■ अनिरुद्ध दुबे
यह साफ तौर पर नज़र आ रहा है कि नया आरक्षण लागू हो या नहीं हो, दोनों ही स्थितियों में यह इस साल के विधानसभा चुनाव का महत्वपूर्ण मुद्दा रहेगा। आरक्षण पर 1 व 2 दिसंबर को विधानसभा का सत्र हुआ। इसके बाद 2,3 एवं 4 जनवरी को विधानसभा का विस्तारित सत्र भी हुआ। दिसंबर वाले सत्र में जहां सर्वसम्मति से संशोधित आरक्षण विधेयक पारित हुआ, वहीं जनवरी वाले विस्तारित सत्र में कांग्रेस एवं भाजपा विधायकगण सदन के भीतर जमकर आपस में टकराते नज़र आए। आरक्षण अधर में लटके रहने के लिए दोनों ही दल के विधायकों ने एक दूसरे को जमकर कोसा। आरक्षण संशोधन विधेयक लागू हो मांग को लेकर कांग्रेस ने 3 दिसंबर को चलते विधानसभा सत्र के बीच राजधानी रायपुर में महारैली भी कर ली। रैली के बाद 12 मंत्रियों समेत 3 दर्जन कांग्रेस विधायक राज भवन पहुंचे और राज्यपाल अनुसुईया उइके को ज्ञापन सौंपकर आरक्षण संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर करने की मांग की। राज्यपाल ने इन मंत्रियों व विधायकों से जो कहा वह गौर करने लायक है। राज्यपाल ने कहा कि “आरक्षण को लेकर 43 अलग-अलग समाज और संगठनों के आवेदन मिले हैं, इसलिए अध्ययन करने के बाद ही कोई निर्णय लेंगी।“ राज्यपाल ने यह कहकर एक बड़ा संकेत दिया है। आरक्षण नाम की इस कहानी के ‘द एंड’ आने में अभी वक़्त है।
बिलासपुर में भी
एम्स चाहते हैं बाबा
छत्तीसगढ़ सरकार के स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव चाह रहे हैं राजधानी रायपुर के बाद न्यायाधानी बिलासपुर में भी एम्स की स्थापना हो। इसके लिए बाबा ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने कहा है कि “छत्तीसगढ़ की सीमाएं ओड़िशा, झारखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना से लगी हुई हैं। छत्तीसगढ़ के एक छोर में सरगुजा है तो दूसरे छोर पर बस्तर। दोनों ही संभागों का क्षेत्रफल काफी बड़ा है। इन दोनों के मध्य में बिलासपुर है, जहां एम्स की स्थापना की जानी चाहिए। सरगुजा संभाग और बिलासपुर संभाग मिलाकर कुल 12 जिले हैं। बड़े रोग के उपचार के लिए इन सभी जिलों के लोगों को रायपुर जाना पड़ता है। बिलासपुर में एम्स खुला तो लोग लंबी दूरी की यात्रा से बच पाएंगे। पड़ोसी राज्यों के लोगों को भी यहां का फायदा मिल पाएगा।“ बाबा अक्सर दूर की सोचते हैं। बाबा स्वास्थ्य मंत्री का पद सम्हाले थे तब वे छत्तीसगढ़ में यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम लागू करने के पक्षधर रहे थे। इस स्कीम को समझने के लिए बाबा स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ थाइलैंड यात्रा पर भी गए थे। अब बाबा का बड़ा सपना है बिलासपुर में एम्स खुले। उल्लेखनीय है कि देश में उत्तरप्रदेश एवं जम्मू कश्मीर दो ऐसे राज्य हैं जहां दो एम्स हैं। उत्तरप्रदेश में गोरखपुर व रायबरेली तथा जम्मू कश्मीर में अनंतपुरा व विजयपुर में एम्स हैं। हो सकता है इन दो राज्यों की जानकारी के आधार पर बाबा छत्तीसगढ़ में भी एक और एम्स के लिए प्रयास कर रहे हों।
हज़ार करोड़ से कम के
आरोप नहीं होते इनके
वरिष्ठ भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल 40 साल से अधिक समय से सक्रिय राजनीति में हैं। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय सुंदरलाल पटवा के मुख्यमंत्रित्वकाल में वे विधायक चुन लिए गए थे और पहली ही विधायकी में मंत्री भी बन गए थे। तब से अब तक 7 बार विधानसभा चुनाव लड़े और एक बार भी नहीं हारे। छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह की जब लगातार 15 साल सरकार रही, तीनों ही बार बृजमोहन मंत्री रहे। इतने दीर्घ राजनीतिक अनुभव रखने वाला नेता हल्की-फुल्की बात तो करेगा नहीं। बृजमोहन जी जब छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हैं तो वह आरोप उतना ही बड़ा होता है जितना बड़ा की उनका राजनीतिक क़द। हजार करोड़ से कम का उनका आरोप नहीं होता। अग्रवाल व्दारा लगाए गए कुछ आरोपों की बानगी देखिए- 1. छत्तीसगढ़ सरकार 51 हज़ार करोड़ के कर्ज़ में डूबी सरकार है। 2. प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण योजना अंतर्गत होने वाले चावल वितरण में छत्तीसगढ़ में 5 हज़ार करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ है। 3. लाइवलीहुड कॉलेज़ के माध्यम से होने वाले प्रशिक्षण एवं कौशल विकास उन्नयन की आड़ में क़रीब 30 जिलों में डीएमएफ राशि में 1 हज़ार करोड़ से ज़्यादा का भ्रष्टाचार हुआ है।
नमस्ते चौक होलसेल
बाकी रिटेलर दुकानें
रायपुर उत्तर विधायक कुलदीप जुनेजा के बारे में कहा जाता है कि वे पूरे छत्तीसगढ़ में सबसे ज़्यादा आसानी से उपलब्ध होने वाले विधायक हैं। जेल रोड के आगे बने चौक में एक कोने में बरसों से बैठते आ रहे हैं। जुनेजा की दिन भर नमस्ते करते रहने की जो आदत रही है उससे इस चौक का नाम ही नमस्ते चौक पड़ गया है। जुनेजा इस नमस्ते चौक में तो रोज बैठते हैं लेकिन उनके रायपुर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में 5 और भी ठिकाने हैं जहां वे सप्ताह में एक दिन के हिसाब से सड़क के किनारे अपना दुपहिया वाहन टिकाकर जनता से मिलते हैं। कोई सवाल करे तो जुनेजा का ज़्यादातर ज़वाब मजाकिया अंदाज़ में ही होता है। किसी ने पूछ दिया कि नमस्ते चौक और बाकी उन पांच और स्थानों में क्या अंतर है, जुनेजा का चुटीले अंदाज़ में ज़वाब था- “नमस्ते चौक में होलसेल क़ारोबार है, जबकि बाक़ी 5 रिटेलर दुकानें हैं।“
सुर्खियों में रायपुर
के ये 3 मॉल
रायपुर शहर इस समय मॉल को लेकर लगातार चर्चा में बना हुआ है। सिटी सेंटर पंडरी, ट्रेज़र आईलैंड जोरा एवं आर.के. मॉल आमानाका ये तीन मॉल ऐसे हैं जिन्हें लेकर नई कहानियां सामने आ रही हैं। सिटी सेंटर की इन दिनों भव्य साज सज्जा चल रही है। यह मॉल आरडीए (रायपुर विकास प्राधिकरण) की ज़मीन पर बना है। आरडीए ने इस मॉल में अपने कोटे की 43 हज़ार वर्ग फुट ज़मीन बेचने निविदा जारी की है। यदि यह ज़मीन बिकती है तो आरडीए की ख़राब चल रही माली हालत में थोड़ा न थोड़ा सुधार तो होगा ही। अब बात करें ट्रेजर आईलैंड की। बताते हैं बरसों से आधे अधूरे बनकर पड़े ट्रेजर आईलैंड पर नगर निगम का 15 करोड़ प्रापर्टी टैक्स बकाया है। किसी पुरानी ईमारत के अवशेष की तरह नज़र आने वाले ट्रेजर आइलैंड पर नगर निगम ने 15 करोड़ टैक्स चुकाने की नोटिस चस्पा करवा दी है, साथ ही यह संदेश भी दे दिया है कि यदि टैक्स नहीं पटा तो किसी एक फ्लोर को नीलाम कर पैसा वसूला जाएगा। सिटी सेंटर की तरह आर.के. मॉल की भी साज सज्जा चल रही है। फ़र्क सिर्फ़ इतना है कि सिटी सेंटर चलायमान है और आर.के. मॉल 4-5 वर्षों से बंद पड़ा है। पूर्व में आर.के. मॉल जिन लोगों के अधिकार क्षेत्र में था वे बुरी तरह कर्ज़ में डूबे हुए हैं। अब किस कूबेरपति ने आर.के. मॉल पर हाथ डाला है इस पर सस्पेंस कायम है।