मिसाल न्यूज़
रायपुर। भाजपा मुख्य प्रवक्ता अजय चंद्राकर ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार सहकारिता आंदोलन खत्म करने तथा पंचायती राज व्यवस्था को बदहाल बनाने में लगी हुई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ में सहकारिता आंदोलन को खत्म कर अपनी पार्टी के लोगों को संतुष्ट करने नियम कायदों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। पदों की रेवड़ियां बांटी जा रही हैं। राज्यपाल व मुख्य सचिव को इस बात को संज्ञान में लेना चाहिए।
एकात्म परिसर में आज प्रेस वार्ता में अजय चंद्राकर ने कहा कि केंद्र सरकार ने सहकारिता क्षेत्र के विकास के लिए सहकारिता मंत्रालय बनाया है और यहां मुख्यमंत्री सहकारी समितियों के औचित्य को ही समाप्त करने पर आमादा हैं। वे नियमों से खिलवाड़ कर रहे हैं। नियम बदल रहे हैं लेकिन क्या होगा, कैसे होगा, यह तय नहीं है। छत्तीसगढ़ में सहकारिता आंदोलन दम तोड़ चुका है। सहकारी समितियों में नियम विरुद्ध प्रशासक की नियुक्त कर रहे हैं। कौन नियुक्त हो सकता है, इसका कोई मापदंड तय नहीं किया गया है। कांग्रेस के नुमाइंदों को उपकृत करने के लिए कई जिलों के पैक्स में बतौर प्रशासक नियुक्त कर दी गई है। जबकि 4 माह का कार्यकाल बाकी है। किसी भी सोसायटी के कमीशन का पूरा पैसा नहीं मिल रहा, जिसके कारण सोसाइटियां कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रही हैं। अजय चंद्राकर ने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं के अधिकारों में कटौती की गई है। स्थायी समिति में गौठान समिति शामिल की गई है गौठान समिति क्या करेगी, किसी को नहीं मालूम। मनरेगा के सामान का लगभग दो अरब रुपये बकाया है। बकाया भुगतान के लिए लोग सरपंचों के घर पहुंच रहे हैं। परेशान होकर अगर कोई सरपंच कुछ कर लेते हैं तो इसके जिम्मेदार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पंचायत मंत्री रविन्द्र चौबे होंगे।
विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष भूपेश बघेल के बारे में नई परिभाषा दे गए हैं। सीएम मतलब कलेक्शन मास्टर।हर तरफ कांग्रेस सरकार ने कांग्रेस के पदाधिकारियों को एजेंट बना रखा जो अवैध वसूली कर रहे हैं। सहकारिता क्षेत्र के साथ इससे बड़ा मजाक कोई नहीं हो सकता।
सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक शशिकांत द्विवेदी ने कहा कि कांग्रेस सरकार सहकारिता को नेस्तनाबूत करने पर तुली हुई है। सहकारी समितियों के कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद भी निर्वाचन नहीं कराया जाना लोकतंत्र पर कुठाराघात है। जब से कांग्रेस सरकार अस्तित्व में आई है लगातार सहकारिता को समाप्त करने का षड्यंत्र रच रही है। जुलाई 2019 को पुनर्गठन के नाम पर असंवैधानिक तरीके से पूरे प्रदेश की 1333 सोसायटीओ को भंग कर दिया गया था। उच्च न्यायालय के पारित आदेश दिनांक 22 नवंबर 2019 के परिणाम स्वरूप सभी सोसाइटियों के बोर्ड को पुनः बहाल किया गया। इस प्रकार लगभग 4 माह तक अवैधानिक रूप से सोसाइटी के बोर्ड को भंग कर प्राधिकृत अधिकारी की नियुक्ति कर दी गई थी जो नियम विरुद्ध गलत निर्णय है। भाजपा मांग करती है कि सोसाइटी के बोर्ड की पुनः बहाली किया जाए एवं पुनर्गठन के बाद 2020 में अस्तित्व में आई 725 नई सोसाइटीयां जिसका 2 वर्ष से ज्यादा कार्यकाल बीतने के बाद भी आज तक निर्वाचन नहीं कराया गया उसका निर्वाचन कराया जाए।
सहकारिता प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश संयोजक अशोक बजाज ने कहा कि सहकारी समितियों का कार्यकाल मई-जून में समाप्त हो गया है लेकिन इनके चुनाव के लिए अभी तक कोई पहल नहीं की गई है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार राजनीतिक कार्यकर्ताओं का मनोनयन कर रहे हैं।
पत्रकार वार्ता में प्रदेश भाजपा मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी तथा सह प्रभारी अनुराग अग्रवाल भी मौजूद थे।