● कारवां (26 फरवरी 2023)- बैस की बुलंद तक़दीर

■ अनिरुद्ध दुबे

रायपुर लोकसभा सीट से 7 बार सांसद रह चुके रमेश बैस  महाराष्ट्र के नये राज्यपाल की शपथ ले चुके हैं। महाराष्ट्र से पहले झारखंड और उससे पहले वे त्रिपुरा के राज्यपाल रहे। बैस के महाराष्ट्र के राज्यपाल बनने के बाद फ़ौरी प्रतिक्रिया यही आई कि छत्तीसगढ़ के माटी के इस लाल की किस्मत वाक़ई कितनी बुलंद है जिन्हें महाराष्ट्र जैसे राज्य की जिम्मेदारी मिली। महाराष्ट्र की राजधानी मुम्बई देश की आर्थिक राजधानी कहलाती है और फ़िल्मों के कारण माया नगरी भी। सन् 1978 में रायपुर नगर निगम चुनाव में जनता पार्टी की टिकट पर पार्षद बनने के साथ बैस के राजनीतिक सफ़र की शुरुआत हुई थी। पार्षद के बाद वे 1980 में मंदिर हसौद विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। उसके बाद सात बार रायपुर लोकसभा सीट से सांसद। लोकसभा चुनाव में विद्याचरण शुक्ल, श्यामाचरण शुक्ल, भूपेश बघेल एवं सत्यनारायण शर्मा जैसे कांग्रेस के दमदार नेताओं को बैस ने हराया था। बैस बेबाक टिप्पणी के लिए भी मशहूर रहे हैं। झारखंड से महाराष्ट्र का रुख करने से पहले रांची के राज भवन में मीडिया के सवालों का ज़वाब बैस ने खुलकर दिया। उन्होंने कहा कि “झारखंड के राज्यपाल रहते हुए में यदि चुनाव आयोग का लिफ़ाफ़ा खोलकर सार्वजिनक कर दिए होते तो हेमंत सोरेन की सरकार संकट में आ जाती।“ राजनीतिक उठापटक में जो राज्य हमेशा से चर्चित रहे हैं उनमें महाराष्ट्र का नाम भी शुमार है। राज्यपाल बनने के बाद बैस के सामने से पहला बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम यह गुजरा कि असली शिव सेना का चुनाव चिन्ह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे वाली शिव सेना के पास चला गया। वहीं शिव सेना की बुनियाद रखने वाले बाल ठाकरे के बेटे पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अब सुप्रीम कोर्ट की शरण में हैं। अगले साल लोकसभा चुनाव है।  संभावना यही है कि लोकसभा चुनाव तक बैस महाराष्ट्र के राज्यपाल बने रहेंगे। तब तक और न जाने कितने ही बड़े राजनीतिक घटनाक्रम उनकी निगाहों के सामने से होकर गुज़रेंगे।

महाधिवेशन से नये

रायपुर की ब्रैंडिंग

कांग्रेस का राष्ट्रीय महाधिवेशन और नया रायपुर दोनों इतिहास के पन्नों में दर्ज होने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं छत्तीसगढ़ के अन्य बड़े कांग्रेस नेताओं ने महाधिवेशन के लिए नया रायपुर का जो चयन किया उसकी सराहना ही हुई। महाधिवेशन के बहाने नया रायपुर की सुनसान रहने वाली सड़कें कम से कम हफ़्ते भर गुलज़ार तो रहीं। वरना नया रायपुर को मुर्दा शहर की ही संज्ञा दी जाती रही है। देश भर के कांग्रेस नेता महाधिवेशन में हिस्सा लेने जो पहुंचे, इस बहाने नया रायपुर की ब्रैंडिग भी हो गई। संभावना यही जताई जा रही है कि सितंबर-अक्टूबर तक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत छत्तीसगढ़ सरकार के अन्य मंत्री तथा बहुत से आईएएस एवं आईपीएस अफ़सर नया रायपुर शिफ्ट हो जाएंगे। 2024 में राज्यपाल भी नया रायपुर के नये राज भवन में चले जाएंगे। 2025 में नया रायपुर में नया विधानसभा भवन अस्तित्व में आ जाएगा। यह सब जानने-सुनने के बाद लगता तो यही है नया रायपुर के दिन फिरने शुरु हो गए हैं।

संत कवि दीवान जी की

लगेगी आदमकद प्रतिमा

कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने नया रायपुर में पूर्व मंत्री एवं संत कवि पवन दीवान की आदमकद प्रतिमा लगवाने का संकल्प लिया है। चौबे ने किरवई आश्रम में संदेश भी भेज दिया है कि दीवान जी की पूर्ण तस्वीर ज़ल्द से ज़ल्द उपलब्ध कराएं ताकि राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मूर्तिकार पद्मश्री नेल्सन को वे प्रतिमा निर्माण के लिए कह सकें। उल्लेखनीय है दीवान जी किसी भी राजनीतिक पार्टी में रहे हों उनका सम्मान सभी दलों के नेता किया करते थे। वे अविभाजित मध्यप्रदेश के समय में जनता पार्टी के शासनकाल में जेल मंत्री रहे थे। वह अपने लोगों के हितों की रक्षा के लिए बड़े से बड़े व्यक्ति से भी टकरा जाया करते थे। एक किस्सा है तो पुराना लेकिन लोग उसे आज भी याद किया करते हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेन्द्र तिवारी कभी दिग्गज नेता विद्याचरण शुक्ल के काफ़ी नज़दीक हुआ करते थे। तिवारी ने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कुरुद विधानसभा क्षेत्र को टारगेट किया। तिवारी के उस समय के बयान को आज भी याद किया जाता है जैसा कि उन्होंने कहा था- “कुरूद को अमेठी बना दूंगा।“ 1993 के विधानसभा चुनाव के समय कुरूद से तिवारी की टिकट पक्की समझी जा रही थी। जब विधानसभा चुनाव नज़दीक आया वरिष्ठ नेता गुरुमुख सिंह होरा ने भी कुरूद से टिकट को लेकर दावेदारी ठोंक दी। होरा संत कवि पवन दीवान के बेहद क़रीबी माने जाते थे। लग तो यही रहा था कि विद्या भैया जैसे कद्दावर नेता के समर्थक तिवारी की टिकट कौन काट सकता है, लेकिन संत कवि पवन दीवान ने जब घोषणा कर दी कि “यदि कुरूद की टिकट पर मेरी नहीं सुनी गई तो कांग्रेस से इस्तीफा दे दूंगा”, रायपुर से लेकर भोपाल-दिल्ली तक भूचाल आ गया। अंततः दिल्ली में बैठे नेताओं को दीवान जी की सुननी पड़ी, कुरूद से होरा की टिकट पक्की हुई और वे चुनाव जीते भी। उसी चुनाव में राजेन्द्र तिवारी को रायपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर चुनावी मैदान में उतरना पड़ा था जिसमें उन्हें भाजपा प्रत्याशी तरूण चटर्जी के हाथों हार मिली थी। तिवारी वर्तमान में भूपेश बघेल की सरकार में खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष हैं।

‘गिरगिट के रिश्तेदार’

और ‘मोर

डवकी के बिहाव’

छत्तीसगढ़ अंचल के जाने-माने कवि एवं गीतकार रामेश्वर वैष्णव के छत्तीसगढ़ी हास्य व्यंग्य काव्य संकलन ‘अमरनाथ मरगे’ का विमोचन हाल ही में हुआ। पिछले वर्ष यानी 2022 में वैष्णव जी की एक और कृति ‘गिरगिट के रिश्तेदार’ पढ़ाकू लोगों तक पहुंची थी। जब ‘गिरगिट के रिश्तेदार’ का विमोचन हुआ था फ़कीरी एवं महंत दोनों अंदाज़ में जीने वाले एक दिग्गज नेता का कमेन्ट्स था कि “वैष्णव जी ने हम लोगों पर लागू होने वाला ये शीर्षक कैसे चुन लिया!“ कुछ साल पहले एक छत्तीसगढ़ी फ़िल्म आई थी ‘मोर डवकी के बिहाव।‘ हिन्दी में इसका मतलब होता है ‘मेरी बीबी की शादी।‘ जब फ़िल्म का नाम तय नहीं हुआ था निर्माता-निर्देशक क्षमानिधि मिश्रा ने वैष्णव जी से गाने लिखने के लिए कहा था। निर्माता जब गाने लेने के लिए पहुंचे वैष्णव जी ने पूछा- “आपने अपनी फ़िल्म का नाम क्या रखा है”? जवाब मिला ‘मोर डवकी के बिहाव।‘ इतना सुनते ही वैष्णव जी ने गाना देने से मना कर दिया। किसी और गीतकार के गीतों के साथ ‘मोर डवकी के बिहाव’ रिलीज़ हुई। आगे चलकर निर्माता को महसूस हुआ कि वाकई फ़िल्म का नाम खटकने वाला है। बाद में उन्होंने इसी फ़िल्म को ‘आटो वाले भाटो’ नाम से रिलीज़ किया। नाम बदलने का फ़ायदा भी मिला। दूसरी बार की रिलीज़िंग में फ़िल्म पहले से ज़्यादा चली।

फिर चर्चा में स्वरा

बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर इन दिनों छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक चर्चा में हैं। एक तो फ़िल्म ‘मिसेज़ फलानी’ के कारण दूसरा अपनी शादी के कारण। स्वरा भास्कर का फ़िल्म ‘मिसेज़ फलानी’ में अहम् किरदार हैं। ‘मिसेज़ फलानी’ का शूट हाल ही में राजधानी रायपुर समेत आसपास के कुछ अन्य स्थानों पर हुआ। इस फ़िल्म में छत्तीसगढ़ के भी कुछ कलाकार काम कर रहे हैं। 16 फरवरी की सुबह यह ख़बर आई कि स्वरा ने समाजवादी पार्टी के युवा नेता फहाद अहमद से शादी कर ली है। दोनों ने कोर्ट मैरिज़ की है। स्वरा ने अपने ट्वीट में लिखा है कि “कभी-कभी आप ऐसी चीज़ के लिए दूर-दूर तक खोज करते हैं जो आपके बग़ल में होती है। हम प्यार की तलाश में थे। हमें पहले दोस्ती मिली और फिर हमने एक दूसरे को पाया।“ स्वरा की शादी की यह ख़बर सामने आते ही भाजपा से जुड़े कितने ही लोगों ने उनको सोशल मीडिया पर ट्रोल करना शुरु कर दिया। ट्रोल करने के पीछे वे लोग अपनी तरफ से कुछ कारण सामने रख रहे थे। प्रसंशा और आलोचना का दौर तो चलते रहेगा पर स्वरा ने शादी के बाद फहाद के साथ जो तस्वीर शेयर की उसमें काफ़ी खुश नज़र आ रही हैं। खुश तो छत्तीसगढ़ के वो कुछ कलाकार भी नज़र आ रहे हैं, जिन्हें ‘मिसेज़ फलानी’ में स्वरा के साथ काम करने का मौका मिला है। स्वरा को बेहद क़रीब से जानने वाले लोग बता रहे हैं शादी वाले दिन कुछ ख़ास लोगों के लिए मुम्बई में लंच था। शादी की ख़ुशी में बड़ी पार्टी आने वाले दिनों में दिल्ली में होने वाली है।

मिशन मिलेट्स

राजधानी रायपुर में बड़े जोर-शोर के साथ तीन दिवसीय मिलेट कॉर्निवाल मना। कार्निवल में 49 स्टॉल लगाए गए थे जिनमें 25 छत्तीसगढ़ तथा 24 अन्य राज्यों के थे। कॉर्निवाल का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिलचस्प बात कही कि “आज कोदो अमीरों का भोजन बन गया है, क्योंकि डायबिटिज सबसे ज़्यादा इस वर्ग के लोगों में है।“ वहीं कॉर्निवाल के समापन अवसर कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि “इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के मिलेट्स कैफे में कुकीज और बिस्किट जैसे उत्पाद उपलब्ध हो रहे हैं। मंत्रालय़ में भी मिलेट्स कैफे खोला जाएगा।“ इससे यह प्रतीत होता है कि मिलेट्स मिशन को सरकार बहुत आगे तक ले जाना चाह रही है। छत्तीसगढ़ सरकार ने तो गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में निकलने वाली झांकियों में छत्तीसगढ़ की मिलेट्स झांकी का भी खाका खींचकर रखा था। वहां कुछ खेल हो गया। उत्तरप्रदेश एवं उत्तराखंड की झांकी का तो नंबर लग गया, लेकिन छत्तीसगढ़ की झांकी का नंबर नहीं लग पाया।

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