● कारवां (18 जून 2023)- ‘आदि पुरुष’… कथा अनंता

■ अनिरुद्ध दुबे

फ़िल्म ‘आदि पुरुष’ पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का ट्वीट शनिवार की रात सामने आया। ट्विटर पर मुख्यमंत्री का दृष्टिकोण कुछ इस तरह सामने आया कि “मैंने आदि पुरुष के बारे में पढ़ा और सुना। अत्यधिक पीड़ा हो रही है कि आख़िर कैसे सेंसर बोर्ड ने एक ऐसी फ़िल्म को सर्टिफिकेट दे दिया जो हमारी आस्था से खिलवाड़ कर रही है। हमारे आराध्य का मजाक उड़ा रही है। केन्द्र सरकार को इसका ज़वाब देना होगा। हमारे भांचा राम का अपमान हम नहीं सहेंगे। जिम्मेदार लोग माफ़ी मांगें।“ ‘आदि पुरुष’ के पर्दे पर आने से पहले ही सोशल मीडिया में इसे लेकर प्रतिक्रिया का दौर शुरु हो गया था। किसी को प्रभास में राम की छवि नहीं दिखाई देती तो किसी को सैफ अली ख़ान के रावण बनने से तकलीफ़ है। तो कोई यह लिखने से नहीं चूक रहा है कि मनोज मुन्तशिर ने पर्दे पर आए रामायण (आदि पुरुष) जैसे महा ग्रंथ के लिए क्या चालू छाप डायलॉग लिख मारा है। किसी को तो फ़िल्म के टाइटल ‘आदि पुरुष’ पर ही गहरी आपत्ति है। कांग्रेसी इस फ़िल्म की आलोचना में कोई कसर बाक़ी नहीं रख रहे हैं तो भाजपाइयों का मत है कि किसी भी चीज को सकारात्मक नज़रिये से देखना चाहिए। इतिहास उठाकर देख लें सिनेमा का राजनीतिक हथियार के रूप में अभी के दौर में जैसा इस्तेमाल हो रहा है वैसा पहले कभी नहीं हुआ। ‘द कश्मीर फाइल्स’ हो या ‘केरला स्टोरी’, ‘भीड़’ हो या ‘आदि पुरुष’ इन सभी फिल्मों को लेकर राजनीतिक दलों के बीच ख़ूब आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला या चल रहा है। अभी तो अंग्रेजों के ख़िलाफ लड़ते हुए काला पानी की सजा पाने वाले विनायक दामोदर सावरकर पर फ़िल्म आना बाक़ी है। माना जा रहा है इस साल के आख़री में पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले सावरकर पर बनी फ़िल्म पर्दे पर आ जाएगी। नाम सावरकर है तो निश्चित रूप से इस फ़िल्म को लेकर भी आने वाले समय में ख़ूब चर्चा होगी।

फिर वही चर्चा- बैस हो

सकते हैं सीएम चेहरा

महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस का हाल ही में तीन दिनों के लिए रायपुर आगमन हुआ था। यह सर्वविदित है कि बैस रायपुर लोकसभा क्षेत्र से 7 बार सांसद रहे हैं। अटल जी के प्रधानमंत्रित्वकाल में केन्द्र सरकार में मंत्री रहे हैं। त्रिपुरा एवं झारखंड के बाद अब वे महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। दो दिवसीय प्रवास में सबसे ज़्यादा चर्चा बैस के ऑक्सीजोन भ्रमण को लेकर रही। उल्लेखनीय है कि कई एकड़ों में बने ऑक्सीजोन के पास ही बैस का निवास है। बैस जब ऑक्सीजोन को बारीकी से देखने निकले तो उनके साथ रायपुर उत्तर विधायक कुलदीप जुनेजा, महापौर एजाज़ ढेबर एवं नगर निगम कमिश्नर मयंक चतुर्वेदी थे। भ्रमण के दौरान ऑक्सीजोन में और क्या बेहतर किया जा सकता है इस पर राज्यपाल ने निगम कमिश्नर को निर्देश भी दिए। महाराष्ट्र के राज्यपाल बनने के बाद यह दूसरा अवसर था जब छत्तीसगढ़ प्रवास पर बैस सुर्खियों में रहे। पहली बार तब रहे थे जब वे अपने गांव चंदखुरी में स्थित प्राचीन राम मंदिर के जीर्णोद्धार के बाद प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे। दूसरी बार अब उनका ऑक्सीजोन भ्रमण चर्चा में है। राज्यपाल संवैधानिक पद है और प्रोटोकाल के चलते किसी भी राज्यपाल को सीमाओं में रहकर काम करना पड़ता है। यही कारण है कि बैस ने खुद को इस समय सक्रिय राजनीति से पूरी तरह अलग रखा है। चूंकि वे भारतीय जनता पार्टी के बहुत बड़ा चेहरा रहे हैं तो वे जब भी छत्तीसगढ़ प्रवास पर आते हैं उन पर कोई न कोई बड़ी ख़बर बन ही जाती है। जैसा कि वे ऑक्सीजोन पर भ्रमण पर निकले उसके तूरंत ही बाद सोशल मीडिया पर फिर चल पड़ा कि बैस छत्तीसगढ़ में भाजपा का मुख्यमंत्री चेहरा हो सकते हैं। विधानसभा चुनाव को क़रीब 5 महीने ही तो बचे हैं। आगे की तस्वीर जो भी होगी सामने आते देर नहीं लगेगी। फिर छत्तीसगढ़ में इस समय ओबीसी फैक्टर जबरदस्त काम कर रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ओबीसी वर्ग से हैं। भाजपा ओबीसी बनाम ओबीसी धारा की तरफ जाती दिख ही रही है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव एवं नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ओबीसी ही तो हैं।

दुर्ग के किले से होगा

शाह का चुनावी शंखनाद

22 जून को गृह मंत्री अमित शाह की दुर्ग में आमसभा होने जा रही है। विधानसभा चुनाव को क़रीब 5 महीने ही बचे हैं इसलिए यह उनकी यह सभा चुनावी सभा ही मानी जानी  चाहिए। वैसे तो अमित शाह पहले भी छत्तीसगढ़ आते रहे हैं लेकिन इस बार उनके आगमन की चर्चा राजनीतिक हलकों में इसलिए ज़्यादा हो रही है कि उनका आगमन दुर्ग में हो रहा है। दुर्ग जिला मुख्यमंत्री का जिला माना जाता है। यदि पूरे दुर्ग डिवीजन की बात करें तो पांच मंत्री भूपेश बघेल, रविन्द्र चौबे, ताम्रध्वज साहू, रुद्र गुरू एवं श्रीमती अनिला भेड़िया वहीं से हैं। ऐसे में दुर्ग जिले में भाजपा का कोई राष्ट्रीय नेता चुनाव के चंद महीने पहले उपस्थिति दर्ज कराए यह मायने तो रखता है। इसके अलावा 30 जून को भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा एवं 1 जुलाई को केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के भी छत्तीसगढ़ आने की ख़बर है। माना यही जा रहा  है कि भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं के आने का क्रम विधानसभा चुनाव तक लगातार जारी रहेगा।

बिस्सा पर मेहरबान

कांग्रेसी दिग्गज

कांग्रेस सोशल मीडिया आईटी सेल के प्रदेश अध्यक्ष हैं जयवर्धन बिस्सा। युवा हैं। इंजीनियर हैं। बुद्धि के तेज माने जाते हैं। जयवर्धन बिस्सा इन दिनों और ज़्यादा सुर्खियों में इसलिए हैं कि हाल ही में उनके जन्म दिन पर केक कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे के बंगले में कटा। केक कटिंग के बाद बिस्सा को कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव एवं छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी सैलजा, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत, कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा, मुख्यमंत्री के संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी ने बधाई दी। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का जयवर्धन के प्रति इतना स्नेह क्यों है इसे समझने थोड़ा पीछे जाना होगा। वे बहुत कम उम्र में कांग्रेस से जुड़े। 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को टारगेट करते हुए कुछ वीडियो बनाए थे, जिनका नाम था ‘रमन का चश्मा।‘ ऐसा चश्मा जिसमें सब कुछ उल्टा ही दिखाई पड़ता है। ‘रमन का चश्मा’ यह वीडियो चुनाव के समय में छत्तीसगढ़ के कोने-कोने में वायरल हुआ था। भूपेश बघेल तब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे और वे वीडियो तथा वीडियो बनाने वाले दोनों से काफ़ी प्रभावित हुए थे। 2018 में जब कांग्रेस की सत्ता आ गई और मुख्यमंत्री बनने के बाद भूपेश बघेल ने राजीव भवन में पार्टी के लोगों के बीच जो संबोधन दिया था उसमें उन्होंने तीन लोगों का नाम लेते हुए जमकर प्रशंसा की थी। वो तीन नाम थे- गिरीश देवांगन, शैलेश नितिन त्रिवेदी एवं जयवर्धन बिस्सा। जयवर्धन बिस्सा 2014 में रायपुर के आत्मानंद वार्ड से पार्षद चुनाव लड़े थे और महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस के भतीजे सनत बैस से मात्र 29 मतों से हार गए थे। कहा तो यहां तक जाता है कि अपनों ने कुचक्र रचकर बिस्सा को हरवा दिया था। बहरहाल जयवर्धन अभी भी कांग्रेस सोशल मीडिया आईटी सेल के अध्यक्ष हैं। कांग्रेस में बड़े पदों पर बैठे कुछ लोगों की वे पसंद हैं।

रायपुर नगर निगम

की केरला स्टोरी

सरकारी हो या अर्ध सरकारी संस्था, राजस्व वहां की रीढ़ होता है। रायपुर नगर निगम पिछले कुछ महीनों से आर्थिक संकट का सामना करते आ रहा है। ऐसे में वहां का राजस्व विभाग कस जाए तो सब विभाग अपने आप ही कस जाएंगे। सारी खुशियां वित्त व्यवस्था पर ही तो टिकी होती हैं। नगर निगम के राजस्व विभाग में कार्यरत क़रीब 67 लोग राजस्व से संबंधित अध्ययन के लिए केरल गए थे। अपना ज्ञान बढ़ाकर वे वापस लौट आए हैं। इनके लीडर थे उपायुक्त और जोन 2 कमिश्नर आर.के. डोंगरे। नगर निगम में बातों के धनी लोगों की कमी नहीं। तभी तो कोई कह रहा था कि डोंगरे साहब का रिजर्वेशन एसी 2 और बाक़ी लोगों का रिजर्वेशन एसी 3 क्लास में था। नगर निगम की राजस्व विभाग की टीम केरल से जो अनुभवों का खज़ाना लेकर आई है उम्मीद की जा सकती है उससे रायपुर नगर निगम का कोष समृद्ध होगा।

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