‘वैदेही’ जैसा सब्जेक्ट छत्तीसगढ़ी सिनेमा में आज तक नहीं आया- विशाल दुबे

मिसाल न्यूज़

‘वैदेही’ से छत्तीसगढ़ी सिनेमा को एक और नया हीरो मिल चुका है विशाल दुबे। ‘वैदेही’ 9 जून को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने जा रही है। विशाल के बारे में यही राय छनकर आ रही है कि वे न सिर्फ अभिनय में पारंगत हैं, बल्कि डॉस में भी उनकी मास्टरी है। इसकी मिसाल ‘वैदेही ‘में देखने को मिलेगी।

‘मिसाल न्यूज़’ ने विशाल की कहानी उन्हीं की ज़ुबान से   सुनने की कोशिश की। एक मुलाक़ात में विशाल दुबे ने बताया कि “मैं बिलासपुर शहर से हूं। हर आर्टिस्ट का लीड रोल करने का सपना होता है। मेरा भी रहा है, जो अब पूरा होने जा रहा है। ‘वैदेही’ के प्रस्तुतकर्ता मनीष मानिकपुरी जी एवं निर्देशक गंगा सागर पंडा जी ने अपनी फ़िल्म के लिए चुना यह मेरा बड़ा सौभाग्य है। ‘वैदेही’ में मेरे किरदार का नाम राम है। इसकी कहानी दो हीरोइनों श्रद्धा पाणीग्राही एवं काजल सोनबेर के इर्द-गिर्द घुमती है। मैं जब स्कूल में था तभी नाटक में अभिनय करने का पहला अवसर मिला था। वह रोल सरपंच का था। अभिनय के बीज शायद वहीं से पड़ गए थे। बचपन के दिनों में बिलासपुर में सत्यम, बलराम एवं जीत जैसी टॉकीज़ों में फ़िल्म देखना हुआ करता था। फ़िल्मों के डायलॉग दोहराते रहने की आदत बचपन में ही पड़ गई थी। स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद गुरु घासीदास विश्वविद्यालय से बी.टेक किया। कॉलेज में एक डॉस कॉम्पीटिशन में फर्स्ट आया था। कॉलेज़ की पढ़ाई पूरी होने के बाद फैसला कर लिया कि ड्रामा व सिनेमा में ही राह बनानी है। इसके बाद कुछ समय मुम्बई व कुछ समय भोपाल में रहकर थियेटर से जुड़े रहा। थियेटर में एक्टिंग के बजाय बेक स्टेज में काम करना ज़्यादा उचित लगा जहां कुछ सीखने की ज़्यादा गुंजाइश रहती है। भले ही ड्रामे में अभिनय नहीं किया लेकिन मुझे ‘अंधा युग’ एवं ‘तुगलक’ जैसे नाटकों के डायलॉग याद रहते थे। नादिरा बब्बर जी और मनीष गांधी जैसी रंगमंच की बड़ी हस्तियों के साथ मैंने थियेटर किया। मैंने एक सीरियल भी किया था- ‘कोपा।‘ यह रमेश सिप्पी जी का सीरियल था, जिसका प्रसारण डीडी नेशनल में हुआ था। एक वेब सीरिज ‘द गेम ऑफ पेन’ भी की। इसके चार एपिसोड मैंने किए थे। लॉकडाउन लगा तो मुम्बई से बिलासपुर लौट आया। मां चाहती थीं छत्तीसगढ़ में ही रहकर कुछ करूं। मुझे भी लगा कि छत्तीसगढ़ी सिनेमा में स्कोप क्यों नहीं हो सकता। छत्तीसगढ़ी सिनेमा में 2018 से कोशिश कर रहा था। मंज़िल तक पहुंचने में चार साल लगे। 2022 में पहला ब्रेक मिला ‘वैदेही।‘ वैदेही न भूला सकने वाला अनुभव है। इसकी मेकिंग गज़ब की है। मनीष मानिकपुरी जी एवं गंगा सागर पंडा जी काफ़ी होम वर्क के बाद इस सब्जेक्ट को शूट पर लेकर गए। दावे के साथ कह सकता हूं छत्तीसगढ़ी सिनेमा में इस तरह का सब्जेक्ट  आज तक नहीं आया होगा। मेरी आने वाली फ़िल्म ‘नोनी के अनहोनी’ है। यह हॉरर मूवी है। इन दिनों मेरी फ़िल्म ‘दंतेला’ शूट पर है। माना यही जाता है कि ‘दंतेला’ की कहानी सत्य घटना पर आधारित है। एक हिन्दी फ़िल्म करने जा रहा हूं ‘बलरामपुर टू बॉलीवुड।‘

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