हर्निया के प्रति जागरूक करने डॉ. संदीप दवे के मार्गदर्शन में महा अभियान

मिसाल न्यूज़

रायपुर। राजधानी रायपुर के रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल के प्रमुख डॉ. संदीप दवे के मार्गदर्शन में  20 अक्टूबर से 60 दिन का महा अभियान मनाया जा रहा है। इसमें 1 लाख लोगों को हर्निया के प्रति जागरूक करने का निर्णय लिया गया है। इससे लोग हर्निया बीमारी होने के कारण और उससे होने वाली परेशानियों के बारे में जान सकेंगे और इस अभियान के जरिये अपने स्वास्थ्य कि उचित जाँच करा सकेंगे। हर्निया फ्री समाज अभियान के तहत विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम में रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल के जनरल सर्जरी विभाग के एक्सपर्ट डॉक्टर्स कि टीम रहेगी जो अपने अनुभवों को साझा कर बीमारी से संबंधित जानकारी देगी।

डॉ. संदीप दवे ने एक प्रेस कांफ्रेंस में जानकारी दी कि हर्निया सामान्य दिनचर्या में असुविधा या दर्द उत्पन्न कर सकता है। वजन उठाने या भारी काम करने में भी तकलीफ होती है। यहां तक कि नार्मल रूटीन लाइफ पर भी असर पड़ता है। यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि समय के साथ हर्निया में न तो सुधार होता है और न ही यह जाता है, जैसा कि कई बीमारियों में होता है। समय के साथ यह बढ़ता ही जाता है और गंभीर रूप धारण कर सकता है। हर्निया में आंतों के फंसने या अटकने की स्थिति में जान का खतरा उत्पन्न हो सकता है। इसलिए इसका उपचार तुरंत करवाना चाहिए। मांसपेशियां कमजोर होने के कारण मनुष्य को कई तरह की बीमारियां और परेशानियां होती हैं, हर्निया भी उन्हीं में से एक है। जब एक मांस पेशी या उत्तक में छेद होकर उसके अंदर का अंग/हिस्सा बाहर आने लगता है तो उसे मेडिकल की भाषा में हर्निया रोग कहते हैं। ज्यादातर मामलों में यह पेट में देखने को मिलता है, लेकिन यह जांघ के ऊपरी हिस्से, नाभि और कमर के आसपास भी हो सकता है। अधिकतर मामलों में हर्निया घातक नहीं होते हैं, लेकिन उन्हें इलाज की आवश्यकता होती है। हर्निया का एकमात्र इलाज सर्जरी है। हर्निया के कई कारण हो सकते हैं। मुख्य रूप से मांस पेशियां कमजोर होने के कारण हर्निया होता है। मांसपेशियों के कमजोर होने के मुख्य कारणों में निम्न शामिल हो सकते हैं जो आगे जाकर हर्निया का कारण बन सकते हैं:- उम्र बढ़ना, चोट लगना, गर्भवती होना, मोटापा होना, धूम्रपान करना, वजन अधिक होना, पुरानी खांसी होना, पीसीओडी होना, आनुवंशिक कारण, पुराना कब्ज होना, हैवी व्यायाम करना, भारी वजन उठाना, मल्टीपल गर्भधारण होना, सिस्टिक फाइब्रॉइड्स होना, जन्म के दौरान शिशु का वजन कम होना, पेट में तरल पदार्थ जमा होना, सर्जरी के दौरान कोई जटिलता होना।

डॉ. संदीप दवे ने बताया कि दूसरी समस्याओं की तरह हर्निया के भी कुछ मुख्य लक्षण होते हैं जो उनकी मौजूदगी की ओर इशारा करते हैं। हर्निया के लक्षण में निम्न शामिल हो सकते हैं:-  प्रभावित हिस्सा उभरा हुआ दिखाई पड़ना, प्रभावित हिस्से को छूने पर हल्का दर्द होना, शरीर में भारीपन महसूस होना, देर तक खड़े रहने में परेशानी होना, मल-मूत्र त्याग करते समय कठिनाई होना, त्वचा के अंदर कुछ फुला-फुला महसूस करना, शरीर के किसी हिस्से से चर्बी का बाहर निकलना, इन सबके अलावा उठते, बैठते या दैनिक जीवन के कामों को करते समय प्रभावित हिस्से में दर्द महसूस करना भी हर्निया के मुख्य लक्षणों में से एक है।

उन्होंने बताया कि हर्निया के अनेक नुकसान हैं। जब आंत या वसायुक्त चर्बी का टुकड़ा हर्निया की थैली में फंस जाता है तो सूजन पैदा होती है और उत्तक में खून की आपूर्ति बंद हो जाती है। खून की आपूर्ति नहीं होने के कारण उत्तक मरने लगते हैं जिसे स्ट्रैंगुलेटेड हर्निया कहते हैं। स्ट्रैंगुलेटेड हर्निया के कारण मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। यही कारण है कि इसे आपात मेडिकल देखभाल की आवश्यकता होती है। साथ ही, हर्निया का आकार बड़ा होने पर पेट और खाने की नाली विस्थापित हो सकती है। सर्जरी ही हर्निया का एकमात्र इलाज है। जीवनशैली में बदलाव या दवाओं की मदद से हर्निया के लक्षणों को बस कम किया जा सकता है। सर्जरी के दौरान डॉक्टर हर्निया को बाहर निकाल देते हैं। हर्निया की सर्जरी को दो तरह से किया जाता है जिसमें ओपन सर्जरी और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी शामिल हैं।

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