● कारवां (19 जून 2022)- सरकार किसी की रहे ज़रूरी नहीं हर किसी की चले

■अनिरुद्ध दुबे

राजधानी रायपुर के राजीव भवन में हुए कांग्रेस के नव संकल्प शिविर में कुछ नेताओं एवं कार्यकर्ताओं का दर्द खुलकर छलक पड़ा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम समेत रविन्द्र चौबे एवं डॉ. शिव कुमार डहरिया जैसे नेताओं की मौजूदगी में बोलने वाले खुलकर बोले। एक नेता की शिकायत थी कि वे अपने क़रीबी लोगों का तबादला चाहकर भी सही जगह पर नहीं करवा पा रहे हैं। सरकारी दफ्तरों में उनके काम नहीं हो रहे हैं। बैठक ले रहे बड़े नेताओं ने पूरी उदारता के साथ अपने इस सहयोगी नेता की बात को सुना। अब इस सहयोगी नेता को कौन समझाए की सरकार किसी भी पार्टी की रहे ज़रूरी नहीं कि हर किसी की चल जाए। पिछली सरकार के समय की बात है। सरकार में गहरी पकड़ रखने वाले पूर्वाग्रह से ग्रसित रायपुर के एक बड़े नेता ने रायपुर नगर निगम के कुछ अफ़सरों एवं नेताओं का तबादला सिर्फ़ इसलिए करवा दिया था कि उसे पुराना हिसाब चुकता करना था। चुन-चुनकर उस नेता ने कोरबा, जगदलपुर, भिलाई, दुर्ग एवं राजनांदगांव जैसे स्थानों पर रायपुर नगर निगम के अफ़सरों एवं कर्मचारियों को भेजा था। ऐसा नहीं है कि इन अफसरों एवं कर्मचारियों के क़रीबी लोग उस बड़बोले नेता के पास गुहार लेकर नहीं गए थे! गए थे। हर किसी को वह नेता एक ही लाइन में कहा करता था “जो भी करेंगे सीएम साहब करेंगे।“ अनियंत्रित ज़ुबान से उस नेता का करियर ग्राफ इस क़दर गिरा है कि उसे वापस बुलंदियों पहुंचने में आगे क्या-क्या यत्न नहीं करने पड़ेंगे। इसीलिए कहते हैं कि राजनीति की डोर काफ़ी नाज़ुक और पतली होती है। इसमें बेहद संतुलन बनाकर चलना पड़ता है। थोड़ा सा संतुलन गड़बड़ाया नहीं कि गए काम से।

मंत्री तक नहीं बच पाते

ऐसे फ़र्ज़ी लोगों से

वाणिज्य कर विभाग के कुछ अफ़सरों के पास किसी नंबर से वाट्स अप मैसेज़ आया कि मैं मंत्री टी.एस. सिंहदेव अमेजान से गिफ्ट भेज रहा हूं। इसके लिए अमेजान पे गिफ्ट कार्ड पर पैसे जमा करवा दें। जिस वाट्स अप नंबर से यह मैसेज़ आया उसकी डीपी में सिंहदेव की फोटो लगी हुई थी और नाम भी उन्हीं का लिखा हुआ था। अफ़सरों को संदेह हुआ। उन्होंने सिंहदेव के निवास कार्यालय में संपर्क किया। वहां से पता चला कि ऐसा कोई मैसेज़ जारी नहीं किया गया है। ये सीधे-सीधे बाबा साहब की छवि ख़राब करने की साजिश है। इस फ़र्ज़ी मामले की रायपुर के सिविल लाइन थाने में शिकायत दर्ज़ कराई गई है। यह फ़र्ज़ी नंबर महाराष्ट्र का बताया जा रहा है। सोशल मीडिया पर किसी दिग्गज नेता के साथ खेल खेलने की यह कोई पहली घटना नहीं है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत के नाम से किसी ने फ़र्ज़ी फेस बुक आईडी बना ली थी। उसमें उल-जुलूल चीजें पोस्ट हो रही थीं। उसकी शिकायत पुलिस में हुई थी। सायबर सेल के प्रयासों से महंत का वह फ़र्ज़ी फेस बुक अकाउंट हटा। वहीं झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस जिस समय सांसद थे उनके फेस बुक एकाउंट को छत्तीसगढ़ के ही एक लड़के ने हैक कर लिया था। वह फ़साद खड़ा कर देने वाली लाइनें बैस के नाम से लगातार पोस्ट कर रहा था। बाद में इसकी जांच हुई तो उस फ़र्ज़ी काम का खुलासा हुआ।

रायपुर को सुधारने गडकरी

जी जैसी सोच की ज़रूरत

केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राज मार्ग मंत्रालय ज़ल्द एक कानून लाने की तैयारी में है। ग़लत तरीके से जो कोई भी सड़क पर अपना वाहन खड़ा करेगा उसे एक हज़ार का ज़ुर्माना भरना पड़ेगा। ग़लत तरीके से खड़े वाहन की जो कोई भी तस्वीर भेजेगा उसे 500 रुपये का ईनाम मिलेगा। स्वयं सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राज मार्ग मंत्री नितिन गडकरी इस कानून को ज़ल्द से ज़ल्द लाने के इच्छुक हैं। यह कानून अगर लागू हो गया तो रायपुर शहर में सबसे ज़्यादा अक्ल उन लोगों की ठिकाने आएगी, जो कहीं भी गाड़ी खड़ी करके दूसरों के लिए परेशानी खड़ी किया करते रहते हैं। राजधानी रायपुर के हृदय स्थल जयस्तंभ चौक के पास एवं कलेक्ट्रेट के बाजू मल्टीलेवल पार्किंग की सुविधा है, फिर भी कितने ही लोग अपनी चार पहिया या दुपहिया इधर-उधर खड़ी करने से बाज नहीं आते। ऐसे लोगों के खिलाफ़ जैसी कड़ाई होनी चाहिए वह होती नज़र नहीं आती। ट्रैफिक सिग्नल तोड़कर वाहन दौड़ाने के मामले में तो मानो रायपुर शहर पूरे प्रदेश में नंबर वन है। शुरु से रायपुर शहर ऐसा रहा है कि जहां इच्छा हो दुकान सजा लो। मरीन ड्राइव (तेलीबांधा तालाब) के सामने अपोजिट सड़क पर जिस तरह हर शाम रात दुकानें सजी रहती हैं और जहां पाए गाड़ियां खड़ी रहती हैं उससे वहां ट्रैफिक अक्सर बाधित रहता है। इससे भी ख़राब स्थिति आजकल शंकर नगर चौक से राजीव भवन के बीच की हो गई है। वह राजीव भवन जहां मंत्रियों से लेकर, विधायकों और भी न जाने कितने दिग्गज कांग्रेस नेताओं का आना-जाना लगा रहता है। एक तो राजीव भवन वाली सड़क वैसे भी संकरी है, ऊपर से शाम-रात में वहां जिस तरह दुकानों का मेला नज़र आता है वह वहां से गुज़रने वाले वाहनों की गति को कम कर देता है। गडकरी जी तो अपने स्तर पर अच्छा सोच ही रहे हैं बेहतर होता कि राजधानी रायपुर की यातायात व्यवस्था को लेकर यहां के मंत्रीगण, अन्य जिम्मेदार जन प्रतिनिधि और अधिकारीगण भी अपनी ओर से कुछ सोचे होते।

लाइब्रेरी में आग किसी

सदमे से कम नहीं

10 जून की रात राजधानी रायपुर की जे.एन. पांडे स्कूल की लाइब्रेरी में लगी आग से हज़ारों पुस्तकें जलकर खाक़ हो गईं। यह घटना न सिर्फ उस स्कूल के छात्रों बल्कि रायपुर शहर के शोधकर्ताओं के लिए किसी सदमे से कम नहीं है। आगज़नी से 120 साल पुराने दस्तावेज जलकर खाक़ हो गए। इस स्कूल का निर्माण 1890 में ब्रिटिश हुकूमत ने करवाया था। पूर्व उपराष्ट्रपति हिदायतुल्ला से लेकर और भी न जाने कितनी ही हस्तियां इस स्कूल से पढ़कर निकली हैं। पहले इसका नाम गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल था। हिन्दी में इसे शासकीय बहुउद्देशीय उच्तर माध्यमिक शाला के नाम से जाना जाता था। बाद में इसका नाम जे.एन.पांडे स्कूल हुआ। इस स्कूल में गाई जाने वाली प्रार्थना “वह शक्ति हम  दो दयानिधे कर्तव्य मार्ग पर डट जावें, परसेवा पर उपकार में हम निज जीवन सफल बना जावें” को आज भी वहां से पढ़कर निकले पुराने छात्र याद करते हैं। सत्तर-अस्सी के दशक में यहां की कॉमर्स की पढ़ाई काफ़ी बेहतर मानी जाती थी। यहां से कॉमर्स पढ़कर निकले कितने ही स्टूडेंट आज व्यापार जगत में अपने नाम का परचम लहरा रहे हैं। कोतवाली पुलिस ने घटना स्थल पर जाकर स्कूल से जुड़े लोगों का बयान लिया है। किसी का अनुमान है कि कोई बीड़ी-सिगरेट पीकर फेंका होगा, जिसने भीषण रूप ले लिया। वहीं कुछ लोगों का यह भी मानना है कि पास में ही ट्रांसफार्मर है। वहां आसपास बिजली के कई तार हैं। हो सकता है शार्ट सर्किट हो गया हो। आग लगने के पीछे चाहे जो भी कारण हो, ऐतिहासिक दस्तावेजों की जो क्षति हुई है उसकी भरपाई किसी हालत में नहीं हो सकती।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *