था कि “न आड़ी से न खाड़ी से तेल निकलेगा बाड़ी से।“ हाल-फिलहाल बाड़ी से कितना तेल निकल पा रहा है यह पता करने लायक बात है।

छत्तीसगढ़ पर ये कहा

गया कैलेंडर पंचाग में

पंडित बाबूलाल चतुर्वेदी का कैलेंडर पंचाग देश के सभी हिन्दीभाषी क्षेत्रों में बरसों से काफ़ी लोकप्रिय रहा है। 2023 के लिए पंडित बाबूलाल चतुर्वेदी के निकले कैलेंडर पंचाग में छत्तीसगढ़ को लेकर ज्योतिष गणणा के अनुसार जो संभावना जताई गई है उसकी काफ़ी चर्चा है। चतुर्वेदी कैलेंडर पंचाग में कहा गया है कि “राज्य की सत्ताधारी पार्टी में आपसी वैमनस्यता बढ़ेगी। मुख्य पात्र को पार्टी के अंदर विरोध का सामना करना पड़ेगा, जिसका नुकसान चुनाव में दिखाई देगा। केन्द्र सरकार के असहयोग के कारण जनकल्याण नीति प्रभावित होगी। भाजपा में अंतर्विरोध होते हुए भी एकजुटता का प्रयास होगा। चुनाव के बाद वह अच्छी स्थिति में होगी। हिंसक घटनाओं से जन हानि होगी। कीट पतंगों से फसल को नुकसान होगा। फिर भी प्रदेश में धान एवं अन्न का उत्पादन अच्छा होगा।“ इतिहास के पन्ने पलटें तो मालूम होता है कि भविष्यवाणी कभी सही उतरती है तो कभी सही नहीं उतरती है। देश के कई बड़े ज्योतिषी 2004 में भविष्यवाणी कर केन्द्र में दोबारा अटल बिहारी बाजपेयी जी की सरकार बनने का संकेत दे रहे थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसी तरह कुछ ही हफ्तों पहले जो 20-20 वर्ल्ड कप क्रिकेट हुआ था उसके सेमीफाइनल में भारत एवं इंग्लैंड की टीम आमने-सामने थी। एक राष्ट्रीय चैनल ने अपने स्टूडियो में कई जाने-माने ज्योतिषियों को बुलाकर संवाद किया था। ज्योतिषियों से सवाल यही था कि भारत की स्थिति क्या रहेगी? अधिकांश ज्योतिषी भारत की जीत का संकेत दे रहे थे, लेकिन जीती इंग्लैंड।

बाबा के कहे के मायने

स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव भावुक एवं संवेदनशील मंत्री माने जाते हैं। सूरजपुर में उन्होंने कहा कि “2023 के विधानसभा चुनाव से पहले अपनी भूमिका को लेकर विचार करना होगा। चुनाव से पहले अपने भविष्य पर फैसला करूंगा। मुझे अपने समर्थकों की भावनाओं को समझना पड़ेगा कि वो क्या चाहते हैं।“ इसके कुछ दिनों बाद बाबा का एक और कथन सामने आया कि “अब चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं हो रही है।“ बाबा की एक ख़ासियत है कि कोई भी बात तथ्य या तर्क के साथ करते हैं। मीडिया भले ही उनसे छोटे से छोटा सवाल करे लेकिन उनका जवाब विस्तृत होता है। अन्य राज नेताओं की तरह उन्हें सवालों से मुंह मोड़ते कभी नहीं देखा गया। राजनीति में कुछ ऐसे बड़े क़द के भी नेता देखने को मिल जाते हैं जो लफ्फाज़ी करने में तो नंबर वन होते हैं लेकिन जहां कठिन सवाल सामने आता है तो चेहरा घूमा लेते हैं। बहरहाल बाबा के कथन पर गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि “कोई एक चुनाव नहीं लड़ना चाहे उससे कुछ नहीं होता। दस दूसरे टिकट की कतार में रहते हैं।“ इसके बाद पूर्व मंत्री एवं भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल का बयान आया कि “कांग्रेस में बाबा एवं ताम्रध्वज साहू की स्थिति एक जैसी है।“ ज़्यादातर समय राजनीतिक चर्चा में मशगूल रहने वाले कुछ लोग बृजमोहन के बयान को कुछ दूसरे ही चश्मे से देख रहे हैं। उन्हें दिसंबर 2018 का महीना याद आ रहा है। वैसे भी एक बार विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत मीडिया के सामने कह गए थे कि “सेमी फाइनल में तो मैं और ताम्रध्वज थे लेकिन फाइनल क्या होगा इसे कौन जाने!”

रायपुर प्रेस क्लब चुनाव

को लेकर हलचल तेज

पिछले वर्ष मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रायपुर प्रेस क्लब के एक कार्यक्रम में आए थे तो उन्होंने अपने संबोधन में एक महत्वपूर्ण लाइन कही थी। मुख्यमंत्री ने कहा था कि “मैं सुनते आया हूं कि मीडिया के कारण पूरी सरकार ही बदल जाती है और आप लोग यहां चार सालों में प्रेस क्लब का अध्यक्ष नहीं बदल पाए।“ मुख्यमंत्री ने जब यह कहा था उस समारोह में कुछ ऐसे भी वरिष्ठ पत्रकार मौजूद थे जो 65 की उम्र पार कर चुके हैं। बहरहाल रायपुर प्रेस क्लब के चुनाव को लेकर एक बार फिर सुगबुगाहट तेज हो गई है। हाल ही में कुछ दिग्गज पत्रकारों एवं प्रेस क्लब के कुछ पूर्व पदाधिकारियों की अगुवाई में एक बैठक हुई जिसमें ज़ल्द से ज़ल्द प्रेस क्लब चुनाव कराए जाने की बात प्रमुखता से उठी।

कैसे बढ़ाकर दी जा रही

आरडीए ठेकेदारों को रकम

रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) से गहरा वास्ता रखने वाले एक जन प्रतिनिधि जासूसी अंदाज़ में यह पता करने में जुटे हैं कि ठेकेदारों को बढ़ाकर कैसे राशि दी जा रही है। बताते हैं कोरोनाकाल के दो साल एवं मार्केट में हर चीज का रेट बढ़ जाने का हवाला देते हुए ठेकेदार हाथ खड़े कर दे रहे थे। सबसे बड़ी चुनौती के रूप में कमल विहार प्रोजेक्ट सामने है। ऐसे में ठेकेदारों की बात को अनसुनी करने पर प्रोजेक्ट के लटक जाने का खतरा मंडरा रहा था। काम तेजी से आगे बढ़ते रहे इसके लिए एक ही रास्ता था ठेकेदारों की सुन ली जाए। वैसे भी करोड़ों का कर्ज़ तो सर पर है ही, थोड़ा बहुत पैसा और चले जाएगा तो आरडीए की सेहत पर कौन सा बुरा असर पड़ जाएगा।

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