विधानसभा में धर्मजीत सिंह ने कहाः कांग्रेस सरकार में गधे-गंवारों को मिलते रहा था जल जीवन मिशन का काम…

मिसाल न्यूज़

रायपुर, 23 जुलाई। विधानसभा में मानसून सत्र के आज दूसरे दिन भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने जल जीवन मिशन में गड़बड़ी को लेकर अपनी ही सरकार को घेरा। कांग्रेस विधायकों की ओर से भी तीखे सवाल हुए। वहीं भाजपा विधायक धर्मजीत सिंह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की सरकार के समय में जल जीवन मिशन में गधे गंवारों को काम मिलते रहा था। उसी का नतीजा है कि जल जीवन मिशन इस दुर्गति को प्राप्त हुआ।

प्रश्नकाल में भाजपा सदस्य धरमलाल कौशिक ने कहा कि जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन का यह हाल है कि बिल्हा विधानसभा क्षेत्र में 10 प्रतिशत स्थानों पर ही पानी सप्लाई शुरू हो पाई है। नब्बे फीसदी गांवों में अब तक काम शुरू नहीं हुआ है। सवाल यह है कि यह काम कब तक पूरा होगा? उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि पानी क्यों नहीं पहुंच पा रहा इसकी लगातार समीक्षा कर रहे हैं। कौशिक ने आगे पूछा कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत कई कंपनियों को राशि दी गई लेकिन बाद में उन कंपनियों को रिजेक्ट कर दिया गया। इस पर क्या कार्रवाई की गई? साव ने कहा कि सामग्री की खरीददारी में विभाग से सीधे भुगतान नहीं होता है। सामग्री का भुगतान ठेकेदार करता है। ये ठेकेदार को सुनिश्चित करना है कि एसओआर के मापदंड का पालन किया गया है या नहीं।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं विधायक संगीता सिन्हा ने मंत्री अरुण साव से जल जीवन मिशन के काम में पूर्णता की परिभाषा पूछी। संगीता सिन्हा ने कहा कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत कई ऐसे काम हैं जो अब भी अधूरे हैं। गुरुर ब्लॉक में हमारा अक्कलवार गांव है जहां जल जीवन मिशन का काम पूरा तक नहीं हुआ है। कई गांव ऐसे है जहां सिर्फ 15 दिन नल चले, उसके बाद बंद कर दिया गया।

इसी बीच भाजपा विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि प्रदेश में जब जल जीवन मिशन लॉन्च हुआ था तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। करोड़ों रुपयों का लेनदेन हुआ। गंवार लोग ठेकेदार बनकर इस योजना से जुड़ गए। उनके कारण पूरी जल जीवन मिशन योजना बर्बाद हो रही है। सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में योजना दम तोड़ रही है। मंत्री जी से अनुरोध है कि दोषी लोगों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें। धर्मजीत सिंह ने कहा कि सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में संचालित कार्यों की समीक्षा होनी चाहिए। साव ने बताया कि प्रदेश में कुल 883 संस्थाओं को पंजीकृत किया गया है। अनिमियता पाए जाने के बाद 79 सस्थाओं का पंजीयन निरस्त किया गया। कार्य में लापरवाही बरतने वाले 9 अधिकारी और कर्मचारी निलंबित भी किए गए। जहां पर भी गड़बड़ी पाई जाएगी वहां कठोर कार्रवाई की जाएगी।

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