मिसाल न्यूज़
रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के सरगुजा संभाग प्रभारी संजय श्रीवास्तव ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस प्रत्याशियों की सूची ‘बीरबल की खिचड़ी’ की तरह हो गयी है! न बीरबल की खिचड़ी पक रही है और न कांग्रेस प्रत्याशियों की सूची जारी हो रही है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि कांग्रेस के घर में गुटबाज़ी अपने चरम पर है। इसलिए मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष और गृह मंत्री में तालमेल नहीं दिख रहा है। श्रीवास्तव ने कहा कि देश के राजनीतिक इतिहास में छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार पहली ऐसी सरकार है, जो अपने काम, प्रभाव और उपलब्धियों के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और भाजपा की पूर्ववर्ती राज्य सरकार पर दोषारोपण करके चुनाव के मैदान में उतरने जा रही है।
एकात्म परिसर में आज मीडिया से बातचीत करते हुए संजय श्रीवास्तव ने कहा कि कांग्रेस अपने अंतर्कलह के चलते प्रत्याशियों की सूची घोषित कर नहीं पा रही है और भाजपा से पूछ रही है कि शेष प्रत्याशियों की घोषणा भाजपा कब करेगी? पहले कांग्रेस अपनी हालत तो देख ले। कांग्रेस 71 विधायकों-मंत्रियों के होते हुए अब तक अपने प्रत्याशी घोषित नहीं कर पा रही है जबकि भाजपा ने जीत का लक्ष्य सामने रखकर 21 प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं। ज्यादा नहीं तो, कम-से-कम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम की घोषणा ही कांग्रेस कर देती। क्या कांग्रेस में अपने मुख्यमंत्री की टिकट भी फाइनल नहीं हो पा रही है? कांग्रेस प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा ने पहले कहा था कि कांग्रेस की सूची 6 सितंबर तक आएगी। फिर दूसरी तारीख 8 सितंबर दी गयी, लेकिन सितंबर से अक्टूबर शुरू हो गया, कांग्रेस की सूची का अता-पता नहीं है। कुमारी शैलजा को पहली बार किसी राज्य में कांग्रेस के इतने बड़े अंतर्कलह का सामना करना पड़ रहा है।
श्रीवास्तव ने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल की खुद की परफॉर्मेंस पाटन में ठीक नहीं है। मुख्यमंत्री बघेल ने पाटन में प्रशिक्षण शिविर में कहा था ‘मैं नामांकन भरने आऊंगा, चुनाव जिताने की जिम्मेदारी आपकी है।’ क्या इसीलिए कांग्रेस अपने मुख्यमंत्री के टिकट की घोषणा नहीं कर रही है? मुख्यमंत्री बघेल कहते हैं, दो-चार विधायकों की परफॉर्मेंस ठीक नहीं है। यदि सभी विधायकों और मंत्रियों की परफॉर्मेंस इतनी अच्छी है, तो कांग्रेस क्यों नहीं 71 विधायकों को टिकट देने में आम सहमति बना पा रही है? कांग्रेस की प्रदेश सरकार की हालत तो यह है कि पाँच साल का कार्यकाल बीतने को है, प्रदेश के शत-प्रतिशत निगम-मंडलों में वह नियुक्तियाँ तक नहीं कर पाई।
श्रीवास्तव ने कहा कि जिस किसी भी पार्टी की सरकार होती है, उसकी यह जिम्मेदारी होती है कि उसने जो काम अपने शासनकाल में किए, वह जनता को बताए और फिर से जनादेश मांगे। भाजपा की पूर्ववर्ती राज्य सरकार ने यही किया था। आज प्रदेश में भाजपा विपक्ष में है और उसका यह अधिकार और दायित्व है कि वह सरकार की कमियों पर नजर रखे। भूपेश सरकार जिस तरह नकारात्मक बिंदुओं पर चुनाव लड़ने जा रही है, उससे यह आईने की तरह साफ नजर आ रहा है कि उनके पास बताने के लिए अपनी कोई उपलब्धि नहीं है। 6 माह पहले तक कांग्रेस की जो सरकार अपनी तथाकथित उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटते अपने मुँह मियाँ मिठ्ठू बन रही थी, आज वह न तो अपने चेहरे को सामने कर पा रही है और न ही अपने कामों को गिना पाने की हालत में है।