● कारवां (23 अप्रैल 2023)- टिकट को लेकर हुआ इशारा…

■ अनिरुद्ध दुबे

विधानसभा चुनाव दिसंबर में है लेकिन कांग्रेस व भाजपा दोनों ही पार्टियों में टिकट की दौड़ में शामिल लोग अब पूरी तरह से सक्रिय हो चुके हैं। चूंकि इस बात की लगातार चर्चा होती रही है कि कांग्रेस में निष्क्रिय या विवादित रहे लोगों की टिकट कट सकती है, इसलिए स्वाभाविक है कि पार्टी के लिए पिछले कई सालों से पसीना बहाते आ रहे कितने ही नेताओं के मन में नई उम्मीदें जगी हुई हैं। वह दिन दूर नहीं जब कांग्रेस में टिकट के जो बहुत सारे तलबग़ार हैं उनके नाम खुलकर सामने आने लगें। कांग्रेस में बहुत अंदर की ख़बर रखने वाले तो यही बता रहे हैं कि कुछ वज़नदार चेहरे ऐसे हैं जिन्हें ऊपर से इशारा हो चुका है कि तैयारी शुरु कर दो। दूसरी तरफ भाजपा की बात करें तो वहां टिकट वितरण को लेकर कौन सी पॉलिसी तैयार हो रही है इसकी ज़रा भी भनक नहीं लगने दी जा रही। यह संकेत ज़रूर मिल रहे हैं कि भाजपा इस बार ज़्यादा से ज़्यादा से नये चेहरों पर दांव खेलेगी। कुछ बड़े पुराने जो चेहरे हैं उन्हें यह कहा जा सकता है कि चुनाव लड़ने के बजाय मैदान में जाकर पार्टी के लोगों को जितवाने का काम करें। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव एवं विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल बुलडोजर चलवाने की बात पर जोर दे चुके हैं। यानी इस बार के चुनाव में गुजरात और यूपी दोनों तरफ का फार्मूला चलेगा।

“रिश्तों के भी

रूप बदलते हैं”

बरसों पहले प्रसारित हुए एक टीवी सीरियल ‘सास भी कभी बहू थी’ के टाइटल सॉग के बोल कुछ इस तरह थे- “रिश्तों के भी रूप बदलते हैं, नये-नये सांचे में ढलते हैं…।” इस गाने के बोल का महत्व और किसी क्षेत्र में हो या न हो राजनीति में ज़रूर है। पिछले दिनों राजधानी रायपुर में आयोजित कायाकल्प पुरस्कार समारोह में ऐसा दृश्य सामने आया जिसमें स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव एवं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुले दिल से एक दूसरे की तारीफ़ करते नज़र आए। मंच पर से सिंहदेव ने कहा कि “स्वास्थ्य मंत्री पद के लिए मैंने स्वतः होकर मुख्यमंत्री के सामने रुचि जताई थी, जिसे गंभीरता से लेते हुए यह पद उन्होंने मुझे दिया। यही नहीं हाट बाजार क्लीनिक के लिए मैंने 300 डॉक्टरों की मांग रखी थी, वह भी मुख्यमंत्री ने मुझे दिया।“ जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बोलने की बारी आई तो उन्होंने कहा कि “पिछले शासनकाल में गर्भाशय कांड, आंखफोड़वा कांड जैसे घटनाक्रम सामने आए थे उससे मानो स्वास्थ्य मंत्री पद बदनाम हो चुका था। वह तो बाबा साहब हैं जिन्होंने इस पद की खोई हुई गरिमा लौटाई।“ उल्लेखनीय है कि इससे पहले सिंहदेव मीडिया के सामने कह चुके हैं कि “अगला चुनाव भूपेश बघेल के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।“ मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री इन दिनों ठीक इस अंदाज़ में एक दूसरे की तारीफ़ करते नज़र आ रहे हैं “मिले सुर मेरा तुम्हारा… तो सुर बने हमारा…“

खाली बंगलों में क्या

शिफ्ट हो पाएंगे दफ़्तर

संकेत तो यही मिल रहे हैं कि चुनावी आचार संहिता लगने से पहले मुख्यमंत्री, अन्य मंत्रीगण तथा बहुत से आईएएस एवं आईपीए अफ़सर नया रायपुर के सरकारी बंगले में शिफ्ट हो जाएंगे। संभावना यही जताई जा रही है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नया रायपुर में शिफ्ट होने के बाद भी पुराने रायपुर के सरकारी बंगले को अपने पास ही रख सकते हैं। इसलिए कि अभी की स्थिति में हर किसी की नया रायपुर में पहुंच आसान नहीं। पुराने रायपुर व नया रायपुर के बीच आवागमन के लिए साधन आसानी से उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में हो सकता है कि मुख्यमंत्री आम जनता से सीधे जुड़ाव बनाए रखने के लिए पुराना रायपुर के सरकारी बंगले में अपनी मौजूदगी बनाए रखें। जहां तक अन्य मंत्रियों की बात है तो पूरी संभावना है कि नया रायपुर में शिफ्ट होने के बाद पुराने रायपुर का बंगला उन्हें खाली करना पड़ेगा। रायपुर में कितने ही सरकारी दफ्तर ऐसे हैं जो किराये के भवनों पर चल रहे हैं। किराये पर चलने वाले सरकारी दफ़्तरों से धीमे स्वरों में आवाज़ उठने लगी है कि भविष्य में जो भी मंत्रियों व आला अफ़सरों के बंगले खाली होते हैं वहां ज़रूरत के हिसाब से उन सरकारी दफ्तरों को शिफ्ट कर देना चाहिए जो किराये की इमारत पर चलते आ रहे हैं। इससे शासन पर आर्थिक दबाव कम ही होगा।

रोचक होंगे रायपुर

की सीटों के चुनाव

राजधानी रायपुर में आने वाले 4 विधानसभा क्षेत्रों में से 2 में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का भेंट मुलाक़ात कार्यक्रम संपन्न हो चुका है। रायपुर उत्तर तथा पश्चिम में। उत्तर के विधायक कुलदीप जुनेजा व पश्चिम के विधायक विकास उपाध्याय हैं। दोनों ही विधानसभाओं में भेंट मुलाक़ात से पहले चुनावी माहौल की हल्की से झलक देखने को मिली। हालांकि कुलदीप जुनेजा व विकास उपाध्याय पहले की तरह अब भी अपने क्षेत्र में मजबूत हैं लेकिन जब टिकट वितरण का समय आता है तो स्वाभाविक है कि और भी नाम उभरकर सामने आ ही जाते हैं। रायपुर उत्तर व पश्चिम से जिन लोगों की टिकट को लेकर दावेदारी हो सकती है उन नेताओं ने भेंट मुलाक़ात से पहले मुख्यमंत्री के प्रति सम्मान प्रदर्शित करते हुए बोर्ड टांग रखे थे। अपने-अपने क्षेत्र की ज़मीनी हकीक़त को जुनेजा तथा उपाध्याय दोनों समझ रहे हैं। दोनों अपने-अपने क्षेत्र में न पहले कभी थमे नज़र आए थे और न ही अभी थमे दिख रहे हैं। माना यही जा रहा है कि इस बार का विधानसभा चुनाव रायपुर उत्तर, पश्चिम व ग्रामीण तीनों में बेहद रोचक होगा। जहां तक रायपुर दक्षिण की बात है तो वहां रोचक स्थिति तभी नज़र आएगी जब बृजमोहन अग्रवाल जैसे कद्दावर नेता के सामने उतारने के लिए कांग्रेस कोई मजबूत चेहरा ढूंढ पाए।

सीएम हाउस की बाउंड्री

और गॉर्डन में दुकानें!

राजधानी रायपुर में दो खूबसूरत स्थल तेलीबांधा तालाब (तथाकथित मरीन ड्राइव) एवं गांधी उद्यान एकदम आसपास हैं और दोनों ही मानो प्रयोगशाला हो कर रह गए हैं। मरीन ड्राइव में पूरे साल सौंदर्यीकरण के नाम पर किसी न किसी कोने में खुदाई का काम चलते ही रहता है। अब गांधी उद्यान की बारी है। बताते हैं जन सुविधा की दृष्टि से गांधी उद्यान में कुछ खाने-पीने की चीजों की दुकानें खोलने की तैयारी है। वहीं गांधी उद्यान से गहरा जुड़ाव रखने वालों का कहना है कि गॉर्डन जिस स्वरूप में है उसे वैसे ही रहने दिया जाए। वहां दुकानें खोलकर शांति भंग करने का काम नहीं किया जाए। कुछ लोग यह भी कहते नज़र आ रहे हैं कि सीएम हाउस की बाउंड्री और गॉर्डन की बाउंड्री आपस में जुड़ी हैं, इसलिए सूरक्षा का भी सवाल है। बरसों पहले गांधी उद्यान में एक रेस्टॉरेंट हुआ करता था गजीबो। ‘गजीबो’ का अर्थ चाहे जो निकलता रहा हो लेकिन बहुतेरे लोग इसका अर्थ कुछ इस तरह निकाला करते थे ‘ग’ से गजराज, ‘जी’ से गग्गी और ‘बो’ से बलबीर। जोगी जी का शासनकाल था और तब भी सीएम हाउस गांधी उद्यान से लगकर ही था। पता नहीं कहां से कैसा आदेश हुआ नगर निगम ने ‘गजीबो’ को तोड़ गिराया था। अब वही नगर निगम गांधी उद्यान में दुकानें बनाने की तैयारी में है।

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