‘कविता कोलाज वामा’ एवं ‘पुकार’ ने छोड़ी गहरी छाप

मिसाल न्यूज़

भिलाई की संस्था अष्ट रंग के बैनर तले पी.एस. क्लब रोयॉल महादेव घाट (रायपुर) में नारी उत्पीड़न पर लिखी गई विश्व स्तरीय कविताओं के दृष्य पाठ ‘कविता कोलाज वामा’ एवं एकल नाटक ‘पुकार’ का मंचन हुआ। दोनों ही प्रस्तुतियां दर्शकों के मन में गहरी छाप छोड़ गईं।

कविता कोलॉज “वामा” के माध्यम से कुछ इस तरह दृश्य उभरकर सामने आए कि ओ पगली, लड़कियाँ ,हवा, धूप और मिट्टी होती हैं। उनका कोई घर नहीं होता। बचपन से ही लड़कियों को घुट्टी मे पिला दी जाने वाली सीख। जिसे राजनीति की समझ हो, जो लिखना पढ़ना जानती हो, उस महिला से कभी प्यार मत करना। प्यार में डूबी लड़कियों से मां,बाप,भाई सब जीतते आए हैं। फिर जब लड़कियां मरीं तो कोई उनका नाम नहीं जानता था। वे सिर्फ रिश्तों से पहचानी गईं। एक दिन निकल ही गईं स्त्रियां रिश्तों के दरवाजे से बाहर। उन्होंने इतनी शालीनता से प्रस्थान किया कि किसी को कानो कान खबर नहीं हुई। यह संवाद झकझोर कर रख देता है कि “मेरा कत्ल आखिर उसका ही तो हक था, उसे मेरी हत्या के आरोप से दोषमुक्त किया जाये।” और अंत में इस संवाद की गूंज सुनाई देती है- “चंबल के भयानक भांय भांय ,सन्नाटे भरे बीहड़ों का इतिहास, जो आज भक्तों के मलमूत्र, बलगम से भरकर हो गई है कुम्भीपाक, वो अपने खुद तारे जाने के लिए तरस रही है। चंबल का स्त्रोत कहीं तुम्हारे घर ही में तो नहीं है। चंबल किसी लड़की का नाम नहीं रखा जाता। चंबल में पानी नहीं खून बहता है और मछलियां नहीं लाशें तैरती हैं। लाशों को कोई शर्म नहीं आती।”

स्त्रियों के बचपन से लेकर दस्यु सुंदरी बनने की व्यथा”कविता कोलाज” में नौ विश्व स्तरीय कविताएं हैं जिन्हें महिला कवियत्रियों अनामिका, मार्था रिवेस मारीडो, निकी जियोवानी, मनीषा पांडे, रीवा सिंह, कमाल सुरेया, बाबुषा कोहली और एक कविता “चंबल एक नदी का नाम” पुरुष रचनाकार नरेश सक्सेना ने लिखी है। ‘कविता कोलाज वामा’ को भिलाई की अनीता उपाध्याय, डा.प्रशी तिवारी, राजश्री देवघरे, कुमुद कथूरिया, सुचिता मुखर्जी, मनीषा निखारे और रायपुर से सिग्मा चौधरी तथा नीलिमा मिश्रा ने अपने अभिनय से जीवंत किया।

दूसरी प्रस्तुति “पुकार” में यह बताने की कोशिश की गई कि बलात्कार पीड़िताओं का बार बार मानसिक बलात्कार ,परिवार समाज के लोगों ने किया। बलात्कार पीड़िताओं की “पुकार” को निवेदिता जेना ने लिखा है। ‘पुकार’ पर बेहतरीन एकल अभिनय भिलाई की सुमिता बसु पाटिल ने किया। ‘कविता कोलाज वामा’ एवं ‘पुकार’ दोनों को निर्देशित किया जाने-माने नाट्य निर्देश दिनेश दीक्षित ने। संयोजन शिशिर तमोटिया एवं नीलिमा मिश्रा का था। मंच सज्जा विभाष उपाध्याय ने की। लाइट एवं ध्वनि पक्ष मणिमय मुखर्जी ने संभाला। ग्राफिक्स सुमय मुखर्जी की थी।

जानी-मानी लेखिका “निवेदिता जेना” पुकार प्रस्तुति के दौरान मौजूद थीं। वे अपना कीमती समय निकालकर भुवनेश्वर से यहां आईं थीं।

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