● कारवां (9 अप्रैल 2023)- शराब जनता की जान से ज़्यादा कीमती तो नहीं

■ अनिरुद्ध दुबे

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शराब बंदी होना चाहिए या नहीं इस पर अपने गंभीर विचार जनता के सामने रखे हैं। दुर्ग शहर में भेंट मुलाक़ात के दौरान जब एक महिला ने कहा “शराब बंद करवा दें” तो मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि “एक मिनट में शराब बंद करवा सकता हूं। पहले लोग कसम खाएं कि शराब नहीं पिएंगे। शराब जनता से ज़्यादा कीमती तो नहीं हो सकती।“ मुख्यमंत्री ने कहा कि “गुजरात व बिहार में शराब बंदी है फिर भी वहां जगह-जगह शराब बिक रही है।“ शराब बंदी का वादा कांग्रेस के घोषणा पत्र में था। पूर्व में मुख्यमंत्री ने कहा था कि शराब बंदी करेंगे लेकिन नोट बंदी की तरह नहीं। वैसे शराब बंदी को लेकर लगातार गहन चिंतन मनन लंबे समय से चल ही रहा है। शराब बंदी के लिए बनी वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा की अध्यक्षता वाली समिति गुजरात एवं बिहार का अध्ययन दौरा कर आई है जहां कि पूर्ण शराब बंदी है। चुनाव दिसंबर में होने हैं इसलिए शराब पर अपनी रिपोर्ट देने अध्ययन टीम के पास अभी कुछ महीनों का वक़्त है। छत्तीसगढ़ में क्या शराब बंदी हो पाएगी और क्या नया आरक्षण विधेयक लागू हो पाएगा ये दो सवाल बेहद कठिन हैं। वहीं इन दोनों सवालों पर सीधा ज़वाब आ पाना तो और भी ज़्यादा कठिन है।

प्रियंका और बस्तर दौरा

प्रियंका गांधी का 12 या 13 अप्रैल को बस्तर आना प्रस्तावित है। यहां वे महिला सम्मेलन में शामिल होंगी। जानकार लोगों के मुताबिक स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चाह रहे थे कि इस चुनावी वर्ष में प्रियंका न सिर्फ़ बस्तर आकर वहां के नेताओं व कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्धन करें बल्कि उनकी एक बड़ी सभा भी हो। कांग्रेस हो या भाजपा या फिर अपनी ज़मीन मजबूत करने में लगी आम आदमी की पार्टी, सभी की निगाहें बस्तर में जमी हैं। बस्तर जो कि 2018 तक भाजपा का गढ़ समझा जाता रहा था बाद में पूरी तरह कांग्रेस का गढ़ हो गया। बस्तर की सभी 12 विधानसभा सीटों पर इस समय कांग्रेस के विधायक काबिज हैं। भाजपा लगातार बस्तर की तोड़ निकालने की कोशिश में लगी हुई है। भाजपा प्रदेश प्रभारी ओम माथुर का पूरा फ़ोकस बस्तर और सरगुजा पर है। ओम माथुर से पहले डी. पुरंदेश्वरी जो भाजपा की प्रदेश प्रभारी थीं वो भी छत्तीसगढ़ पहुंचते ही सबसे पहले बस्तर की राह पकड़ा करती थीं। हाल ही में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह बस्तर के भाजपा नेताओं से मेल मुलाक़ात करने के अलावा वहां सीआरपीएफ के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिए। पूर्व में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा भी बस्तर का दौरा करके जा चुके हैं। अमित शाह के दौरे के ज़वाब में प्रियंका गांधी का बस्तर दौरा कांग्रेस के दिग्गजों को ज़रूरी लगने लगा है।

वृहस्पत का गुस्सा

एक बार फिर प्रश्न यह खड़ा हो गया कि रामानुजगंज के कांग्रेस विधायक वृहस्पत सिंह को गुस्सा क्यों आता है? हफ़्ते भर के भीतर उनसे जुड़े दो वीडियो वायरल हुए। पहले वायरल हुए वीडियो में वृहस्पत सिंह भरी भीड़ के बीच बैंक कर्मचारी को थप्पड़ मारते नज़र आ रहे हैं। दूसरा जो वीडियो सामने आया उसमें वे सार्वजनिक मंच से गालियां देते नज़र आ रहे हैं। भाजपा के लोग यह कहते हुए इस वीडियो को वायरल कर रहे हैं कि देखिए कांग्रेस के जन प्रतिनिधियों का व्यवहार। वहीं कांग्रेस के लोग वृहस्पत सिंह के बचाव में यह कहते हैं नज़र आ रहे हैं कि जब आम नागरिकों व किसानों के साथ किसी अधिकारी या कर्मचारी का व्यवहार बुरा होगा तो जनता के प्रतिनिधि कहलाने वाले विधायक को गुस्सा तो आएगा ही। वृहस्पत सिंह मीडिया के सामने बोल चुके हैं कि “उनके हाथों कुछ ग़लत नहीं हुआ है। वृद्ध के साथ दुर्व्यवहार करने वाले कर्मचारी को थप्पड़ मारने का कोई अफ़सोस नहीं।“ दूसरी ओर बैंक कर्मचारी उनके खिलाफ़ आंदोलन पर चले गए। वृहस्पत सिंह बीच-बीच में कुछ ऐसा कर जाते हैं कि बड़ा बम फूट जाता है। पूर्व में कभी वे यह कहने से पीछे नहीं रहे थे कि “आईएएस अफ़सर एलेक्स पाल मेनन नक्सलियों के साथ पार्टी करते हैं।“ वृहस्पत सिंह की बातों से परे हटकर दूसरी तरफ से सोचें तो ये वही एलेक्स पाल मेनन हैं जिनका दिन दहाड़े बस्तर में नक्सलियों ने अपहरण कर लिया था। उसके बाद एक अवसर ऐसा भी आया था जब एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें वृहस्पत सिंह यह कहते दिखाई दिए थे कि “टी.एस. सिंहदेव को मेरी हत्या करवाने से यदि मुख्यमंत्री पद मिल जाता है तो वे यह भी करवा लें।“ हालांकि बाद में वृहस्पत सिंह ने यह कहते हुए खेद व्यक्त किया था कि वे बाबा के बारे में भावावेश में आकर ऐसा कह गए थे।

टिकट मिली तो

छोड़ेंगे नौकरी

अमीर हों या ग़रीब, साधु-संत हों या अपराधी, व्यापारी हों या अधिकारी, राजनीति में हर कोई संभावनाएं तलाशते नज़र आता है। बस्तर में फारेस्ट विभाग में पदस्थ एक अफ़सर की इन दिनों राजनीति में आने की इच्छा प्रबल हो गई है। वो नौकरी इसी शर्त पर छोड़ने के लिए तैयार हैं कि एक बड़ी पार्टी से टिकट मिलने की गारंटी हो। वो बड़ी पार्टी इस समय निरंतर चलते हुए जहाज की तरह है। जंगल अधिकारी की सबसे ज़्यादा रुचि अंतागढ़ विधानसभा सीट में दिखाई दे रही है। ये वही अंतागढ़ सीट है जहां के विधायक अनूप नाग कभी पुलिस विभाग के अधिकारी थे। यानी अधिकारी रहे विधायक की सीट पर किसी दूसरे अधिकारी की नज़र गड़ी हुई है।

आपरेशन ‘कमल’

छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन ने छत्तीसगढ़ में लगातार पड़ रहे छापों को भाजपा के इशारे पर होना बताते हुए इसे ‘आपरेशन कमल’ करार दिया। देखा जाए तो ‘कमल’ का राजनीति से कोई आज का नहीं बरसों पुराना रिश्ता रहा है। भाजपा का चुनाव चिन्ह ‘कमल’ है। राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री थे तब विपक्षी पार्टी के कुछ नेता लगातार उन पर ऐसे आरोप लगाते रहे थे जो कि कभी प्रमाणित नहीं हुए। मसलन कहा जाता रहा था कि राजीव गांधी का पैसा स्विस बैंक में जमा है। विपक्ष में उस दौर में कुछ ऐसे अंतर्यामी नेता पैदा हो गए थे जो कि ये तक बता दिए थे कि राजीव गांधी का स्विस बैंक में जो पैसा जमा है उस एकाउंट का पास वर्ल्ड ‘लोटस’ है। ‘लोटस’ यानी ‘कमल।‘ फिर ‘राजीव’ का पर्यायवाची भी तो ‘कमल’ ही होता है।

कुत्ता प्रेम

कुछ आला अफ़सर ऐसे होते हैं जिनके कुत्तों की बुलंद किस्मत को देखकर इंसान भी ईर्ष्या से भर जाएं। वाकया पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश का है। मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस राहुल व्दिवेदी जो इन दिनों दिल्ली में हैं उनका एक पालतु कुत्ता ग्वालियर के बिलौआ क्षेत्र में गुम हो गया। बताया जा रहा कि ग्वालियर शहर की दीवालों पर इस कुत्ते के गुम हो जाने के पोस्टर लगाए गए हैं। पोस्टर में कुत्ते की तस्वीर है, साथ ही यह लिखा है कि सूचना देने वाले को उचित ईनाम दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ में कुछ ऐसे बड़े आईएएस एवं आईपीएस अफ़सर पदस्थ रहे जिन्हें अपने कुत्तों से बेहद प्यार रहा। रायपुर नगर निगम से जुड़ी बहुत पहले की एक घटना है। नगर निगम के प्रेस विभाग के एक कर्मचारी किसी काम से निगम के बड़े अफ़सर के बंगले पहुंचे हुए थे। उनका खूंखार पालतू कुत्ता बंधा हुआ नहीं था और उसने कर्मचारी पर झपट्टा मारा और काट खाया। कर्मचारी को तूरंत रैबिज़ का इंजेक्शन लगवाना पड़ा। मामले ने तूल पकड़ लिया। दो बड़े अख़बारों के माध्यम से साहब और उनके कुत्ते की ख़बर जन-जन तक पहुंच गई। जो कुछ घटा उसके लिए साहब की बीबी को उस कर्मचारी से माफ़ी मांगनी पड़ी थी। जहां तक कुत्ता प्रेमी साहब की बात है तो वे दिनों एक राजनीतिक पार्टी की शोभा बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा इसी रायपुर नगर निगम में कमिश्नर पद पर पदस्थ रहे एक आईएएस अफ़सर ने भी अपने बंगले में एक खूंखार कुत्ते को पाल रखा था। उस कुत्ते ने एक जोन कमिश्नर पर इस क़दर झपट्टा मारा कि उन्हें इंजेक्शन लगवाना पड़ा था। सारांश में अपनी बातों को रखने में प्रवीण रहे उन मित्र अफ़सर के कुत्ते से गहरा लगाव रहने की चर्चा आज भी नगर निगम के गलियारे में होती है। ताजा ख़बर यह है कि रायपुर नगर निगम ने आवारा कुत्तों को एक जगह पर रखने के लिए सोनडोंगरी में पत्रकारों की कॉलोनी के आगे डॉग शेल्टर हाउस बनाना तय किया है।

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