■ अनिरुद्ध दुबे
नया साल आने से पहले विष्णु देव साय मंत्री मंडल में विभागों का बंटवारा हो गया। विभाग बंटने में पूरे आठ दिन लगे। ऐसा उदाहरण पहले देखने में नहीं आया था कि विभाग तय होने में इतना लंबा समय लग जाए। फिर बंटवारा भी कोई कम चौंकाने वाला नहीं। पूर्व में वित्त विभाग मुख्यमंत्री के पास हुआ करता था। डॉ. रमन सिंह तीन बार मुख्यमंत्री रहे तीनों बार वित्त उनके पास रहा। केवल कुछ समय के लिए अमर अग्रवाल वित्त मंत्री रहे थे (जब पहली बार भाजपा की सरकार बनी थी)। 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी तो टी.एस. सिंहदेव वित्त के लिए इंट्रेस्टेड थे। वित्त के लिए उन्होंने खुलकर इच्छा भी व्यक्त की थी, लेकिन यह विभाग तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने पास रखा। अब विष्णु देव मंत्री मंडल की बात करें, वित्त की ज़िम्मेदारी ओ.पी. चौधरी को दी गई है। चौधरी आईएएस रहे हैं और कभी उन्होंने ज़मकर कलेक्टरी भी की थी। वित्तीय पहलुओं को भला उनसे बेहतर कौन समझता होगा। यही वज़ह है कि विभागों के बंटवारे में पर्दे के पीछे जिनकी भूमिका रही उन्होंने चौधरी को चुना। फिर गृह एवं जेल विभाग विजय शर्मा को सौंपे जाने के पीछे भी पर्दे के पीछे वालों की ही भूमिका मानी जा रही है। पूर्व में नंद कुमार पटेल (कांग्रेस) से लेकर रामविचार नेताम (भाजपा), ननकीराम कंवर (भाजपा), रामसेवक पैकरा (भाजपा) एवं ताम्रध्वज साहू (कांग्रेस) गृह मंत्री पद की शोभा बढ़ा चुके हैं। नंद कुमार पटेल को छोड़ दें तो इनमें से कोई भी नेता आक्रामक नहीं था। जबकि माना यही जाता है कि मुख्यमंत्री के बाद गृह मंत्री नंबर दो का पद होता है और यह आक्रामक छवि वाले नेता को ही सूट करता है। विजय शर्मा की छवि आक्रामक मानी जाती है। गृह विभाग को लेकर उनकी कार्यप्रणाली कैसी रहेगी यह तो आने वाले समय में ही स्पष्ट हो पाएगा। शराब वाला आबकारी विभाग मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के पास है। छत्तीसगढ़ में शराब ऐसा मसला रहा है जिसे लेकर कांग्रेस एवं भाजपा दोनों एक-दूसरे पर उंगली उठाने से नहीं चूके। जब रमन सिंह सरकार का तीसरा कार्यकाल था विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा में आरोप लगाया था कि प्रदेश में घटिया क्वालिटी की शराब और बियर बेची जा रही है। किसी एक ठेकेदार को उपकृत करने का काम सरकार कर रही है। वहीं जब कांग्रेस सत्ता में आई तो पूरे पांच साल शराब का मुद्दा छाया रहा। विपक्षी भाजपा नेता लगातार आरोप लगाते रहे कि वादा करके भी कांग्रेस सरकार ने शराब बंदी नहीं की। उल्टे दो हज़ार करोड़ का शराब घोटाला कर दिया। नकली होलोग्राम लगाकर नकली शराब बेचने का काम किया। यही नहीं चुनावी सभाओं में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह तक शराब से जुड़े आरोपों को दोहराते रहे। छत्तीसगढ़ में शराब का मामला इतना संवेदनशील हो चुका है कि इस विभाग को स्वयं मुख्यमंत्री को अपने पास रखना पड़ा है।
सिंहदेव के लिए
कौन द्रोणाचार्य
पूर्व उप मुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव ने हाल ही में कहीं पर कहा कि “वे हराने के लिए चक्रव्यूह तैयार कर रहे थे लेकिन मैं अभिमन्यु नहीं बन सका।“ चक्रव्यूह और अभिमन्यु का प्रसंग महाभारत में मिलता है। चक्रव्यूह की रचना गुरु द्रोणाचार्य ने की थी। अर्जुन पुत्र अभिमन्यु चक्रव्यूह तोड़कर उसके भीतर घुसने की कला तो जानता था लेकिन उससे निकलकर बाहर कैसे आते हैं यह सीख पाने से वह वंचित रह गया था। यही कारण है कि युद्ध के मैदान में अभिमन्यु को वीर गति प्राप्त हुई थी। फिर इस बार का 2023 का विधानसभा चुनाव भी तो किसी महाभारत से कम नहीं था। घेरेबंदी के लिए क्या-क्या रणनीति नहीं तैयार की गई थी। चुनावी मैदान में तो कांग्रेस की ये स्थिति थी कि कुछ बड़े नेताओं को विपक्षियों के साथ-साथ अपने लोगों से भी मुक़ाबला करना पड़ रहा था। चुनाव में एक-दो नहीं नौ मंत्रियों को हार का सामना करना पड़े यह कम चौंकाने वाली बात नहीं। हारने वाले मंत्रियों में सिंहदेव भी रहे। बाबा बोलने के लिए तो बड़ी बात बोल गए लेकिन यह स्पष्ट नहीं किए कि उनके लिए चक्रव्यूह की रचना करने वाला द्रोणाचार्य कौन था!
डबल इंजन तो हो गया, अब
नया रायपुर में ट्रेन तो दौड़े
विधानसभा चुनाव के समय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं गृह मंत्री अमित शाह अपनी हर चुनावी सभा में छत्तीसगढ़ के उतरोत्तर विकास के लिए डबल इंजन सरकार की ज़रूरत बताते रहे थे। छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बन जाने के बाद अब डबल इंजन के वृहद उपयोग का समय आ गया है। इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत नये रायपुर में है। नया रायपुर के चार रेल्वे स्टेशन अब तक चालू नहीं हो पाए हैं और न ही रेलगाड़ी चलना शुरु हो पाई है। कांग्रेस की सरकार के समय में ट्रायल के तौर पर नये रायपुर में रेलगाड़ी का इंजन चलाया जा चुका था। इससे लोगों तक यही संदेश गया था कि नया रायपुर में ट्रेन चलने में अब कहीं किसी प्रकार की रुकावट नहीं। तो फिर देर किस बात की। डबल इंजन वाली सरकार तो धरातल पर आ ही चुकी है, ऐसे में नये रायपुर के चारों स्टेशनों में रेलगाड़ी के डिब्बे ज़ल्द पटरियों पर क्यों नहीं आ सकते। रही बात चारों स्टेशन का निर्माण कार्य पूर्ण होना बाक़ी है तो कितना अच्छा हो कि दिल्ली और रायपुर दोनों इंजन के बीच तालमेल बैठ जाए। लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लगने से पहले नया रायपुर के स्टेशनों की शुरुआत हो जाए। मुर्दा शहर कहलाने वाले नया रायपुर में ट्रेन दौड़ने लगे और आम नागरिकों को उसकी सुविधा मिल सके।
आरडीए के दिन फिरेंगे
रायपुर विकास प्राधिकरण (आर.डी.ए.) द्वारा कमल विहार (कौशल्या माता विहार) के लिए बैंक से 600 करोड़ रूपए का ऋण लिया गया था। 2023 के जाते में आरडीए पूरी तरह इस कर्ज़े से मुक्त हो गया। यह भाजपा की नई आई सरकार के लिए काफ़ी बढ़िया संकेत है। निश्चित रूप से आने वाले समय में आरडीए के 1 अध्यक्ष एवं 2 उपाध्यक्ष पद पर भाजपा के जन प्रतिनिधि आएंगे। यह उनकी ख़ुशकिस्मती रहेगी कि कर्ज़ मुक्त आरडीए मिलेगा। कांग्रेस की सरकार के समय में अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पद पर जो लोग आए थे कर्ज़ से लदा आरडीए मिलने के कारण किसी तरह की नई योजनाएं नहीं ला पाए थे। अब नई योजनाओं को लाने और अपने नाम का परचम लहराने के रास्ते खुल चुके हैं। साथ ही अपनी राजनीति को चमकाने के भी। याद करें जब 2003-2004 में आरडीए अध्यक्ष पद पर श्याम बैस और उपाध्यक्ष पद पर श्रीचंद सुंदरानी की नियुक्ति हुई थी। तब पहली बार डॉ. रमन सिंह की सरकार बनी थी और आरडीए में योजनाओं की झड़ी लग गई थी। रायपुर शहर के बीच सिटी सेंटर मॉल, बिरगांव का ट्रांसपोर्ट नगर, न्यू राजेन्द्र नगर के दो बड़े व्यावसायिक परिसर, न्यू राजेन्द्र नगर में ही मिडिल क्लास के लिए तीन तरफ आवासीय योजना, हीरापुर, रायपुरा सरोना एवं बोरियाखुर्द में लोवर मिडिल क्लास के लिए आवासीय योजना यह सब बैस व सुंदरानी के कार्यकाल की ही देन थी। आरडीए वैसे ही स्वर्णिम दौर का इंतज़ार कर रहा है।
नये साल का जश्न
पियक्कड़ों पर
रहेगी नज़र
31 की शाम से ही नये साल का जश्न शुरु हो जाएगा। रायपुर शहर की होटलों में नये साल का जश्न मनाने का कल्चर 1995 के आसपास आ चुका था। तब इक्का-दुक्का होटलों या रेस्टॉरेंट में न्यू इयर सेलिब्रेशन मनते रहा था। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से बहुत सी होटलों-रेस्टॉरेंट में नये साल के जश्न के आयोजन की परंपरा चल पड़ी। रायपुर के अलावा भिलाई, बिलासपुर एवं कोरबा कुछ ऐसे शहर हैं जहां नव वर्ष की पूर्व संध्या यानी 31 की रात नये साल के जश्न से सराबोर रहती है। कितने ही होटलों व रेस्टॉरेंट में शराब की जमकर बिक्री होती है। इस मामले में रायपुर शहर ने तो बाक़ी सभी शहरों को काफ़ी पीछे छोड़ रखा है। कल तक रायपुर के बहुत से छोटे रेस्टॉरेंट वाले भी एक दिन के शराब की परमिशन के लिए लगे हुए थे। अच्छा यह है कि रायपुर पुलिस प्रशासन ने तय कर लिया है शराब पीकर अनाप-शनाप गाड़ी चलाते हुए पाए गए तो न सिर्फ़ रोका जाएगा बल्कि वाहन को किनारे खड़ा करवाकर नशेड़ी लोगों को पैदल ही घर भेजा जाएगा। राजधानी के बीस से अधिक ऐसे प्वाइंट बनाए गए हैं जहां पियक्कड़ों पर नज़र रखी जाएगी। विशेषकर वीआईपी रोड एवं तेलीबांधा के आसपास। सीसी कैमरा कई स्थानों पर अलग काम करेगा।