‘मार डारे मया म’ मनोरंजन से भरपूर पारिवारिक फ़िल्मः मनीष मानिकपुरी

मिसाल न्यूज़

बॉलीवुड में एडीटर के रूप में ख्याति अर्जित कर चुके मनीष मानिकपुरी की बतौर डायरेक्टर पहली छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘मार डारे मया म’ 8 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के सिनेमाघरों में रिलीज़ होने जा रही है। इस फिल्म का प्रमुख आकर्षण स्टार कलाकार अनुज शर्मा हैं। उनके अपोजिट लिप्सा मिश्रा नज़र आएंगी, जो कि ओड़िशा की जानी-मानी एक्ट्रेस हैं। मनीष बताते हैं- ‘मार डारे मया म’ मनोरंजन से भरपूर पारिवारिक फ़िल्म है। इसके संवाद, गीत व संगीत दर्शकों को लुभाएंगे।

‘मिसाल न्यूज़’ से बातचीत के दौरान मनीष ने बताया कि- “सन् 2005 में बतौर निर्देशक मैंने वीडियो फ़िल्म ‘मन के बात मन में रहिगे’ की थी। यह फ़िल्म सुंदरानी प्रोडक्शन के बैनर तले बनी थी। इसके बाद सुंदरानी प्रोडक्शन के लिए मैंने कई अलबम एवं शार्ट मूवी की। 2007 में मैं मुम्बई मूव कर गया। तब उम्र कम होने के साथ सीखने की काफ़ी ललक थी। मुम्बई रवाना होते वक़्त ही तय कर लिया था कि एडीटिंग व डायरेक्शन की दिशा में आगे बढ़ना है। वहां पहुंचकर मैंने खुद को मांजा। फिर कितने ही रियलिटी शो के लिए एडीटिंग की। ‘इस जंगल से मुझे बचाओ’, ‘स्प्लिट्स विला’, ‘रोडीज़’, ‘पति पत्नी और वो’ कुछ प्रमुख शो थे, जिनकी मैंने एडीटिंग की। आगे चलकर मैं मशहूर डायरेक्टर क़बीर खान के साथ जुड़ गया। उनके साथ मैं यशराज फ़िल्म्स के शो ‘लिफ्ट करा दे’ का हिस्सा रहा। इस शो में मैं सीनियर एडीटर था। अमिताभ बच्चन एवं शाहरुख़ खान जैसी हस्तियां इस शो में आई थीं। डिस्कवरी चैनल के भी कुछ शो से जुड़ा रहा। 2012 में मैंने एक हिन्दी फ़िल्म डायरेक्ट की थी ‘आलाप।‘ इस फ़िल्म में विजय राज, रघुवीर यादव, ओंकारदास मानिकपुरी एवं ऋतुपर्ण सेन गुप्ता जैसे जाने-माने कलाकार थे। बॉलीवुड में रहकर यह फ़िल्म बनाना मेरे लिए बड़ी उपलब्धि थी।“

मुम्बई से फिर छत्तीसगढ़ वापसी कैसे हुई? इस सवाल पर मनीष कहते हैं- “2017 तक मैं मुम्बई में था। स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण वापस अपने शहर भिलाई लौटना पड़ा। लौटने के बाद समझने की कोशिश शुरु की कि छत्तीसगढ़ी सिनेमा का दर्शक आखिर क्या चाहता है। इस बीच सतीश जैन जी की फ़िल्म ‘हॅस झन पगली फॅस जबे’ आई, जो कि ख़ूब चली। धीरे-धीरे समझ में आने लगा कि छत्तीसगढ़ी में विशुद्ध पारिवारिक फ़िल्म चल सकती है। साउथ स्टाइल वाला सिनेमा अभी यहां काम नहीं आएगा। यह भी अच्छा हुआ कि पिछले चार-पांच सालों में छत्तीसगढ़ी सिनेमा तकनीकी रूप से काफ़ी मजबूत हुआ है। इससे पहले बहुत से लोग शादी के कैमरे से फ़िल्म बना रहे थे। अब अच्छा कंटेंट, कैमरा क्वालिटी, बढ़िया एडीटिंग सब कुछ छत्तीसगढ़ी सिनेमा में दिखने लगा है। मुम्बई का मेरा अपना अनुभव यहां काम आया। मुझे ‘महूं कुंवारा तहूं कुंवारी’, ‘हॅस झन पगली फॅस जबे’ एवं ‘भूलन द मेज’ जैसी फ़िल्मों का ट्रेलर काटने का मौका मिला। इस तरह ट्रेलर का पैटर्न बदला। पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह छत्तीसगढ़ी सिनेमा से जुड़े साथियों के बीच रच-बस गया भीतर से आवाज़ आने लगी क्यों न मैं भी छत्तीसगढ़ी फ़िल्म बनाकर देखूं। इस बीच मेरा किडनी ट्रांसप्लांट हुआ। डॉक्टरों ने लंबे समय तक आराम की सलाह दी, लेकिन मन कहां रुकता है। एक दिन मैं और डीओपी सिद्धार्थ सिंह कहीं पर बैठे थे। सिद्धार्थ सिंह ने शार्ट में एक कहानी सुनाई। मुझे लगा कि इस पर एक अच्छी फ़िल्म बन सकती है। फिर हम दोनों इस सब्जेक्ट को लेकर प्रोड्यूसर गजेन्द्र श्रीवास्तव जी से मिले। उन्हें भी यह सब्जेक्ट पसंद आया। गजेन्द्र जी ने तय किया कि अनुज शर्मा को लेकर यह फ़िल्म बनाएंगे। जिस दिन हमारी बात हुई उसी शाम हम अनुज जी से मिले। हमने फ़िल्म की कहानी उनके सामने रखी, जो कि उन्हें पसंद आई। वे इस फ़िल्म को करने सहर्ष तैयार हुए। यहीं से ‘मार डारे मया म’ के निर्माण का बीज पड़ा। पुष्पेंद्र सिंह, पूरन किरी, सुनील तिवारी, अंजलि चौहान एवं क्रांति दीक्षित जैसे दमदार कलाकार इस फ़िल्म से जुड़े। कैमरा तो सिद्धार्थ सिंह को संभालना ही था। गजेन्द्र श्रीवास्तव जी का पूरा सपोर्ट रहने के कारण हम एक अच्छी फ़िल्म बना पाए। बाकी अंतिम फैसला तो दर्शकों को करना है।

‘मार डारे मया म’ के निर्माण से जुड़े कुछ अनुभव बताएं? यह कहने पर मनीष ने बताया- “प्रोड्यूसर, आर्टिस्ट, टेक्नीशियन हर किसी का पूरा सपोर्ट रहा। फ़िल्म शुरु होने से पहले बहुत से लोगों ने कहा था कि अनुज जी के साथ काम करना कठिन है। वे भारी एटीट्यूट वाले हैं। पूरी फ़िल्म बनने के दौरान कभी ऐसा नहीं लगा। वे वक़्त के काफ़ी पाबंद हैं। उन्होंने सेट पर कभी हमें इंतज़ार नहीं करवाया। गिरवरदास मानिकपुरी जी ने इस फ़िल्म के संवाद लिखे हैं। उन्होंने संवादों में सुंदर छत्तीसगढ़ी शब्दों का इस्तेमाल किया है कि जिससे दर्शक आनंदित होंगे।“

आपने हीरोइन की भूमिका के लिए ओड़िशा की लिप्सा मिश्रा को चुना इसके पीछे क्या वजह रही? इस सवाल पर मनीष बताते हैं- “अनुज जी ने हमसे कहा कि लिप्सा ओड़िशा की जानी-मानी सिनेमा आर्टिस्ट हैं। लगे तो इनसे एक बार बात करके देख लो। दूसरे दिन मैंने फोन लगाकर उनसे बात की। उनकी बातों में काफ़ी आत्मविश्वास झलका। मुझे महसूस हुआ कि ‘मार डारे मया म’ हीरोइन का जो करैक्टर है वह काफ़ी एटीट्यूड वाला है। लिप्सा इस रोल में फिट बैठेंगी। फोन पर हुई बातचीत में ही हमने उनको फाइनल कर लिया। ‘मार डारे मया’ का धमतरी में शूट शुरु हुआ। शूट के ठीक दूसरे दिन वे रायपुर होते हुए धमतरी पहुंचीं। दृश्य उन्हीं पर फिल्माए जाने थे। पूरी टीम तैयार बैठी थी। सेट पर आते ही लिप्सा ने बिना देर किए ड्रेस चेंज कर मेकअप लिया। एक इमोशन सीन उन पर फ़िल्माया गया। दो मिनट का वह शॉट ऐसा निकला कि पता ही नहीं चला। लिप्सा वह सीन काफी आसानी से कर गईं। उनके इस परफार्मेंस को देख पूरी यूनिट की खुशी का ठिकाना नहीं था।“

आगे की योजना के बारे में पूछने पर मनीष बताते हैं- “भविष्य में एक और छत्तीसगढ़ी फ़िल्म करने जा रहा हूं ‘प्रेम के प्रेमिका के प्रेम कहानी।‘ इस पर गिरवरदास मानिकपुरी जी राइटिंग वर्क कर रहे हैं। सिद्धेश्वरम मूवीज़ रायगढ़ के बैनर तले यह फ़िल्म बनेगी। इसकी निर्मात्री श्रीमती चंद्रकला पटेल हैं। इसके अलावा राजधानी रायपुर की श्याम टॉकीज़ के संचालक एवं फ़िल्म वितरक लाभांश तिवारी के साथ भी एक फ़िल्म की प्लानिंग चल रही है।“

 

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