■ अनिरुद्ध दुबे
विजय संकल्प महारैली (सभा) में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबोधन से पहले मंच से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव एवं पूर्व मुख्यमंत्री तथा भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह को बोलने का मौका मिला और दोनों ही नेताओं ने भगवान राम को छत्तीसगढ़ से जोड़कर उनका स्मरण किया। अरुण साव ने जहां माता कौशल्या का मायका एवं भगवान राम के ममा गांव वाली बात अपने संबोधन में कही वहीं डॉ. रमन सिंह ने कहा कि भगवान राम के ननिहाल में आप सबका स्वागत है। दिन में सभा होने के बाद शाम को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि “मोदी जी को माता कौशल्या की जय बोलने से परहेज है। छत्तीसगढ़ माता कौशल्या का मायका तथा भगवान राम का ननिहाल है। मोदी ने सभा के दौरान अपने संबोधन में न भांचा राम को याद किया न माता कौशल्या को। इससे इनकी नकली राम भक्ति की पोल खुल गई।“ जो हो, भगवान राम के छत्तीसगढ़ से रिश्ते की बात भाजपा के वरिष्ठ नेता अब खुलकर स्वीकारते तो नज़र आने लगे हैं। इस समय सरगुजा से लेकर बस्तर तक राम नाम की गूंज है। यानी दिसंबर में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस व भाजपा दोनों को ही भगवान राम ख़ूब याद आएंगे।
मूणत को मंच पर
जगह नहीं, उठे सवाल
राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज के मैदान में हुई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा में मंच पर पूर्व मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ प्रवक्ता राजेश मूणत को जगह नहीं मिलने की व्यापक चर्चा रही। बताते हैं प्रधानमंत्री के आगमन से पहले मूणत मंच पर दिखे थे और व्यवस्था को लेकर नेताओं व कार्यकर्ताओं को निर्देशित करते भी नज़र आ रहे थे। प्रधानमंत्री के संबोधन के समय मूणत मंच से अलग कहीं और बैठे नज़र आए। मुख्य मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव समेत प्रदेश संगठन से जुड़े प्रमुख लोग, सांसद-विधायक एवं कुछ आदिवासी नेता आसीन थे। उल्लेखनीय है कि इस मंच को तैयार करवाने में मूणत की अहम् भूमिका थी। इसके अलावा सभा से एक दिन पहले उन्होंने राजधानी में विशाल बाइक रैली भी निकाली थी। सभा की तैयारियों को लेकर दिन-रात वे मोबाइल से लोगों के संपर्क में तो थे ही कितने ही लोगों से व्यक्तिगत रूप से उनके घर जाकर भी मिले थे। फिर मोदी जी की सभा जिस स्थल पर हुई वह रायपुर पश्चिम विधानसभा का हिस्सा है जहां से मूणत दो बार विधायक रहे हैं। ऐसे में मंच पर बैठने वालों की लिस्ट में मूणत का नाम नहीं होने को लेकर सवाल तो उठना ही था।
नया रायपुर को
संवारने कई एंगल
से सोच रहे सीएम
नया रायपुर में मुख्यमंत्री निवास का निर्माण कार्य पूरा होने के क़रीब है। सितम्बर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस नये सरकारी बंगले में पूजा पाठ होने की संभावना है। नया रायपुर कैसे आबाद हो इस पर मुख्यमंत्री कई एंगल से सोच रहे हैं। वे चाह रहे हैं कि नया रायपुर में देश का सबसे बड़ा थोक बाजार बने। एयरो सिटी की योजना पर भी विचार मंथन जारी है। लगभग 438.47 हेक्टेयर में प्रस्तावित थोक बाजार का सेक्टर 27 में निर्माण होना है। नया रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण (एनआरडीए) द्वारा इस थोक बाजार का निर्माण किया जाएगा। यहां छोटे-बड़े सभी व्यापारियों के लिए आधारभूत जरूरी सुविधाएं होंगी। मुख्यमंत्री ने हाल ही में एनआरडीए के अधिकारियों से कहा है कि इस थोक बाजार की ऐसी कार्य योजना तैयार करें जिससे छोटे-बड़े सभी व्यापारियों की जरूरतें पूरी हो सकें। व्यापारिक और वाणिज्यिक गतिविधियों का तीव्र विस्तार हो सके। ताजा जानकारी यह है कि नया रायपुर में होलसेल कॉरीडोर बनाने के लिए क़रीब 1100 एकड़ ज़मीन का लैंड यूज़ चेंज कर मिश्रित किया जा रहा है। जहां व्यावसायी व आवासीय दोनों तरह के निर्माण की छूट रहेगी। पहले चरण में क़रीब 500 एकड़ में कॉरीडोर बनाए जाने की योजना है।
नया रायपुर में ट्रेन को
हरी झंडी में अभी वक़्त
चर्चा यही थी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंदिर हसौद से नया रायपुर होते हुए केन्द्री तक जो नई ट्रेन शुरु होना है उसे वर्चुअल हरी झंडी दिखाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बताते हैं मंदिर हसौद एवं केन्द्री तरफ तो स्टेशन बन चुका है लेकिन नया रायपुर में जो दो स्टेशन बन रहे हैं उनका काम पूरा नहीं हुआ है। इस तरह आधी-अधूरी परियोजना को हरी झंडी दिखाने का कोई औचित्य नहीं था, इसलिए यहां का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया। अलबत्ता अंतागढ़-रायपुर के बीच जो नई ट्रेन शुरु हुई है उसे ज़रूर प्रधानमंत्री ने वर्चुअल हरी झंडी दिखाई। यह ट्रेन बस्तर से रवाना हुई। अंतागढ़ से ट्रेन रवाना कर यह मैसेज देने की कोशिश की गई कि केन्द्र सरकार आदिवासी बहुल क्षेत्रों में विकास की धारा पहुंचाने को लेकर कितनी सजग है।
मोहन मरकाम के
बाजू सिसोदिया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सभा वाले दिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने राजीव भवन में प्रेस कान्फ्रेंस ली। मरकाम ने मोदी सरकार पर कई आरोप लगाए। कान्फ्रेंस के दौरान मरकाम के ठीक बाजू प्रदेश कांग्रेस महामंत्री अरुण सिसोदिया बैठे नज़र आए। यह पहला मौका था जब सिसोदिया मरकाम के साथ प्रेस कान्फ्रेंस के बहाने मीडिया से रूबरू हुए हों। उल्लेखनीय है कि मरकाम ने सिसोदिया को प्रदेश महामंत्री संगठन एवं प्रशासन दोनों की जिम्मेदारी दे रखी है। इस नियुक्ति पर असहमति जताते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रभारी कुमारी सैलजा ने इसे रद्द कर दिया था और एक अन्य महामंत्री रवि घोष को संगठन एवं प्रशासन की जिम्मेदारी देने की बात कही थी। बहरहाल मरकाम समर्थकों से बात करो तो यही कहते हैं कि कांग्रेस के संविधान में स्पष्ट है कि प्रदेश महामंत्री की जिम्मेदारी तय करने का अधिकार प्रदेश अध्यक्ष के पास है। इस फैसले को बदलने का अधिकार दो ही लोगों के पास है पहला कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव के.सी. वेणुगोपाल। जब इन दोनों नेताओं की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है तो समझ लें कि संगठन एवं प्रशासन का प्रभार किसके कंधों पर है।
पहली बार विस सत्र से
पहले मंत्रालय में हड़ताल
ऐसा पहली बार हुआ है कि विधानसभा सत्र वाले महीने में मंत्रालय कर्मचारी संघ हड़ताल पर गया हो। विधानसभा का मानसून सत्र 18 से 21 जुलाई तक चलेगा। इधर, 7 जुलाई को मंत्रालयीन कर्मचारियों ने कामकाज बंद कर हड़ताल कर दी। यानी विधानसभा सत्र शुरु होने के 11 दिन पहले हड़ताल। उल्लेखनीय है कि सत्र शुरु होने से पहले अनुपूरक बजट तैयार करने, विधायकों की ओर से लगाए गए प्रश्नों एवं ध्यानाकर्षणों के ज़वाब तैयार करने या करवाने में मंत्रालय कर्मचारियों की अहम् भूमिका होती है। सत्र क़रीब होने की स्थिति में एक दिन के लिए पूरा कामकाज ठप्प हो जाना मायने रखता है।