‘सीएसआर’ के नाम पर छत्तीसगढ़ में बंद हो लूट…… विपक्षी विधायकों का सदन से बहिर्गमन

मिसाल न्यूज़

रायपुर। विधानसभा में आज विपक्षी भाजपा विधायकों ने औद्योगिक संस्थाओं से सी.एस.आर. (कार्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) के तहत प्राप्त होने वाली राशि का ईमानदारी से जनहित में उपयोग नहीं होने का आरोप लगाया। विपक्ष ने कहा कि सीएसआर के नाम पर छत्तीसगढ़ में लूट बंद होना चाहिए। इस पर हुए सवालों पर मंत्री मोहम्मद अकबर की तरफ से जो भी जवाब आए उससे विपक्षी विधायक संतुष्ट नहीं हुए और सदन से वाक आउट कर गए।

प्रश्नकाल में नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल का सवाल था कि कोरबा, बिलासपुर एवं जांजगीर चांपा जिले में वर्ष 2021-22 से लेकर 15 फरवरी 2023 तक की स्थिति में किन-किन औद्योगिक संस्थानों से कितनी-कितनी राशि सीएसआर के तहत प्राप्त हुई? प्राप्त राशि में से कितने कार्य कितनी राशि के स्वीकृत किए गए? वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री कवासी लखमा की अनुपस्थिति में उनकी जगह जवाब देते हुए वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि सीएसआर भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 135 के अंतर्गत केन्द्र शासन का विषय है। यह राज्य शासन से संबंधित विषय नहीं है। नारायण चंदेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की जमीन और पानी का उपयोग दूसरे लोग करते हैं और प्रदूषण यहां के लोग झेलते हैं। सीएसआर को लेकर आखिर छत्तीसगढ़ की कोई तो नीति होगी। यह स्पष्ट होना चाहिए कि 10-15 किलोमीटर की दूरी तक इसके अंतर्गत कौन से जन कल्याण के काम होते हैं। इस पर राज्य सरकार का नियंत्रण किस प्रकार होता है। ओड़िशा सरकार ने पॉलिसी बनाई है कि सीएसआर में मिलने वाली राशि कैसे खर्च होगी। किसकी अनुशंसा से खर्च होगी और किस तरह इसका ऑडिट होगा। वहीं छत्तीसगढ़ की सरकार साढ़े चार साल में इसे लेकर कोई प्रावधान नही बना पाई। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि मंत्री यह क्लीयर कर दें सीएसआर को लेकर राज्य सरकार की भूमिका क्या है, फिर कोई प्रश्न ही खड़ा नहीं होगा। भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि सीएसआर का लाभ आसपास के प्रभावित गांवों को नहीं मिलता। मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि सीएसआर को लेकर भारत सरकार का कानून लागू होता है। प्रदेश सरकार का इन पर कोई बंधन नहीं है। जनता कांग्रेस विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि कौन-कौन से उद्योग हैं जिनके व्दारा सीएसआर के अंतर्गत काम किए जाने हैं, ऐसे उद्योगों की सूची विधायकों को उपलब्ध कराई जाए। बाहर के लोग यहां की जमीन, कोयला और पानी लें तथा यहीं की अनदेखी करें। ऐसे में उनके खिलाफ धरना प्रदर्शन होना चाहिए। ऐसे उद्योगपतियों को ठीक करने की ज़रूरत है आखिर जमीन तो हमारी छत्तीसगढ़ सरकार की है। यह क्या बात हुई कि कंपनी छत्तीसगढ़ में डालें और मजा हैदराबाद-मुम्बई में बैठकर करें। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि मैं भी कह रहा हूं कि कंपनियों की लिस्ट विधायकों को मिलनी चाहिए। नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि अध्यक्ष जी आप भी (डॉ. महंत) कोरबा लोकसभा क्षेत्र के सांसद रह चुके हैं। वह पूरा औद्योगिक क्षेत्र है। जब भी उद्योगपतियों से सीएसआर के बारे में चर्चा की जाती है तो वे कहते हैं हम तो राज्य सरकार के निर्देश पर राशि खर्च कर देते हैं। कलेक्टर को दे देते हैं। कई ऐसे जिले हैं जहां कलेक्टर जहां पाए वहां अपनी मर्जी से खर्च कर देते हैं। जन प्रतिनिधियों की कोई पूछपरख नहीं है। सीएसआर के नाम पर लूट बंद होना चाहिए। सीएसआर को लेकर भाजपा विधायकों की ओर से सवाल पर सवाल हुए जिन पर मंत्री मोहम्मद अकबर के जवाब भी आए। लंबी चर्चा के बाद मंत्री की तरफ से संतोषजनक जवाब नहीं आने की बात कहते हुए भाजपा विधायकगण विरोध दर्ज कराते हुए सदन से वाक आउट कर गए।

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