● कारवां (3 सितंबर 2023)- आरोप पुराने, जगह नई…

■ अनिरुद्ध दुबे

विधानसभा चुनाव से पूर्व विपक्ष व्दारा सत्तारूढ़ दल के खिलाफ़ आरोप पत्र लाने की परंपरा रही है। इस परंपरा का निर्वहन विपक्षी पार्टी भाजपा ने राजधानी रायपुर के भव्य दीनदयाल ऑडिटोरियम में किया। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से आज तारीख़ को मिलाकर पांच आरोप पत्र पेश हो चुके हैं। दो भाजपा के और तीन कांग्रेस के। इस बार का आरोप पत्र प्रस्तुत करने का आयोजन कुछ ज़्यादा ही अलग हटकर  था। हर बार प्रदेश के विपक्ष के कुछ बड़े नेता मीडिया को बुलाकर आरोप पत्र प्रस्तुत कर दिया करते थे। इस बार देश के बड़े नेता गृह मंत्री अमित शाह आरोप पत्र प्रस्तुत करने रायपुर आए हुए थे। कांग्रेस हो या भाजपा, पूर्व में ये आरोप पत्र पार्टी कार्यालय में प्रस्तुत किया जाता रहा था। आरोप पत्र प्रस्तुत होने के तत्काल बाद प्रेस कांफ्रेंस हुआ करती थी। इस बार आरोप पत्र पार्टी कार्यालय में प्रस्तुत न होकर भव्य ऑडिटोरियम में हुआ। वहां पार्टी के बड़ी संख्या में नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के अलावा मीडिया के लोग मौजूद थे। प्रेस कांफ्रेंस तो नहीं हुई सीधे अमित शाह का संबोधन हुआ। शाह लंबा बोले। जिस तरह छत्तीसगढ़ से जुड़े विवरण प्रस्तुत करते चले गए उससे यही प्रतीत हुआ कि यहां पर वे ज़्यादा गहरी दृष्टि जमाए हुए हैं। उन्होंने भूपेश सरकार पर आरोपों के कई गोले दागे। विधानसभा चुनाव छत्तीसगढ़ के साथ मध्यप्रदेश एवं राजस्थान में भी होने हैं। शाह के भाषण को सुनने के बाद ज़्यादातर लोगों ने तो यही महसूस किया कि उनके सामने मध्यप्रदेश व राजस्थान से भी बड़ा टारगेट छत्तीसगढ़ है।

गैदू के चमके सितारे

मलकीत सिंह गैदू ने छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रभारी महामंत्री संगठन एवं प्रशासन की जिम्मेदारी संभाल ली। मोहन मरकाम जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे उन्होंने प्रदेश महामंत्री संगठन की जिम्मेदारी अमरजीत चावला एवं प्रदेश महामंत्री प्रशासन की जिम्मेदारी रवि घोष को सौंप रखी थी। बीच में अरुण सिसोदिया को भी महामंत्री संगठन एवं प्रशासन दोनों का उत्तरदायित्व सौंपे जाने की चर्चा रही थी लेकिन उनके कामकाज को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई थी। मोहन मरकाम की जगह जब दीपक बैज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बने परिदृश्य ही बदल गया। उन्होंने ठीक विधानसभा चुनाव से पहले बस्तर के ही अपने साथी मलकीत सिंह गैदू को महामंत्री संगठन एवं प्रशासन दोनों का महत्वपूर्ण प्रभार सौंपा है। जिन कांग्रेस नेताओं पर झीरम घाटी में नक्सली हमला हुआ था उनमें मलकीत सिंह गैदू भी शामिल थे। बस्तर की राजनीति में वे लगातार सुर्खियों में रहा ही करते थे अब जबकि महामंत्री संगठन व प्रशासन का उत्तरदायित्व मिल गया है वे प्रदेश स्तर पर सुर्खियों में आ गए हैं। गैदू से पहले डॉ. शिव कुमार डहरिया, सुभाष शर्मा एवं गिरीश देवांगन ऐसे महामंत्री रहे थे जिनके पास संगठन एवं प्रशासन दोनों का उत्तरदायित्व रहा था।

प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट

भी 20 से ऊपर की होगी

भाजपा प्रत्याशियों की दूसरी सूची 30 या 31 अगस्त को जारी होने की जबर्दस्त चर्चा थी। 30-31 क्या 3 सितंबर निकल गया और सूची नहीं आई। अंदर की ख़बर रखने वालों का कहना है कि पहले चरण में 21 प्रत्याशियों की सूची जारी हो जाने के बाद दूसरे चरण में 12 प्रत्याशियों की सूची जारी होने जा रही थी। फिर कुछ और नामों पर मंथन चला। भाजपा के दिग्गजों का अब यही मन है कि 12 के बजाय 22 प्रत्याशियों की सूची जारी की जाए। माना यही जा रहा है कि दूसरी सूची में अब और देर नहीं लगना है।

उषा बारले को अहिवारा

से मिल सकती है टिकट

एक और पद्मश्री कलाकार उषा बारले का भाजपा प्रवेश हुआ है। इनसे पहले छत्तीसगढ़ी फ़िल्म अभिनेता पद्मश्री अनुज शर्मा का भाजपा प्रवेश हुआ था। यह ख़बर जोर पकड़ी हुई है कि भाजपा उषा बारले को अहिवारा विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाने जा रही है। 2018 के चुनाव में गुरू रूद्र कुमार इसी अहिवारा सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीतकर मंत्री बने थे। चर्चा तो यह भी है कि रूद्र गुरू की इस बार सीट बदल सकती है। भाजपा में दिमागी घोड़े दौड़ाते रहने वाले कुछ लोग तो यह भी कह रहे हैं कि पार्टी अनुज और उषा दोनों पद्मश्री को टिकट दे सकती है। एक और पद्मश्री हास्य कवि सुरेन्द्र दुबे एवं छत्तीसगढ़ी फ़िल्मों के दो और कलाकार मोना सेन व राजेश अवस्थी पहले से भाजपा में हैं। कलाकारों का रूझान भाजपा की तरफ इस कदर क्यों है यह अध्ययन का विषय हो सकता है।

रायपुर ग्रामीण- नंदे, मोती

व अमित के बाद

अब प्रमोद भी दौड़ में

रायपुर ग्रामीण एक ऐसी सीट है जहां से भाजपा का प्रत्याशी कौन होगा इसका अनुमान लगा पाना अच्छे से अच्छे राजनीति के विशेषज्ञों के लिए कठिन हो गया है। अभी तक रायपुर ग्रामीण के लिए पूर्व विधायक नंदे साहू समेत मोतीलाल साहू एवं अमित साहू के नाम चल रहे थे कि अचानक उभरकर एक और नाम सामने आ गया- प्रमोद साहू। प्रमोद वर्तमान में रायपुर नगर निगम में पार्षद होने के साथ निगम जोन 3 के अध्यक्ष भी हैं। पहले भी वे पार्षद रह चुके हैं। बताते हैं उनका नाम बढ़वाने में एक ऐसे नेता की भूमिका रही है जिसका कभी रायपुर नगर निगम की राजनीति से गहरा वास्ता था। जो हो, संभावना यही नज़र आ रही है कि भाजपा रायपुर ग्रामीण से किसी ओबीसी नेता को ही चुनावी मैदान में उतारेगी।

नगर निगमों की

माली हालत खस्ता

प्रदेश के नगर निगमों की माली हालत ठीक नहीं है। एक शहरी नगर निगम के महापौर को किराये की गाड़ी पर चलना पड़ रहा है। निगम के ही एक ऑडिटोरियम को किराये पर देने पर जो पैसा आता है उससे उस महापौर की गाड़ी में पेट्रोल डलता है। रायपुर नगर निगम की बात करें तो यहां के महापौर एजाज़ ढेबर ने पंडरी से बस स्टैंड के हटने के बाद खाली हुई जगह पर कोई बड़ी योजना लाने काफ़ी पहले से सोच रखा है। संकट यही है कि कोई भी बड़ा काम करने के लिए पैसा चाहिए। पैसे की उपलब्धता होती तो राजधानी रायपुर के अति व्यस्ततम मार्ग तात्यापारा से शारदा चौक का चौड़ीकरण शुरु नहीं हो गया होता।

महापौर का बड़ा सपना

सपने हमेशा बड़े देखने चाहिए यह जीवन दर्शन यदा-कदा सामने आते रहता है। रायपुर महापौर एजाज़ ढेबर ने भी बड़ा सपना देखा है, पुराने और नये रायपुर के बीच लाइट ट्रेन चलाने का। रायपुर सांसद सुनील सोनी पूर्व में कभी भाजपा शासनकाल के समय में रायपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष थे। राविप्रा अध्यक्ष रहते हुए में उन्होंने भी एक बड़ा सपना देखा था, राजधानी के हृदय स्थल जयस्तंभ चौक वाले रास्ते में फ्लाई ओवर बनाने का। इस योजना को वे बक़ायदा राविप्रा के बजट में भी लेकर आए थे। सांसद बनने के बाद उन्होंने रायपुर शहर के कुछ स्थानों पर स्मॉग टावर बनवाने का सपना देखा है। यह अलग बात है कि जयस्तंभ चौक के ही आगे से शुरु होकर नगर घड़ी चौक के पहले तक आधे अधूरे बनकर पड़े स्काई वॉक को आगे पूरा करवाना है या फिर तोड़ गिरवाना है वाला सपना किसी भी बड़े नेता को नहीं आता।

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