मिसाल न्यूज़
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज छत्तीसगढ़ी सिनेमा से जुड़े लोगों एवं लोक कलाकारों से रूबरू हुए। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ फिल्म एंड टीवी प्रोड्यूसर एसोसियेशन (सीसीटीपीए) ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर अनुरोध किया कि नया रायपुर में जिस सौ एकड़ जगह पर फिल्म सिटी बनना प्रस्तावित है वह सूरक्षित रखी जाए।
ज्ञापन में यह भी अनुरोध किया गया कि छत्तीसगढ़ी फिल्मों को दूसरी भाषा की फिल्मों की तरह 50 लाख तक सब्सिडी मिले। इसके अलावा बाहर से आये निर्माताओं को छत्तीसगढ़ में फिल्म या वेब सीरीज शूट करने से पहले सीसीटीपीए से एनओसी लेना अनिवार्य हो। सीसीटीपीए ने नई फिल्म नीति लागू किये करने एवं सब्सिडी की दिशा में पहल किये जाने पर मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। इस दौरान प्रमुख रूप से सीसीटपीए के अध्यक्ष संतोष जैन एवं महासचिव मनोज वर्मा समेत सतीश जैन, प्रकाश अवस्थी, सुनील तिवारी, रॉकी दासवानी, लखी सूंदरानी, अशोक तिवारी, पुष्पेंद्र सिंह, डॉ. अजय सहाय, अनुमोद राजवैद्य, राज वर्मा, शैलेन्द्रधर दीवान, शेखर चौहान एवं श्रीमती रत्ना पांडे उपस्थित थे।
बचपन से लोक कलाकारों
से जुड़ा रहा हूं- बघेल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हरेली तिहार की बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ख्यातिलब्ध कलाकार यहां उपस्थित हैं। आप सबका मैं स्वागत अभिनंदन करता हूँ। आया हूँ तो आप सबके साथ सेल्फी खिचवाऊंगा। बचपन से मैं लोक कलाकारों से जुड़ा रहा हूं। लोक कला की ज्यादातर विधाओं का प्रभाव मेरे जीवन में पड़ा। छत्तीसगढ़ राज्य के सांस्कृतिक एवं पारंपरिक धरोहरों को बचाने और संवारने में कलाकारों का महत्वपूर्ण योगदान है। मुख्यमंत्री ने नाचा के पुरोधा स्वर्गीय हबीब तनवीर, चन्दैनी गोंदा के संस्थापक स्व. खुमान साव का स्मरण करते हुए उनके अतुलनीय योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि लोक कला के जरिए इन विभूतियों ने छत्तीसगढ़ को विशेष पहचान दिलाई। इस मौके पर संस्कृति विभाग के संचालक विवेक आचार्य, पद्मश्री श्री भारती बंधु, पद्मश्री मदन चौहान, पद्मश्री उषा बारले, शिव कुमार दीपक, श्रीमती रजनी रजक समेत प्रदेश भर के कलाकार उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में आगे कहा कि कलाकार जब अपनी प्रस्तुति देते हैं तो वह समाज की जनभावना को रेखांकित और प्रस्तुति के माध्यम से अभिव्यक्ति प्रदान करते हैं। लोक विधा कर्मा के अनेक शैलियां प्रचलित हैं। अनेक विधाओं में नई शैलियां कलाकारों ने निकाली हैं। छत्तीसगढ़ में गायी जाने वाली पंडवानी पूरे देश में नहीं गायी जाती। भरथरी, पंथी जैसी विधाओं को अंतर्राष्ट्रीय पहचान देने का काम हमारे छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के खानपान, बोली भाखा, गीत, संगीत, नृत्य शैली को आज लोग विदेशों में भी जान रहे हैं। एक दौर था जिसमें नाचा मशाल जलाकर किया जाता था। फिर माईक सेट का दौर आया। पिछले दिनों रायगढ़ में राष्ट्रीय रामायण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। राम वन गमन परिपथ को विकसित करने का काम सरकार द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने प्रदेश के हर विकासखण्ड मुख्यालय में मॉडल जैतखाम बनाने की बात दोहराई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की पहले जब चर्चा होती थी तो नक्सल घटना, जवानों की शहादत की खबरें आती थीं। अब यहां की संस्कृति और परंपरा की चर्चा होती है। हमने हर वर्ग के लोगों को ध्यान में रखते हुए योजनाएं बनाई। कलाकारों को भी इसका लाभ मिल रहा है। मुझे इसकी खुशी है। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में हर वर्ग के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। हमने अरपा पैरी के धार को राजगीत बनाया। तीज-तिहार की छुट्टियां घोषित की। अब सब तीज-तिहार मना रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब जेब में पैसा रहता है तो तीज-तिहार का आनंद ही अलग होता है, इसलिए हमने किसानों को उऋण किया। अब समय-समय पर विभिन्न योजनाओं का पैसा भी उन्हें दे रहे हैं। पहले लोग बोरे बासी खाने में संकोच करते थे, लेकिन अब श्रमिक दिवस 1 मई को बोरे-बासी दिवस घोषित करने के बाद से सब लोग न केवल बोरे-बासी खाते हैं बल्कि सोशल मीडिया में फ़ोटो भी अपलोड करते हैं।