‘चंदा मामा’ के डायरेक्टर अभिषेक सिंह ने कही बड़ी बात- “वह समय दूर नहीं जब किसी छत्तीसगढ़ी फ़िल्म का बिजनेस 20 करोड़ पार कर जाए…”

अनिरुद्ध दुबे/मिसाल न्यूज़

प्रोड्यूसर मोहित साहू के एन. माही प्रोडक्शन की फ़िल्म ‘चंदा मामा’ को डायरेक्ट कर अभिषेक सिंह सुर्खियों में हैं। अभिषेक वह डायरेक्टर हैं जो कि एक फ़िल्म पूरी होते ही बिना देर किए दूसरी फ़िल्म की योजना में लग जाते हैं। उनकी इस तेज रफ़्तार को देखते हुए उन्हें फ़िल्म बनाने वाली मशीन भी कहा जाने लगा है। आत्मविश्वास से लबरेज़ अभिषेक कहते हैं “वह समय दूर नहीं जब किसी छत्तीसगढ़ी फ़िल्म का बिजनेस 20 करोड़ क्रास कर जाए।“

‘मिसाल न्यूज़’ ने हाल ही में अभिषेक सिंह से लंबी बातचीत की, जिसके मुख्य अंश यहां प्रस्तुत हैं-

0 ‘चंदा मामा’ क्या है…  

00 हमारा छत्तीसगढ़ ऐसा है जहां भांजे के लिए विशेष सम्मान का भाव है। हमारे यहां भांजे को श्रीराम का दर्जा मिला हुआ है। प्रोड्यूसर मोहित साहू जी के दिमाग में यह प्लॉट लंबे समय से था, जिसे उन्होंने सुनाया। उस पर मैंने पूरी ‘चंदा मामा’ फ़िल्म लिख दी।

0 दिलेश साहू आपका प्रिय हीरो रहा है। ‘चंदा मामा’ में उनके काम को कैसे आंकेंगे…

00 दिलेश के साथ मेरी यह चौथी फ़िल्म है। दावे के साथ कह सकता हूं कि इस फ़िल्म में उनका सबसे बेहतरीन परफार्मेंस आपको दिखेगा।

0 भांजे के भूमिका बाल कलाकार अंश ने निभाई है। ऐसा माना जाता है कि बच्चों से काम लेना आसान नहीं होता…

00 अंश का जब हमने ऑडिशन लिया उसके अभिनय का कमाल दिखा। ‘चंदा मामा’ के लिए उसने छत्तीसगढ़ी सीखी। उसके पीछे पैरेंट्स ने भी काफ़ी मेहनत की।

0 नायिका दिया वर्मा एवं अंजलि ठाकुर के बारे में क्या कहेंगे…

00 अभी इनके करियर का शुरुआती दौर है। उस हिसाब से अच्छा काम कर रही हैं।

0 जीत शर्मा आपकी हर फ़िल्म में दिखते हैं…

00 हां वह मेरा फेवरेट आर्टिस्ट है। दर्शकों के बीच वह खुद को साबित कर चुका है। ‘चंदा मामा’ में नेगेटिव किरदार में जीत ख़ूब जमे हैं।

0 छत्तीसगढ़ी सिनेमा में गीत-संगीत पर ज़्यादा मेहनत होती दिखती है…

00 वह मेहनत ‘चंदा मामा’ में भी नज़र आएगी। विशेषकर एक गाना देवी माता और दूसरा रक्षा बंधन पर कमाल का बन पड़ा है। एक गाने में मामा-भांजे का रिश्ता बख़ूबी उभरकर सामने आएगा।

0 आपकी गिनती सबसे ज़्यादा व्यस्त डायरेक्टर के रूप में होती है। इस समय छत्तीसगढ़ी सिनेमा को कहां पाते हैं…

00 छत्तीसगढ़ी सिनेमा का स्वरूप अब काफ़ी बड़ा हो चुका। ये क्या कम बड़ी बात है कि बाहर के प्रोड्यूसर-मेकर्स यहां फ़िल्म बनाने के लिए आ रहे हैं। कितने ही लोगों को छत्तीसगढ़ी सिनेमा से रोजगार मिल रहा है। इंडस्ट्री लगातार ग्रो कर रही है। कॉम्पिटिशन बढ़ा है तो मेकिंग की क्वालिटी भी सुधरी है। यहां नई तकनीकों का इस्तेमाल होने लगा है। मैंने खुद पहली बार ‘तहीं बनबे मोर दुल्हनिया’ फ़िल्म के लिए रेड ड्रेगन कैमरे का इस्तेमाल किया था।

0 आपको महंगा डायरेक्टर माना जाता है…

0 बात किसी एक अभिषेक सिंह की नहीं है। छत्तीसगढ़ी फ़िल्मों का बजट कभी 50 से 60 लाख तक होता था जो आज बढ़कर एक करोड़ से ऊपर जा पहुंचा है। यहां ऐसी भी फ़िल्में निकली हैं जिनका बिजनेस 10 करोड़ से लेकर 13 करोड़ तक गया है। वह समय दूर नहीं जब कोई छत्तीसगढ़ी फ़िल्म 20 करोड़ का बिजनेस पार कर जाएगी। ये क्या कम बड़ी बात है कि हमारे यहां अमलेश नागेश जैसे यू ट्यूबर्स को स्टार के रूप में पहचान मिली है।

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