■ अनिरुद्ध दुबे
रायपुर शहर की पहली महिला विधायक श्रीमती रजनी ताई उपसाने नहीं रहीं। उन्होंने 92 साल की आयु पाई। 1977 के विधानसभा चुनाव में वे जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ी थीं और चाणक्य कहलाने वाले कांग्रेस प्रत्याशी शारदा चरण तिवारी को हराया था। वह मेरे बचपन के दिन थे। उम्र साढ़े नौ साल। हमारा पुराना घर नयापारा चुड़ी लाइन में होता था। चुड़ी लाइन को लखेर ओली भी कहा जाता था। नई पीढ़ी के लोग नयापारा के अलावा थोड़ा बहुत चुड़ी लाइन के बारे में जानते होंगे, लेकिन लखेर ओली शब्द तो अब मानो लुप्त सा हो गया है। रजनी ताई के विधायक बनने के बाद मोहल्ले के जनता पार्टी के नेता भाईशंकर ग्वालरे, सुभाष जैन एवं लोकनाथ साहू उर्फ सूम्मा व्दारा चुड़ी लाइन में उनके सम्मान में एक कार्यक्रम रखा गया। मोहल्ले के सम्मानित व्यक्ति के नाते मेरे पिता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित हनुमान प्रसाद दुबे को कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था। चूंकि घर का माहौल धार्मिक के साथ राजनीतिक, सामाजिक व सांस्कृतिक था, अतः कहीं न कहीं मेरे बाल मन में नाना प्रकार के बीज बाल्यावस्था में ही अंकुरित होने लगे थे। घर में मां श्रीमती शांता दुबे से मैंने इच्छा व्यक्त की कि कार्यक्रम में रजनी ताई को माला पहनाऊंगा। श्री बांके बिहारी मंदिर, मंदिर के साथ हमारा घर भी था, इसलिए फूलों की कमी तो रहती नहीं थी। मां ने बाल मन की बात रखते हुए घर की सम्मानित सरवेंट कमला जी से तगर फूल की माला बनवा दी।
अप्रैल महीने में पांचवीं परीक्षा का हिन्दी पेपर देकर आया ही था कि घर के पीछे चल रहे निर्माण कार्य के दौरान एक ईंट मेरे सर पर आ गिरी। सर फटने से पूरा शरीर ख़ून से लथपथ हो गया। मोहल्ले के ही सम्मानित डॉक्टर बद्री प्रसाद गुप्ता ने सर की मलहम पट्टी की। उसी हाल में बाकी के 3 पेपर मैंने दिए थे। मई में हुए विधानसभा चुनाव में रजनी ताई रायपुर शहर से जीती थीं। जिस दिन मोहल्ले में उनका सम्मान कार्यक्रम था पट्टी सर पर से हटी नहीं थी। बाल्यावस्था का जोश जो था, बाबूजी के साथ ताई के सम्मान कार्यक्रम में पहुंचा। आयोजकों ने मुझे माला पहनाने का मौका दिया। ताई को माला पहनाया और दोनों हाथ जोड़े। जीवन में किसी को माला पहनाने का यह पहला अवसर था।
2013 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में तीसरी बार भाजपा की सरकार बनी। पुलिस ग्राउंड में डॉ. रमन सिंह ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। पुलिस ग्राउंड के सामने ही ताई का घर था। शपथ ग्रहण शुरु होने से पहले यह सोचकर ताई के निवास के किनारे अपनी दोपहिया खड़ी कर दिया, कार्यक्रम समाप्ति के बाद निकलने में आसानी होगी। शपथ समाप्ति के बाद जब गाड़ी उठाने पहुंचा, देखा, घर के बाहर ताई व्हील चेयर पर धूप सेंक रही हैं। कड़कड़ाती ठंड के दिन थे। भीतर से आवाज़ उठने लगी कि ताई का वह विधायक कार्यकाल कितना आदर्शों से परिपूर्ण था। पूरे विधायक कार्यकाल में उन पर कोई उंगली नहीं उठी। आगे चलकर ताई के वरिष्ठ पुत्र देश के जाने-माने पत्रकार जगदीश उपासने जी से एक-दो बार मिलना हुआ। मंझले पुत्र सच्चिदानंद उपासने जी से मुलाक़ात होती ही रहती है। रायपुर की पहली विधायक होने के नाते रजनी ताई का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज़ हो चुका है। 1977 के बाद कितने ही विधानसभा चुनाव होकर निकल गए। ताई के बाद फिर रायपुर को कोई महिला विधायक नहीं मिली। ताई को श्रद्धा सुमन अर्पित…