हसदेव अरण्य क्षेत्र में कटाई पर हंगामा… स्थगन पर चर्चा की नहीं मिली अनुमति… नारेबाजी करते गर्भ गृह में पहुंचे सारे कांग्रेस विधायक स्वमेव निलंबित…

मिसाल न्यूज़

रायपुर। हसदेव अरण्य क्षेत्र में पेड़ों की कटाई का मामला आज विधानसभा में जमकर उठा। विपक्षी कांग्रेस विधायकों ने इस पर स्थगन प्रस्ताव देते हुए चर्चा की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने स्थगन अग्राह्य करते हुए चर्चा की अनुमति नहीं दी। इसके विरोध में विपक्षी विधायक विधायक नारेबाजी करते हुए गर्भ गृह में जा पहुंचे और सदन का कार्यवाही से स्वमेव निलंबित हो गए।

शून्यकाल के दौरान डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि 26 जुलाई 2022 को इसी विधानसभा में सर्वसम्मति से एक अशासकीय संकल्प पारित किया गया था कि हसदेव क्षेत्र में सभी कोल ब्लाक निरस्त किए जाएं। इस संकल्प के स्वीकृत होने के पश्चात कांग्रेस की तत्कालीन प्रदेश सरकार ने कोयला उत्खनन संबंधी सभी गतिविधियों को उस क्षेत्र में बंद करवा दिया। इसके बाद प्रदेश सरकार व्दारा 19 सितंबर 2022 को भारत सरकार को एक पत्र प्रेषित करते हुए सदन के संकल्प के अनुसार आवश्यक कार्यवाही करने का अनुरोध किया गया था, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। विष्णु देव साय की सरकार बनने से पहले ही प्रमुख वन संरक्षक ने पेड़ काटने की अनुमति दे दी। 11 दिसंबर को 91.30 हेक्टेयर क्षेत्र में 15 हजार 307 पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी गई। यह जल, जंगल एवं वन्य प्राणियों से जुड़ा मामला है। समय रहते कुछ नहीं किया गया तो हसदेव बांध़ खत्म हो जाएगा। हाथी मानव व्दंव्द नहीं रुकेगा। इस पर हमने स्थगन दिया है, जिस पर चर्चा कराई जाए।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि यह बेहद गंभीर विषय पर स्थगन है। इस पर अशासकीय संकल्प इसी सदन में विधायक धर्मजीत सिंह ने लाया था। सदन में सभी विधायकों ने एक स्वर में अशासकीय संकल्प के पक्ष में अपनी राय दी थी। इसके बाद वनों की कटाई को रोकने भारत सरकार को पत्र भेजा गया था। उसके बाद भी कटाई हो गई। आखिर ऐसी कौन सी अदृश्य शक्ति काम कर रही है कि तोड़फोड़ शुरु हो जाती है। गोबर खरीदी अचानक बंद हो जाती है। वनों की कटाई हो जाती है। यदि यह कटाई नहीं रुकी तो हजारों आदिवासी प्रभावित होंगे। वन्य जीवों के लिए खतरा बढ़ जाएगा। हसदेव बांगो बांध के लिए भी खतरा पैदा हो जाएगा।

भाजपा विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं कि बांगो बांध के पीछे बिसाहूदास महंत एवं रामचंद्र सिंहदेव जैसी हस्तियों की परिकल्पना रही है। 61 गांवों को विस्थापित करने के बाद यह बांध बन पाया था। पिछली सरकार के समय में इस सदन में हसदेव वन कटाई पर बहुत से सदस्य कुछ बोलना चाहते थे पर उन पर कुछ ऐसा मानसिक दबाव बन जाता कि वे खड़े होते-होते बैठ जाते थे। राहुल गांधी ने मदनपुर में जिस चबूतरे पर खड़े होकर भाषण दिया था उसकी बेदखली का नोटिस थमा दिया गया था। चीख-चीखकर बोलने के बावजूद हसदेव मसले पर कहीं कुछ नहीं हो पाया।

डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि 3 लाख मिलियन टन कोयला दूसरे ठिकाने पर उपलब्ध है। हसदेव को छोड़ भी दिया जाए तो किसी का कोई नुकसान नहीं हो जाने वाला। यदि हसदेव में कटाई होती रही तो सौ से अधिक ऐसी वनस्पतियां खत्म हो जाएंगी जो कहीं और नहीं मिलती। मानव-हाथी व्दंव्द बढ़ेगा। आखिर किस आधार पर अधिकारी ने कटाई का आदेश जारी किया? इसके पीछे कौन सी अदृश्य शक्ति काम कर रही है? विपक्ष की ओर से दिए गए स्थगन पर चर्चा का अवसर ज़रूर दिया जाना चाहिए।

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि मैंने कार्य संचालन के 55 वें बिन्दू का अवलोकन किया। बजट सत्र में सदस्यों के पास अपनी बातों को रखने के पर्याप्त अवसर होते हैं। इसलिए इस स्थगन पर चर्चा की अनुमति नहीं देते हुए इसे अग्राह्य किया जाता है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि इस पर सरकार की तरफ से जवाब तो आना ही चाहिए। इसके साथ ही नारेबाजी शुरु हो गई। शोर शराबे के कारण अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।

सदन की कार्यवाही दोबारा शुरु होने पर भूपेश बघेल ने फिर दोहराया कि जंगल कट रहा है। आदिवासी उजड़ रहे हैं। बांध के लिए खतरा बना हुआ है। जल, जंगल, जमीन व आदिवासियों को बचाने स्थगन पर चर्चा कराई ही जानी चाहिए। इस बीच भाजपा विधायक सुशांत शुक्ला ने हसदेव वन कटाई पर अपनी ओर से कुछ कहा। भूपेश बघेल ने कहा कि देखिए सत्ता पक्ष के लोग खुद चाह रहे हैं इस पर चर्चा हो। बल्कि चर्चा शुरु भी हो गई है। इसे जारी रखा जाए। अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि मैंने पहले ही स्थगन प्रस्ताव पर व्यवस्था दे दी है। पहले ही कह चुका हूं इसे स्वीकृत नहीं किया जाता। संसदीय कार्य मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि यह बजट सत्र है। चर्चा का पर्याप्त अवसर मिलेगा। विपक्षी विधाय़कों में थोड़ी भी गंभीरता होती तो ये कल अनुपूरक बजट में हिस्सा लिए होते। सदन छोड़ भाग नहीं खड़ हुए होते। अब तो ये नई परंपरा शुरु कर दिए हैं। अध्यक्ष के आदेश के बिना अपनी तरफ से चर्चा शुरु करवा दिए हैं। अग्रवाल के यह कहने पर विपक्षी विधायकों ने विरोध जताते हुए नारेबाजी शुरु कर दी। शोर शराबे के बीच ही अध्यक्ष व्दारा नाम पुकारे जाने पर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय एवं सहकारिता मंत्री केदार कश्यप ने पत्रों को पटल पर रखा। इधर, नारेबाजी करते हुए सारे कांग्रेस विधायक गर्भ गृह में आ गए। अध्यक्ष ने कहा कि सारे विपक्षी सदस्य गर्भ गृह आकर स्वमेव निलंबित हो गए हैं। वे सदन से बाहर चले जाएं। इसके बाद सारे विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए  सदन से बाहर चले गए।

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