● कारवां (21 मई 2023)- नोट बंदी पर ख़ूब बोलते रहे हैं भूपेश

■ अनिरुद्ध दुबे

केन्द्र सरकार ने 2 हज़ार का नोट बंद करने का निर्णय लिया है। देखा जाए तो सात वर्ष के भीतर यह दूसरी बार नोट बंदी है। नोट बंदी ऐसा शब्द है जो हमेशा से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ज़ुबान पर आता रहा है। पिछली बार प्रदेश में जब भाजपा की सरकार थी भूपेश बघेल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष होने के अलावा विधायक भी थे। 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के बाद जब उसी साल दिसंबर में विधानसभा का शीतकालीन सत्र हुआ था, भूपेश बघेल ने सदन में केन्द्र सरकार के नोट बंदी के उस निर्णय की जमकर निंदा की थी। तब विधानसभा में भूपेश बघेल ने कहा था कि “इस नोट बंदी के कारण न जाने कितनी ही महिला शक्ति को कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। बड़ी मुश्किल से उन्होंने बचा-बचाकर आड़े वक़्त के लिए 500 एवं 1 हज़ार के नोट जमा करके रखे थे। नोटबंदी के कारण इन नोटों को जब बैंक में बदलाने की बारी आई तो पति व परिवार के अन्य सदस्य ही पूछे होंगे कि तूम्हारे पास इतने सारे नोट कहां से आए? इस तरह बेवज़ह ही संदेह के दायरे में आने वाली बात हो गई।” 2018 में जब कांग्रेस की सरकार आई तो 2019-20 में बघेल से लगातार यही सवाल होते रहा था कि “शराब बंदी को लेकर आपकी क्या राय है?” तब भी बघेल नोटबंदी का ही उदाहरण सामने रखते हुए कहा करते थे कि “हम नोटबंदी की तरह शराब बंदी नहीं करेंगे जिसने न जाने कितने ही लोगों को तबाह किया।”

हज़ार करोड़ से कम का

नहीं होता शराब घोटाला

“ये काली काली बोतलें

जो हैं शराब की

रातें हैं इनमें बंद

हमारे शबाब की”

पहले भी कहा जाता रहा है कि पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल की ओर से सत्ता पक्ष पर लगाए जाने वाले आरोप मानो हज़ार करोड़ से कम के होते ही नहीं। लंबे समय से ईडी छत्तीसगढ़ में सक्रिय है। ईडी की ओर से अधिकृत बयान आया है कि छत्तीसगढ़ में 2 हज़ार करोड़ का शराब घोटाला हुआ है। शराब घोटाले के खिलाफ़ भाजपा की ओर से पोस्टर जारी होने के ठीक बाद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि ईडी ने जो आंकड़ा दिया वह उसका अपना आकलन है। हमारे हिसाब से तो 20 हज़ार करोड़ का घोटाला हुआ है। वहीं कांग्रेस संचार विभाग के चेयरमैन सुशील आनंद शुक्ला ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय में भी शराब घोटाला होने का आरोप लगाया है। शुक्ला का भी आंकड़ा करोड़ों में है लेकिन बृजमोहन जी की काफ़ी तुलना में काफ़ी कम है। शुक्ला ने भाजपा शासनकाल के समय में 4400 करोड़ का घोटाला होने का आरोप लगाया है। आरोप सत्ता पक्ष की ओर से लगे या विपक्ष से, जिस तरह घोटाले का आंकड़ा करोड़ों में बताया जा रहा है इससे अंदाज़ यही लगता है कि हमारे छत्तीसगढ़ में शराब पीने वालों का आंकड़ा भी करोड़ को छू रहा होगा। वैसे भी 2003 से 2008 के बीच भाजपा का जो पहले दौर का शासनकाल था तब ब्रेवरेज़ कार्पोरेशन के तत्कालीन अध्यक्ष ने बड़े ही खुले मन से मीडिया के सामने कहा था कि शराब की खपत के मामले में छत्तीसगढ़ राज्य देश में तीसरे नंबर पर है।

कहां गया अनुशासन

जिस अनुशासन के लिए भाजपा जानी जाती थी क्या वैसा अनुशासन वहां रह गया है, यह सवाल अब उस पार्टी के भीतर ही उठने लगा है। पिछले दिनों भाजपा मुख्य कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में भाजपा प्रदेश कार्य समिति की बैठक थी। भाजपा प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, सह प्रभारी नितिन नवीन, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव एवं अन्य वरिष्ठ नेतागण मंचस्थ थे। बैठक पूर्ण होने के बाद भी मंच पर बैठे सारे बड़े नेता किसी गंभीर मुद्दे पर बातचीत में मशगूल थे। दूसरी तरफ सामने बैठे अन्य नेतागण बातचीत करते अपनी जगह से उठकर इधर-उधर होने लगे जो कि सह प्रभारी नितिन नवीन को खटक गया। ख़बर यही है कि सह प्रभारी नितिन नवीन ने इधर-उधर हो रहे नेताओं को यह कहते हुए फटकारा कि जब मंचस्थ नेता अपनी जगह से हटे ही नहीं हैं तो शिष्टाचार यही कहता है आप अपने स्थान पर बने रहें। क्या आप लोगों में थोड़ा भी धैर्य नहीं है।

‘यूनिपोल’ और ‘एलम’

रायपुर नगर निगम में इन दिनों यूनिपोल में भ्रष्टाचार का मामला जोर पकड़े हुए है। दिलचस्प बात यह है कि नगर निगम में सत्ता कांग्रेस की है और भ्रष्टाचार होने का आरोप कोई और नहीं कांग्रेस के ही महापौर एजाज़ ढेबर ने लगाया है। इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि तीन अफ़सरों के विभाग को ही बदल देना पड़ा। रायपुर नगर निगम में सत्ता पक्ष की ओर से ही किसी मामले में भ्रष्टाचार को लेकर उंगली उठी हो यह कोई पहली बार नहीं हुआ है। बरसों पहले भी ऐसा हो चुका है। बात सन् 2000 की है। तब रायपुर नगर निगम में भाजपा की सत्ता थी और महापौर तरुण चटर्जी थे। प्रफुल्ल विश्वकर्मा उनकी मेयर इन कौंसिल में जल कार्य समिति के अध्यक्ष थे। प्रफुल्ल विश्वकर्मा ने आरोप लगाया था कि फिल्टर प्लांट में लाखों का एलम (फिटकरी) घोटाला हुआ है। हालांकि वह आरोप सिद्ध नहीं हो पाया था और न ही किसी अफ़सर पर गाज गिरी थी, लेकिन विश्वकर्मा के आरोप से तूफान तो खड़ा हो ही गया था और मीडिया की तरफ से जो लगातार सवाल खड़े हुए थे उस पर निगम के बड़े नेताओं और प्रशासन के लिए ज़वाब देना मुश्किल हो गया था।

‘हमर पहुना’ में नहीं

पहुंचे कुमार शानू

बॉलीवुड के जाने-माने सिंगर कुमार शानू पूर्व निर्धारित कार्यक्रम ‘हमर पहुना’ में नहीं पहुंचे जिसकी काफ़ी चर्चा रही। पूर्व घोषणानुसार कुमार शानू संस्कृति विभाग के मंच पर शुक्रवार की शाम 7 बजे राजधानी रायपुर के महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय परिसर में आम जनता से रूबरू होने वाले थे। कितने ही लोग समय पर कार्यक्रम स्थल पहुंच भी गए थे जहां उन्हें मालूम हुआ कि कुमार शानू का प्रोग्राम कैंसल हो गया है। वहीं कुमार शानू 20 मई को राजधानी के इंडोर स्टेडियम में कार्यक्रम देने पहुंचे। संस्कृति विभाग की तरफ से तो यही बताया जा रहा है कि कुमार शानू स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण ‘हमर पहुना’ कार्यक्रम में नहीं पहुंचे, लेकिन लोग तो अपने ढंग से सोचने के लिए स्वतंत्र होते हैं। कितने ही लोग दिमागी घोड़े दौड़ाते दिखे कि आख़िर ऐसी क्या वज़ह रही होगी कि कुमार शानू पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में नहीं आए! ‘हमर पहुना’ टीम अपने कार्यक्रम के पोस्टर को सोशल मीडिया में पिछले तीन-चार दिनों से लगातार दौड़ा रही थी। आख़री समय में जाकर प्रोग्राम कैंसल हो जाए तो लोगों के मन में सवाल तो उठेगा ही। उल्लेखनीय है कि ‘हमर पहुना’ ऐसा कार्यक्रम है जो समय-समय पर संस्कृति विभाग की ओर से आयोजित किया जाता रहा है। पूर्व में आशुतोष राणा, तिग्मांशु धुलिया, ज़ाकिर हुसैन, सुधांशु पांडे, पंकज उधास जैसी बड़ी हस्तियां इस कार्यक्रम में शिरकत कर चुकी हैं।

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