■ अनिरुद्ध दुबे
बागेश्वर धाम के पीठाधेश्वर पंडित धीरेंन्द्र शास्त्री को अंधविश्वास फैलाने का मामले में नागपुर पुलिस ने क्लीन चिट दे दी। ये रायपुर भी जादुई शहर है, जिसने धीरेंद्र शास्त्रीय की लोकप्रियता को और शिखर पर पहुंचा दिया। धीरेंद्र शास्त्री को चुनौती तो नागपुर में अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति की ओर से मिली थी लेकिन बड़ी बहस का मुद्दा बने वे रायपुर में आकर। यहां तक कि रायपुर के गुढ़ियारी वाले प्रवचन स्थल में मीडिया के कुछ लोगों से धीरेंन्द्र शास्त्री ने सीधे संवाद किया और उस दौरान कुछ ऐसे दृश्य सामने आए जिसने लोगों को हैरानी में डाल दिया। धीरेन्द्र जी तो चर्चा में थे ही साथ ही चर्चा में मीडिया से जुड़े वे लोग भी आ गए जिनसे उनका सीधे संवाद हुआ। दो-तीन दिन तक सोशल मीडिया में यही सब कुछ छाया रहा। देश के मशहूर क्राइम रिपोर्टर शम्स ताहिर खान का एक शो आता है ‘क्राइम तक- शम्स की जुबानी।‘ शम्स के इस शो के लाखों कद्रदान हैं और वे छत्तीसगढ़ की घटनाओं पर बहुत कम ही जाते हैं लेकिन बागेश्वर धाम महाराज की कहानी को उन्होंने अपने शो का हिस्सा बनाया। बागेश्वर धाम महाराज के सामने चुनौती पर चुनौती पेश की जा रही थी। यह हवाला दिया गया कि जो काम धीरेन्द्र शास्त्री करते हैं वह जादूगर सुहानी भी कर लेती हैं। जादूगर सुहानी की ख़ासियत है कि सामने खड़े व्यक्ति के मन में क्या चल रहा है उसे वह पढ़ लेती हैं और बता भी देती हैं, लेकिन बागेश्वर धाम महाराज की सिध्दि अलग हटकर है। ओशो जब आचार्य रजनीश थे तो उन्होंने सत्य साईं बाबा के सामने जादूगर आनंद को खड़ा करने की कोशिश की थी। रजनीश ने संदेश देने की कोशिश की थी सत्य साईं जो चमत्कार दिखाते हैं उसे तो मेरा चेला जादूगर आनंद भी दिखा लेता है। गौर करिये यहां जितने नामों का उल्लेख हो रहा है इन सभी का रायपुर शहर से गहरा रिश्ता रहा है। हाल ही में इसी रायपुर ने बागेश्वर धान महाराज को और ज़्यादा सुर्खियों में ला दिया। सुहानी बाल्यावस्था में रायपुर के रंग मंदिर में जादू का शो करने आई थीं फिर वे युवावास्था में मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में रायपुर में आईं। ओशो यानी आचार्य रजनीश ने कभी रायपुर के संस्कृत कॉलेज में अध्यापन का कार्य किया था, वहीं जादूगर आनंद की कर्मभूमि रायपुर शहर ही रहा था। सत्य साईं बाबा ने बच्चों के हृदय रोग से जुड़े जन कल्याणकारी हॉस्पिटल के लिए जिस जगह का चयन किया वह नया रायपुर है।
वास्तु शास्त्र के
हिसाब से बदलाव
छत्तीसगढ़ में मानो नेताओं एवं आला अफ़सरों का वास्तु शास्त्र के प्रति विश्वास एकदम से बढ़ गया है। रायपुर में पदस्थ ऐसे अफ़सर जिन्हें ईडी की नज़र लग गई उनके बंगले में इन दिनों काफ़ी कुछ परिवर्तन हो रहा है। अफ़सर दंपत्ति के दिमाग में यह बात बैठ गई सरकारी खर्चे से बदलाव लाएंगे तो वह फलित नहीं होगा, अतः सारा पैसा अपनी तनख़्वाह से लगा रहे हैं। पिछले दिनों उन पर जब जांच की गाज गिरी तो वास्तु शास्त्री से सलाह ली गई थी। वास्तु शास्त्री बंगले में गए और देखकर बताया कि यहां एक-दो नहीं कई सारे दोष हैं। उनकी सलाह मानकर अब बंगले में आमुलचूल परिवर्तन किया जा रहा है। संवैधानिक पद से जुड़े एक नेता की पत्नी के बंगले में इन दिनों वास्तु शास्त्र के हिसाब से काफ़ी बदलाव हो रहा है। नेता जी का सोचना है कि दिसंबर 2023 के चुनाव में पता नहीं क्या सीन रहे, इसलिए पत्नी को मिले सरकारी बंगले को तो कम से कम ठीक रखा जाए। एक महिला विधायक को वास्तु शास्त्री ने कुछ महत्वपूर्ण सलाह दे दी बस उसके बाद से रायपुर में उनके बंगले में बदलाव का काम शुरु हो गया।
राज भवन नहीं
पहुंची रिपोर्ट
आरक्षण विधेयक 2 दिसंबर को छत्तीसगढ़ विधानसभा में सर्व सम्मति से पारित हो चुका है और अब जनवरी बीतने को है लेकिन कोई समाधान निकलते नहीं दिख रहा है। आरक्षण के मुद्दे पर सर्व आदिवासी समाज पिछले दिनों दोबारा राज्यपाल अनुसुइया उईके से मिला। राज्यपाल ने आदिवासी समाज के प्रतिनिधि मंडल से कहा कि क्वांटिफाइबल डाटा आयोग की रिपोर्ट उन्हें सरकार की ओर से उपलब्ध ही नहीं कराई गई है, दूसरी तरफ कांग्रेस के कुछ नेता यही कहते नज़र आ रहे थे कि रिपोर्ट राज भवन में उपलब्ध करा दी गई है। बहरहाल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के यह कहने के बाद कि क्वांटिफाइबल डाटा रिपोर्ट उपलब्ध कराना ज़रूरी नहीं है, उससे तस्वीर साफ हो गई है। यानी रिपोर्ट राज्य भवन नहीं पहुंची है। दूसरी तरफ पिछड़ा वर्ग का एक संगठन लगातार यह कहते आ रहा है कि क्वांटिफाइबल डाटा रिपोर्ट अगर कोई देखे तो साफ हो जाएगा कि छत्तीसगढ़ में पिछड़ा वर्ग के लोगों की जनसंख्या ज़्यादा है। संगठन का यही कहना है कि आरक्षण पर नये सिरे से विचार करने की ज़रूरत है।
शव यात्रा तक में
बाधक धरना स्थल
रायपुर नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे ने बूढ़ापारा धरना स्थल को हटाने की मांग को लेकर आंदोलन का ऐलान कर दिया है। दुबे के नेतृत्व में रायपुर कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर भुरे को एक ज्ञापन सौंपकर उन्हें बता दिया गया कि कदम आंदोलन की तरफ बढ़ रहे हैं। बूढ़ापारा के रास्ते से ही मारवाड़ी श्मशानघाट जाना पड़ता है। कलेक्टर को बताया गया कि इंडोर स्टेडियम के बाजू जब धरना प्रदर्शन चलता है शव यात्रा तक फंस जाती है। पूर्व विधायक राधेश्याम शर्मा की शव यात्रा घंटे भर तक फंसी रही। बूढ़ापारा धरना स्थल हटाने की मांग कोई आज की नहीं बल्कि काफ़ी पुरानी है। जब सौरभ कुमार रायपुर कलेक्टर थे उन्होंने धरना स्थल के लिए नया रायपुर तथा माना-तूता दो विकल्प सामने रखे थे। इस बात के पूरे आसार नज़र आ रहे थे कि धरना स्थल हटने वाला है लेकिन बीच में नेतागिरी हो गई और इतना बड़ा प्रयास धरे का धरा रह गया। माना यही जाता है कि सौरभ कुमार की तरह सर्वेश्वर भुरे भी जिस चीज को ठान लें करके रहते हैं। हो सकता है आने वाले दिनों धरना स्थल पर कोई बड़ा फैसला हो जाए।