मिसाल न्यूज़
रायपुर। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के चेयरमैन सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने जानबूझकर यात्री ट्रेनों को स्थगित करते रहने का सिलसिला जारी रखा है। यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि यात्री ट्रेनें भारी घाटे का सौदा है। मोदी सरकार षड़यंत्र के तहत रेल व्यवस्था को गौतम अदाणी के हाथों सौंपने की तैयारी कर रही है। यदि एक सप्ताह के भीतर छत्तीसगढ़ से होकर गुजरने वाली यात्री ट्रेनों को बिना स्थगित किए समयबद्ध तरीके से चलाना शुरु नहीं किया गया तो कांग्रेस 13 सितंबर को प्रदेश के समस्त रेल्वे स्टेशनों में रेल रोको आंदोलन करेगी।
राजीव भवन में आज प्रेस वार्ता में सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि वर्षों से भारतीय रेलवे आम जनता का भरोसेमंद, सस्ता और सुलभ परिवहन का पर्याय हुआ करता था मोदी राज में इसकी विश्वसनीयता खत्म करते हुए निजी हाथों में बेचने का षड़यंत्र रचा जा रहा है। बिना कोई कारण बताए, बिना किसी ठोस वजह के यात्री ट्रेनों को अचानक रद्द कर दिया जाता है। रेलवे द्वारा यात्री ट्रेनों को महीनों, हफ्तों तक बंद करने का फरमान जारी कर दिया जाता है। महीनों पहले यात्रा की योजना बना कर रिजर्वेशन कराये नागरिकों की परेशानी से रेलवे और केंद्र सरकार कोई मतलब नहीं रहता। रेलवे यात्रियों के लिये कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की जाती है। देश की आजादी के बाद ऐसी स्थिति केवल मोदी सरकार में आई है। जहां रेलवे की यात्री सुविधायें इतनी ज्यादा खस्ताहाल हो गयी हैं। यात्री ट्रेनों को जानबूझकर रद्द किया जाता है। कभी कोयले की आपूर्ति के नाम पर तो कभी कोई और कारण बताकर। यह विश्वसनीय यात्री सेवा को बदनाम करने की साजिश है ताकि लोग रेलवे से ऊब जाएं और रेल को भी मोदी अपने उद्योगपति मित्र गौतम अडानी के हवाले कर सकें।
शुक्ला ने कहा कि मोदी सरकार के पहले की केंद्र सरकारें घाटा उठाकर भी रेलवे सुविधाओं का विस्तार करती रही थीं। आजादी के बाद से रेलवे का अलग बजट बनाया जाता था, लेकिन मोदी सरकार रेलवे की यात्री सुविधाओं को समाप्त कर इसे सिर्फ मालवाहक बनाना चाहती है। बाद में रेल को निजी हाथों में सौंपा जा सके इसका रास्ता बना रही है। ऐसा इसलिये कि यात्री ट्रेनों की अपेक्षा माल भाड़े में रेलवे को 300 से 400 प्रतिशत ज्यादा मुनाफा मिलता है। पिछले साढ़े तीन साल में 67 हजार 382 ट्रेनों को रद्द किया गया। आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2020 में 32 हजार 757, वर्ष 2021 में 32 हजार 151, वर्ष 2022 में 2 हजार 474 एवं वर्ष 2023 में अप्रैल माह तक 208 ट्रेनें निरस्त की गईं। वर्तमान में 24 ट्रेनें अगस्त 2023 के अंतिम तक रद्द की गई हैं।छत्तीसगढ़ से गुजरने वाली ट्रेनें ऐन मौके पर कैंसिल कर दी जाती हैं। खासकर रक्षाबंधन, दिवाली, शीतकालीन छुट्टियां और शादी-ब्याह के समय। छत्तीसगढ़ से जाने वाली नौतनवा और सारनाथ एक्सप्रेस 64 दिन तक रद्द कर दी गई थी जिसके कारण कितने ही कमजोर परिस्थिति वाले लोग दो महीने तक अस्थि कलश गंगा में विर्सजित नहीं कर पाये थे।
शुक्ला ने कहा कि बिलासपुर रेलवे जोन जिसके अंतर्गत छत्तीसगढ़ आता है यहां से केवल माल भाड़े से केंद्र सरकार 20 से 22 हजार करोड़ रुपए हर साल कमाती है। रेलवे माला भाड़ा से 2020 की तुलना में 2021-22 में 38 प्रतिशत से अधिक वृद्धि छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जोन से केंद्र सरकार को शुद्ध कमाई में हुई है। सुविधा देने की जब जब बारी आई विगत 9 साल में मोदी राज में छत्तीसगढ़ के रेल यात्रियों को केंद्र की उपेक्षा ही मिली है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ से गुजरने वाली ट्रेनों के संचालन की व्यवस्था को दुरुस्त करने प्रधानमंत्री व रेल मंत्री को कई बार पत्र लिख चुके हैं। केंद्र सरकार का हर बार यही कहना रहा कि मेन्टेनेंस के कारण ट्रेनें रद्द होती हैं। मेन्टेनेंस के कारण यात्री ट्रेनों को रद्द कर दिया जाता है तो फिर उसी रेलवे ट्रेक पर मालगाड़ियों का परिचालन कैसे किया जा रहा है। न सिर्फ मालगाड़ियों का परिचालन किया जा रहा उनकी संख्या दोगुनी भी कर दी गयी है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव बिलासपुर से सांसद हैं। प्रदेश की जनता ने उन्हें केंद्र में चुनकर भेजा है लेकिन वे जनता के प्रति अपना धर्म निभाने में पूरी तरह से नाकाम रहे हैं। देश भर में सबसे ज्यादा पीड़ित, प्रताड़ित और उपेक्षित बिलासपुर जोन के ही छत्तीसगढ़ के रेल यात्री हैं। विगत सवा 3 साल के भीतर छत्तीसगढ़ से गुजरने वाली 67 हज़ार से अधिक ट्रेनें निरस्त की गईं जिस पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सहित छत्तीसगढ़ के 9 भाजपा सांसद दिल्ली में मौन रहे।
शुक्ला ने कहा कि रेलवे सुविधाओं की बहाली को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने आंदोलन छेड़ने का निर्णय लिया है। 6 से 13 सितंबर को विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। 9 सितंबर को प्रदेश के समस्त जिला मुख्यालयों में पत्रकार वार्ता के बाद ज्ञापन सौंपा जायेगा। 10, 11 एवं 12 सितंबर को पाम्पलेट-पोस्टर वितरण एवं चस्पा कार्यक्रम होगा। इसके बाद भी यदि केंद्र सरकार अपना रवैया नहीं बदलती है तो 13 सितंबर को प्रदेश के समस्त रेलवे स्टेशनों पर रेल रोको आंदोलन किया जायेगा।