मिसाल न्यूज़
छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘मोर छंइहा भुंईया-2’ में एल्सा घोष डॉली के ख़ास किरदार में नज़र आएंगी। एल्सा कहती हैं- “यह कमाल का संयोग है कि ‘मोर छंइहा भुंईया-1’… 24 साल पहले रिलीज़ हुई थी और ‘मोर छंइहा भुंईया-2’… 24 मई को रिलीज़ होने जा रही है। यह ‘24’ का आंकड़ा कमाल कर जाएगा।”
‘मिसाल न्यूज़’ ने ‘छंइहा भुंईया-2’ को लेकर एल्सा के सामने कुछ महत्वपूर्ण सवाल रखे, जिसका ज़वाब उन्होंने बख़ूबी दिया। पेश है बातचीत के मुख्य अंश-
0 ‘छंइहा भुंईया-2’ की रिलीज़िंग को ज़्यादा घंटे नहीं बचे हैं। कैसा महसूस कर रही हैं…
00 ऐतिहासिक फ़िल्म है। दिल धक धक कर रहा है। इससे पहले डायरेक्टर सतीश जैन जी के साथ मैंने ‘ले सुरू होगे मया के कहानी’ की थी, जो कि दर्शकों को बहुत पसंद आई। ‘छंइहा भुंईया पार्ट- 2’ की बात करूं तो पूरी टीम ने बहुत मेहनत की है। पूरा विश्वास है कि पब्लिक का बहुत बढ़िया रिस्पॉस मिलेगा।
0 किस तरह का किरदार है…
00 डॉली नाम है, जो कि कार्तिक (दीपक साहू) के अपोज़िट है। मुंहफट लड़की है। कार्तिक और डॉली के बीच नोक-झोंक वाले जो सीन हैं, पब्लिक ख़ूब इंजॉय करेगी।
0 दीपक साहू के साथ ट्यूनिंग कैसी रही…
00 बहुत अच्छी। दीपक की यह डेब्यू फ़िल्म है। इसमें उसने बहुत अच्छा डॉस किया है। सवाल एल्सा का नहीं, कोई भी कलाकार हो, दीपक के साथ उसका अच्छा तालमेल बैठता है।
0 डायरेक्टर सतीश जैन के साथ यह दूसरी फ़िल्म है। उनके डायरेक्शन में काम करने का कैसा अनुभव रहा…
00 सतीश सर के साथ जब ‘ले सुरू होगे मया के कहानी’ की, बहुत कुछ नया सीखने को मिला। मेरा सौभाग्य है कि ‘छंइहा भुंईया’ जैसे ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए उन्होंने मुझ पर भरोसा जताया। ‘छंइहा भुंईया-1’ की तरह ‘छंइहा भुंईया- 2’ भी छत्तीसगढ़ी सिनेमा का मील का पत्थर साबित होगी। सतीश सर ने पार्ट-1 के सेंटिमेंटल को लेते हुए पार्ट-2 में कुछ नया फ्लेवर डाला है।
0 ‘छंइहा भुंईया- 2’ के दो-तीन डॉसिंग सॉग धूम मचाए हुए हैं…
00 हां, कमाल के गाने बन पड़े हैं। ये गाने जब पर्दे पर आएंगे, दर्शक झूम उठेंगे। वैसे भी सतीश सर अपनी हर फ़िल्म में गीत-संगीत पर ख़ूब मेहनत करते हैं।
0 बंगाली बाला एल्सा को क्या अब भी छत्तीसगढ़ी बोलने में दिक्कत आती है…
00 मैंने खुद को छत्तीसगढ़ी परिवेश में ढाल लिया है। ‘ले सुरू होगे मया के कहानी’ के बाद ‘छंइहा भुंईया- 2’ में भी मैंने डबिंग खुद की है।
0 ‘छंइहा भुंईया’ नाम से ही लगता है संदेशपरक फ़िल्म होगी, दर्शकों के लिए एल्सा का संदेश क्या होगा…
00 दोनों ‘छंइहा भुंईया’ के बीच 24 साल का अंतर है। आज के परिवेश में ‘छंइहा भुंईया’ जैसा सब्जेक्ट और भी ज़्यादा ज़रूरी है। अभी का दौर ऐसा है कि कितने ही लोग परिवार से बुरी तरह कटते नज़र आ रहे हैं। यह मेरी अपनी राय है कि परिवार के बीच रहने का जो मज़ा है वह कहीं और नहीं। अपनी ज़मीन और अपना परिवार से बढ़कर कुछ नहीं। यही ‘मोर छंइहा भुंईया’ का मूल संदेश है।