बल्लू भैया न सिर्फ़ छत्तीसगढ़ की राजनीति बल्कि छत्तीसगढ़ी सिनेमा के इतिहास का भी सुनहरा पन्ना

■ अनिरुद्ध दुबे

वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं जाने-माने अधिवक्ता सैयद इक़बाल अहमद रिज़वी का आज दोपहर राजधानी रायपुर के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वे 82 वर्ष के थे। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय में पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष तथा 80 के दशक में रायपुर नगर निगम के उप महापौर रहे थे। छत्तीसगढ़ी सिनेमा के इतिहास का भी वे हिस्सा रहे। 1971 में प्रदर्शित छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘घर व्दार’ में उन्होंने एक अहम् किरदार निभाया था। इस तरह रिज़वी साहब न सिर्फ़ छत्तीसगढ़ की राजनीति बल्कि छत्तीसगढ़ी सिनेमा के इतिहास का भी सुनहरा पन्ना रहे।

छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘घर व्दार’ में इक़बाल अहमद रिज़वी एवं रजीता कोचर

सैयद इक़बाल अहमद रिज़वी को उनके क़रीबी लोग बल्लू भैया के नाम से पुकारा करते थे। अच्छा खाने-पीने के शौकीन। रंग-बिरंगी कपड़ों से गहरा लगाव। उनकी बातों में अलग ही रस होता था। जहां बल्लू भैया रहें बोरियत की कोई गुंजाइश नहीं हुआ करती थी। रायपुर शहर के इतिहास के गहरे जानकार। लगातार 11 साल रायपुर शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर रहने का रिकॉर्ड। लंबे समय तक छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता रहे। हिन्दी व अंग्रेजी के साथ छत्तीसगढ़ी भाषा में भी अच्छी पकड़ थी। मजाक ही मजाक में वे कहा करते थे कि यदि कांग्रेस मुझे रायपुर सीट से चुनाव लड़वा दे तो सबसे ज़्यादा वोट ब्राह्मणपारा से मिलेंगे। आख़िर छत्तीसगढ़ की संस्कृति में रचे-बसे ठेठ छत्तीसगढ़ी बोलने वाले वहां के लोगों से मेरा काफ़ी पुराना संबंध जो है। बल्लू भैया ने जब सक्रिय राजनीति में कदम रखा, सबसे पहले विद्याचरण शुक्ल से जुड़े। बाद में उन्हें दिग्विजय सिंह के खेमे का माना जाने लगा। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय तत्कालनीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के शासनकाल में पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष रहे थे। जब पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बना पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी की गुड बुक में उनका नाम गिना जाने लगा। जोगी जी ने उनको छत्तीसगढ़ अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष पद का दायित्व सौंपा था। अजीत जोगी ने जब 2016 में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस का गठन किया बल्लू भैया इस नई पार्टी का हिस्सा बन गए। जब तक जोगी जी जीवित थे वे जनता कांग्रेस का हिस्सा बने रहे। जोगी जी के निधन के बाद उनकी कांग्रेस में वापसी हुई। कांग्रेस में वापसी के बाद उन्हें महसूस हो चुका था कि वक़्त तेजी से आगे निकल चुका है। वक़्त के थपेड़ों ने कांग्रेस के जिन पुराने नेताओं को पीछे लगा दिया था उनमें बल्लू भैया भी थे। इसकी कसक आख़री तक उनके दिल में रही। जब उन्हें पता लगा कि मैं छत्तीसगढ़ी सिनेमा पर लगातार लिखते रहा हूं तो उनका पहले से ज़्यादा स्नेह मिलने लगा था। बड़े गर्व के साथ वे बताया करते थे कि ऐतिहासिक छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘घर व्दार’ में मैंने महत्वपूर्ण रोल किया था। साथ में उन्हें यह भी शिकायत रहती थी कि अभी छत्तीसगढ़ी सिनेमा से जुड़े जो लोग हैं, पता नहीं वे हम पुराने लोगों को याद क्यों नहीं करते। वे याद करें तो अब भी हम छत्तीसगढ़ी सिनेमा से जुड़े कार्यक्रमों में आए- जाएं। ‘घर व्दार’ की हीरोइन रजीता कोचर (रंजीता ठाकुर) जिन्होंने बॉलीवुड की फ़िल्मों में काम करने के साथ कितने सीरियल भी किए थे, उनका बल्लू भैया के साथ फोन पर बराबर वार्तालाप होते रहा था। वे मुझसे कई बार कहा करते थे कि “बड़ी इच्छा है कि रायपुर में कोई कार्यक्रम आयोजित कर रजीता कोचर जी को बुलाया जाए।” लेकिन समय कहां किसी के लिए ठहरा है। 23 दिसंबर 2022 को रजीता जी का मुम्बई में निधन हो गया। विगत 2 अगस्त को महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस के 75 वें जन्म दिन पर राजधानी रायपुर के इंडोर स्टेडिम में आयोजित ‘हमर सियान हमर अभिमान’ कार्यक्रम में बल्लू भैया से मुलाक़ात हुई थी। उन्होंने कहा था- “बहुत दिन हुआ तूम आए नहीं, बंगले आओ।” मैंने भी गर्मजोशी के साथ कहा था- “हां भैया ज़रूर।” कहां मालूम था कि बल्लू भैया से वह आख़री मुलाक़ात होगी।

श्रद्धांजलि

सैयद इक़बाल अहमद रिज़वी के निधन पर रायपुर महापौर एजाज़ ढेबर, रायपुर नगर निगम सभापति प्रमोद दुबे एवं फ़िल्म घर व्दार परिवार के सदस्य जयप्रकाश पांडे ने गहन शोक व्यक्त करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।

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