■ अनिरुद्ध दुबे
राजनीति के गलियारे में इन दिनों अटकलों का दौर चला हुआ है कि विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह को ससम्मान राज्यपाल बनाकर भेजा जा सकता है। हालांकि यह अटकलें हैं, लेकिन प्रश्न यह है कि डॉ. साहब राज्यपाल बनकर जाते हैं तो उनकी जगह विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका में कौन होगा? कुछ का कहना है धरमलाल कौशिक तो कुछ यह मानकर चल रहे हैं कि अजय चंद्राकर। धरमलाल कौशिक जहां पूर्व में विधानसभा अध्यक्ष (2008 से 2013) रह चुके हैं, वहीं अजय चंद्राकर के बारे माना जाता है कि उनके संसदीय ज्ञान का कोई मुक़ाबला नहीं। वैसे कौशिक एवं चंद्राकर दोनों का मंत्री पद की दौड़ में शामिल होना भी बताया जाता रहा है। अब तो यह पूरी तरह साफ हो गया है कि 22 से 26 जुलाई तक विधानसभा का मानसून सत्र जो होने जा रहा है उसके पहले न तो मंत्री मंडल में फेरबदल होना है और न ही 2 मंत्री पद जो ख़ाली हैं उन्हें भरा जाना है। वन एवं जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप को संसदीय कार्य मंत्री का अतिरिक्त पदभार सौंपे जाने के बाद तो अब और अटकलें लगाने के लिए कुछ बचा नहीं है।
नये विधानसभा
भवन के लिए
अभी और इंतज़ार
नया रायपुर यानी उदासी से भरा शहर। शासन या प्रशासन में बैठे किसी भी व्यक्ति के पास इस सवाल का ज़वाब नहीं है कि आख़िर इस मुर्दे शहर में जान कब पड़ेगी! मुख्यमंत्री समेत अन्य मंत्रियों के बंगलों का निर्माण पूर्णता की ओर है। वहीं राज भवन एवं विधानसभा भवन का काम पूरा होने में अभी काफ़ी वक़्त लगना है। 2025 में छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना को 25 साल पूरे हो जाएंगे। यानी 2025 का साल सिल्वर जुबली वाला साल होगा। प्रशासनिक सूत्र बताते हैं कि विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह की बड़ी इच्छा रही कि विधानसभा का 2025 का बजट सत्र नये विधानसभा भवन में हो। निर्माणकर्ता एजेन्सी की ओर से यही जानकारी दी गई है कि नये विधानसभा का काफ़ी काम होना बचा है। काफ़ी जोर लगाने के बाद हो सकता है 2025 के जुलाई महीने में विधानसभा का मानसून सत्र नये विधानसभा भवन में हो पाए। जनवरी 2018 से दिसंबर 2023 तक डॉ. चरणदास महंत विधानसभा अध्यक्ष रहे थे। विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए में डॉ. महंत की बड़ी इच्छा थी कि उनके कार्यकाल के आख़री का एक या दो सत्र नये विधानसभा भवन में हो जाए। उनकी वह इच्छा पूरी नहीं हो पाई। 2025 के दिसंबर में होने वाला शीतकालीन सत्र या फिर 2026 के फरवरी का बजट सत्र नये विधानसभा भवन में होने के आसार हैं। इस तरह नेता प्रतिपक्ष के रूप में ही सही, डॉ. महंत की नये विधानसभा भवन के साथ भी यादें तो जुड़ ही जाएंगी।
लेकिन सर, सरकार तो
संगठन चला रहा…
हाल ही में भाजपा कार्यालय (एकात्म परिसर) में एक दिलचस्प नज़ारा देखने को मिला। सब इंस्पेक्टर की परीक्षा में बैठे कुछ लोग जिनके भीतर नौकरी मिल जाने की उम्मीद ज़िंदा है, अपनी समस्या को लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष किरण देव से मिलने पार्टी कार्यालय जा पहुंचे। किरण देव ने उनकी बातों को काफ़ी गंभीरता से सुना। प्रभावित युवकों ने उनसे कहा कि “पिछली सरकार तो कुछ नहीं कर पाई अब आप ही कुछ करिये। यहां आने से पहले हम वित्त मंत्री ओ.पी.चौधरी से भी मिल चुके हैं।” किरण देव ने उन लोगों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि “अच्छा है आप की बात सरकार तक चली गई। मैं ठहरा संगठन का आदमी।“ तभी प्रभावित लोगों में से एक युवक कह बैठा कि “लेकिन सर सुनने में तो यही आ रहा है कि ये वाली सरकार को संगठन चला रहा है।“ युवक की बात को सुनकर वहां खड़े कुछ लोग हॅस पड़े तो किरण देव कुछ पल मुस्कुराते रहे।
खुशियों से भरे बैज
के 3 दिन…
नंबर बढ़वाने मची होड़
यह हफ़्ता प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के लिए तीन मायनों में यादगार रहा। 12 जुलाई को बैज का प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में एक साल पूरा हुआ। 13 जुलाई को श्री बैज की धर्मपत्नी श्रीमती पूनम बैज का जन्म दिन मना और आज 14 जुलाई को बैज का जन्म दिन है। राजीव भवन के किसी कोने में यह चर्चा होती दिखी कि बैज की गुड बुक में नंबर बढ़वाने कुछ नेताओं में होड़ मची हुई है। इन नेताओं ने एक साल का कार्यकाल पूरा होने और जन्म दिन को लेकर जो बड़े-बड़े पोस्टर और बोर्ड बनवाए उसमें बैज के अलावा राहुल गांधी एवं प्रियंका गांधी की तस्वीर को तो बड़ा रखा लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तस्वीर को काफ़ी छोटा कर दिया गया। यह बात ‘आनंद’ से परिपूर्ण रहने वाले नेता को नागवार गुज़री। ‘आनंदित’ रहने वाले नेता ने जो बड़ा पोस्टर बनवाया उसमें बैज एवं राष्ट्रीय नेताओं की तस्वीरों को तो बड़ा रखा, साथ ही भूपेश बघेल की बड़ी तस्वीर को विशेष स्थान दिया। बताते हैं बड़ी तस्वीर के पीछे संदेश छिपा है कि ‘टाईगर ज़िंदा है।‘
महादेव एप- पिक्चर
अभी बाक़ी है मेरे दोस्त
ईओडब्लू (राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) ने महादेव सट्टा में संलग्न रहने के आरोप में दुर्ग जिले के निलंबित पुलिस आरक्षक सहदेव सिंह यादव को पूछताछ के लिए पुलिस रिमांड पर लिया है। ईओडब्लू की ओर से विशेष न्यायालय में आवेदन पेश कर कहा गया है कि सहदेव सिंह यादव अपने भाई भीम सिंह यादव के साथ मिलकर महादेव ऑन लाइन बुकिंग के कृत्य में संलग्न रहा। इसके साथ ही महादेव एप के बड़े सरगनाओं के निर्देशानुसार प्रोटेक्शन मनी प्राप्त करने और उसमें से हिस्सा राज नेताओं, नौकरशाहों तथा पुलिस अफ़सरों तक पहुंचाने के भी प्रमाण प्राप्त हुए हैं। पिछले हफ़्ते महादेव एप को लेकर जो कुछ परिदृश्य सामने आया है उसके बाद सत्ता पक्ष से जुड़े नियम कानून के जानकार एक शख़्स की यही प्रतिक्रिया रही- “पिक्चर अभी बाक़ी है मेरे दोस्त।“
रायपुर नगर निगम
या ‘बेगार’ निगम
व्हाइट हाउस के सामने बने गॉर्डन में हर शाम चाय की चुस्कियां लेते हुए कुछ लोग रायपुर नगर निगम की व्यवस्था को कोसते नज़र आ जाते हैं। रायपुर नगर निगम किसी ज़माने में जब कड़की दौर से गुज़रते रहा था तो लोग इसे ‘नगरा’ निगम कहने से बाज नहीं आते थे। किसी दौर में कुछ समय के लिए जब यहां प्रताड़ित करने वाले अफ़सरों का राज़ रहा तो यह ‘नरक’ निगम कहलाया। अब इसके साथ नया नाम आ जुड़ा है, ‘बेगार’ निगम। बताते हैं प्रशासन तंत्र में कुछ ऐसे लोग बैठे हैं जिन्होंने नगर निगम को चारागाह बना लिया है। यानी जमकर बेगारी हो रही। किसी आला अफ़सर को कोट चाहिए, किसी को जूते चाहिए तो किसी को रिंग। दूर बैठे ‘दूसरी दुनिया’ के साहबों के घरों एवं बाहर बगीचे में निगम के वो बेचारे वक़्त के मारे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ड्यूटी अलग बजा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि बड़े साहब यह सब जानते या समझते नहीं हैं, लेकिन उनकी भी कुछ मजबूरियां हैं। ‘मजबूरी का दूसरा नाम महात्मा गांधी’- बरसों से लोग ऐसा क्यों कहते आ रहे हैं यह तो नहीं मालूम, लेकिन ‘मज़बूरी का दूसरा नाम रायपुर नगर निगम’ यह जुमला ज़रूर इन दिनों चल पड़ा है।