● कारवां (11 सितंबर 2022) भागवत-नड्डा का आना, प्रभारी बदलना केवल संयोग मात्र नहीं

■ अनिरुद्ध दुबे

एक ही हफ्ते के भीतर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का छत्तीसगढ़ आना, उनके तूरंत बाद भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का यहां आकर कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करना और चलते सम्मेलन के बीच ही ओम माथुर के भाजपा छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी बनाए जाने की ख़बर आना क्या यह संयोग मात्र था, शायद नहीं! भागवत व नड्डा के इस तरह के बड़े कार्यक्रम अचानक नहीं बनते, बल्कि पूर्व निर्धारित होते हैं। फिर किस स्टेट का कौन भाजपा प्रभारी होगा यह तो राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा व उनके सहयोगी वरिष्ठ नेता ही तय करते हैं। कोई ऐसा तो है नहीं कि रायपुर पहुंचने के बाद नड्डा ने इस पर बड़ा फैसला ले लिया। यह भी पहले से ही निर्धारित था। यानी भागवत व नड्डा के आने से लेकर प्रदेश प्रभारी बदलने की बात पहले से ही तय थी। सवाल यह उठता है कि इस समय सबसे ज़्यादा राजनीतिक प्रयोग छत्तीसगढ़ में ही क्यों? जिस छत्तीसगढ़ में लगातार 15 साल भाजपा की सरकार रही हो और वहां भाजपा विधायकों की संख्या 14 में आकर सिमट जाए तो राष्ट्रीय नेताओं के लिए इससे बड़ा तकलीफदेह क्या होगा। नड्डा भले ही कहते रहें कि छत्तीसगढ़ सोनिया गांधी व राहुल गांधी के लिए एटीएम होकर रह गया है, लेकिन संसाधनों से भरपूर इस प्रदेश की महत्ता क्या है भला उनसे बेहतर कौन जानता होगा? आख़िर नड्डा जी खुद भी तो क़रीब 5 साल छत्तीसगढ़ के प्रभारी रहे थे। पार्टी के लोग यही मानते हैं कि जब तक नड्डा जी यहां के प्रभारी थे बड़े लोगों के ऊपर उनकी जबरदस्त लगाम थी लेकिन यहां से उनका प्रभार हटते ही धीरे-धीरे सारा परिदृश्य बदलते चला गया। भाजपा के सारे दिग्गज जान रहे हैं कि मध्यप्रदेश व राजस्थान की तूलना में छत्तीसगढ़ के हालात कठिन हैं। यहां वापसी के लिए कई तरह के यत्न करने होंगे। हफ्ते-दस दिन के भीतर छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष का बदल जाना एक ही समय पर भागवत व नड्डा का प्रवास और नये प्रभारी की घोषणा ये सब समझने के लिए काफ़ी हैं कि छत्तीसगढ़ में 15 साल तक राज कर चुकी पार्टी अभी से पूरी तरह चुनावी मोड में आ चुकी है। आगे और भी चौंकाने वाले राजनीतिक घटनाक्रम सामने आ सकते हैं। रायपुर में भागवत व नड्डा के बीच हुई हालिया लंबी बातचीत काफ़ी कुछ संकेत देती नज़र आ रही है।

नड्डा ने जिनको याद किया

भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद जे.पी. नड्डा पहली बार छत्तीसगढ़ प्रवास पर आए। रायपुर में उन्होंने कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित किया। नड्डा के संबोधन में ख़ास बात यह नज़र आई कि उन्होंने बिरसा मुंडा का स्मरण किया। माता कौशल्या को याद किया और त्यागमूर्ति ठाकुर प्यारेलाल सिंह तथा बाबू छोटेलाल श्रीवास्ताव को नमन किया। भाजपा के किसी राष्ट्रीय नेता ने विशाल मंच पर शायद पहली बार माता कौशल्या के अलावा ठाकुर प्यारेलाल सिंह व छोटेलाल श्रीवास्तव जैसे नाम लिए। इन नामों से भाजपा ने बहुत कुछ साधने की कोशिश की। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद चंदखुरी में कौशल्या माता के मंदिर का जीर्णोद्धार एवं सौंदर्यीकरण हुआ। इसके बाद से ही छत्तीसगढ़ राम का ननिहाल होने की व्यापक चर्चा होने लगी। ऐसे में नड्डा को माता कौशल्या का नाम लेना ज़रूरी लगा। इसमें कोई दो मत नहीं कि छत्तीसगढ़ को पृथक राज्य बनाने में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की अहम् भूमिका रही थी। लेकिन यह भी उतना ही सच है कि पृथक छत्तीसगढ़ राज्य का सपना सबसे पहले ठाकुर प्यारेलाल सिंह एवं डॉ. खूबचंद बघेल ने मिलकर देखा था। ऐसे में नड्डा ने ठाकुर प्यारेलाल सिंह का नाम लेकर छत्तीसगढ़ की जन भावनाओं का पूरा ध्यान रखा। क्रांतिकारी बिरसा मूंडा आदिवासी समुदाय से थे। मंच पर बिरसा मूंडा का स्मरण करना यानी आदिवासी समुदाय को सम्मान देना है।

कलेक्टर की फोटो और

पत्रकार से पैसों की मांग

साइबर अपराधी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। इस बार कुछ नहीं तो रायपुर कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर भुरे को ही अपने निशाने पर ले लिए। एक मोबाइल वाट्स अप नंबर की डीपी में कलेक्टर की फोटो लगाकर 50 हजार की मांग भी की गई तो किससे, एक पत्रकार से! मामला पुलिस के संज्ञान में आया और उक्त फर्जी नंबर ब्लॉक करवा दिया गया। इससे पहले मंत्रालय में बड़े पद पर पदस्थ एक आईएएस अफ़सर के नाम से भी फर्जी मोबाइल नंबर तैयार कर लिया गया था और इधर उधर से बड़ी रकम की मांग की जा रही थी। उस नंबर को भी पुलिस ने बंद करवाया था। हाल ही में प्रमोद गुप्ता नाम के पुलिस अफसर के नाम पर एक फर्जी फेसबुक एकाउंट बन गया था। फर्जी एकाउंट बनाने वाला मैसेंजर के माध्यम से प्रमोद के मित्रों से हजारों रुपये की मांग कर रहा था। कुछ वर्षों पहले विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत के नाम से फर्जी फेस बुक एकाउंट बन गया था। थाने में इसकी शिकायत हुई थी। झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस जब रायपुर सांसद थे उनके फेसबुक एकाउंट को किसी ने हैक कर लिया था और वह भड़काऊ सामग्री डाल रहा था। बाद में वह हैकर पकड़ में आ गया था।

ठेकेदार को लेकर भिड़े

आरडीए के दो वजनदार

रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) सुर्खियों में बने ही रहता है। बताते हैं वहां दो वजनदार लोग एक ठेकेदार को लेकर आपस में भिड़ गए हैं। दरअसल ठेकेदार को पुराने धमतरी रोड की किसी जगह पर ग़रीबों का मकान बनाकर देना था। दो बार कोरोना की मार ऐसी पड़ी मकान निर्माण का काम सही तरीके से आगे नहीं बढ़ पाया। ठेकेदार को ब्लेक लिस्टेड घोषित कर दिया गया। अब ठेकेदार का मामला आरडीए के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक तक जा पहुंचा। एक वजनदार व्यक्ति चाह रहा था कि ठेकेदार को काली सूची से हटवा दिया जाए और उसे एक मौका ज़रूर दिया जाए। दूसरा वजनदार व्यक्ति कहां मानने वाला था, उसने ठेकेदार को सीधे दो साल के लिए टर्मिनेट ही करवा दिया। अंदर की ख़बर रखने वाले बताते हैं ठेकेदार ने राजधानी के शंकर नगर रोड पर रहने वाले एक दिग्गज नेता की शरण में जाकर गुहार लगाई थी, लेकिन बात नहीं बन पाई। ठेकेदार ने अब न्यायाधानी बिलासपुर की राह पकड़ ली है।

हॉस्टल में गणेश जी

गणेश विसर्जन में डीजे बजाने कि अनुमति को लेकर रायपुर साइंस कॉलेज के छात्र एवं हॉस्टल प्रबंधन आमने-सामने हो गए। हॉस्टल में गणेश प्रतिमा बिठाई गई थी। छात्रों ने डीजे के साथ गणेश विसर्जन जुलूस निकालने की अनुमति मांगी थी। प्रबंधन इसके लिए राजी नहीं हुआ। फिर भी छात्र हॉस्टल में डीजे बुलवा लिए। प्रबंधन को इसकी जानकरी हुई तो मुख्य व्दार बंद करवा दिया गया। लेकिन छात्र डीजे में विसर्जन यात्रा निकालने पर अड़े रहे। काफ़ी दबाव बनने के बाद केवल आने-जाने के लिए छोटा प्रवेश व्दार खुला रहने दिया गया। छात्र गेट के पास तेज आवाज में डीजे बजवाकर ख़ूब नाचे-गाये और गुलाल उड़ाए। वैसे स्कूल-कॉलेजों में ऐसी कभी कोई परंपरा नहीं रही कि गणेशोत्सव में प्रतिमा स्थापित की जाए, फिर भी कभी कभार कहीं पर उत्साहित छात्र कुछ अनोखा काम कर ही जाते हैं। 1989 में रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज के पत्रकारिता संकाय (बीजे) के छात्रों ने गणेशोत्सव के दौरान कॉलेज कैम्पस में गणेश प्रतिमा लाकर स्थापित कर दी थी। प्रिंसिपल ने इस पर कड़ी आपत्ति कर दी। पत्रकारिता विभाग के हेड के नाम नोटिस जारी हो गई। एक शिकायती पत्र थाने अलग पहुंच गया। स्थापना के तीन या चार दिन बाद ही प्रिंसिपल ने प्रतिमा का विसर्जन करवा दिया। पत्रकारिता की उस बैच में रहे कुछ लोग इस समय रायपुर के बड़े अख़बारों में सेवाएं दे रहे हैं तो कोई आकाशवाणी और कोई दूरदर्शन में हैं। उस बैच के एक शख्स हाल ही में पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के बड़े पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। एक अन्य शख़्स को भूपेश सरकार ने बड़ी जगह बिठाकर उनका मान बढ़ा दिया है। वहीं प्रतिमा बिठाने वाले सूत्रधार आज भी अपने वही पुराने ‘सब कुछ बदल डालूंगा’ वाले अंदाज़ में जी रहे हैं।

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