■ अनिरुद्ध दुबे
लोकसभा चुनाव के नतीजों पर विचार मंथन करने कांग्रेस के फैक्ट एंड फाइंडिंग कमेटी के अध्यक्ष बीरप्पा मोइली रायपुर आए हुए थे। राजीव भवन में मोइली एवं प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सचिन पायलट ने अलग-अलग चरणों में नेताओं के साथ मंत्रणा की। बताते हैं घंटों चली चर्चा का सार यही निकला कि कुछ मंत्री स्तर के बड़े नेता एवं कुछ निगम-मंडल में बैठे लोग भारी अहंकार में जी रहे थे। कार्यकर्ताओं को चना-मुर्रा समझ लिया गया था। यही कारण है कि अधिकांश कार्यकर्ताओं ने न तो विधानसभा चुनाव में साथ दिया और न ही लोकसभा चुनाव में। इसके अलावा किसी एक क्षेत्र विशेष के नेता को दूसरे लोकसभा क्षेत्र में जाकर चुनाव लड़ाने की स्ट्रेटजी भी काम नहीं आई। पूर्व मंत्री भूपेश बघेल समेत ताम्रध्वज साहू, डॉ. शिव कुमार डहरिया एवं देवेन्द्र यादव वो बड़े चेहरे थे जो अपना क्षेत्र छोड़कर अलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों में जाकर चुनाव लड़े और हारे। बस्तर से लोकसभा चुनाव हारे कवासी लखमा ने तो समीक्षा कर रहे नेताओं के सामने खुलकर कहा कि “मुझे अपनों ने ही निपटा दिया। वरना मेरी जीत पक्की थी।“ इसके अलावा राजनांदगांव में खुले मंच से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ़ बोलने वाले सुरेंद्र दाऊ की अलग से प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट के साथ हुई मुलाक़ात भी कम चर्चा में नहीं। दिन रात गुणा भाग में लगे रहने वाले कांग्रेसियों के मन में यही जिज्ञासा है कि पार्टी के भीतर ऐसी कौन सी ताकत है जिसने सुरेन्द्र दाऊ को पायलट से मिलने के लिए प्रेरित किया!
बृजमोहन- कोतवाली
चौक से लोकसभा तक
1975 में जून महीने की 27 तारीख़ को लगाई गई इमरजेन्सी को इतिहास का काला पन्ना ठहराते हुए लोकसभा के बाहर पिछले दिनों जो प्रदर्शन हुआ उसमें रायपुर के नव निर्वाचित सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने भी अग्रणी भूमिका निभाई। लोकसभा के बाहर नारेबाजी करने में बृजमोहन अव्वल रहे। बृजमोहन के क़रीबी प्रदर्शन वाले उस वीडियो को लेकर यही कहते नज़र आ रहे हैं कि “कहीं से ऐसा लग नहीं रहा है कि मोहन भैया का लोकसभा से पहली बार रिश्ता बना है। बॉडी लैंग्वेज से वह पुराने अनुभवी सांसद नज़र आ रहे हैं।“ वैसे इतिहास उठाकर देखें बृजमोहन अग्रवाल की प्रकृति तत्क्षण निर्णय लेने वाली रही है। 1980 में जब भारतीय जनता पार्टी अस्तित्व में आई थी तो उससे जुड़ने वाले युवा योद्धाओं में बृजमोहन अग्रवाल शामिल थे। तब रायपुर शहर कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। भाजपा का कोई भी ऱाष्ट्रीय नेता आमसभा लेने रायपुर आए उसके मंच पर पहुंचने से पहले भीड़ को बांधे रखने का काम बृजमोहन अग्रवाल एवं ओमप्रकाश तिवारी जैसे नेता अपने आक्रामक भाषण से किया करते थे। राजनैतिक दृष्टि से अस्सी के दशक में वह दिन ऐतिहासिक हो गया जब अविभाजित मध्यप्रदेश के समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह रायपुर प्रवास पर थे। भाजपा की तरफ से पहले ही ऐलान हो चुका था कि अर्जुन सिंह को काले झंडे दिखाए जाएंगे। पुलिस प्रशासन पूरी ताकत के साथ जुटा था कि भाजपाई अर्जुन सिंह के आसपास भी फटकने न पाएं। अर्जुन सिंह का काफ़िला कोतवाली चौक के पास से गुज़रना तय था। बृजमोहन चौक के एक कोने में जाकर छिपकर खड़े हो गए। जैसे ही अर्जुन सिंह की खुली जीप कोतवाली चौक पहुंची बृजमोहन ने विरोध जताते हुए काला कपड़ा उछाल दिया। काला कपड़ा सीधे अर्जुन सिंह पर जाकर गिरा। कोतवाली चौक में हड़कम्प मच गया और बृजमोहन अग्रवाल को पुलिस वालों एवं कांग्रेसियों ने पकड़ लिया। उनकी बेदम पिटाई हुई। गिरफ़्तारी भी। दूसरे दिन न सिर्फ़ रायपुर बल्कि देश भर के अख़बारों में ख़बर छपी थी- अर्जुन सिंह पर काला कपड़ा फेंका…! राजनीति के जानकार बताते हैं कि वही एक घटना थी जिसने बृजमोहन के राजनीतिक क़द को कहीं से कहीं पर पहुंचा दिया था।
महापौर चुनाव क्या प्रत्यक्ष
होगा… फैसला जुलाई में…
राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से नगरीय निकाय एवं त्रि स्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियां प्रारंभ हो गई हैं। कितने ही लोगों के मन में यह सवाल कौंध रहा है कि महापौर चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होगा या अप्रत्यक्ष प्रणाली से। प्रत्यक्ष यानी जनता के बीच से गुप्त मतदान एवं अप्रत्यक्ष यानी पार्षदों के बीच से चुना जाना। 2004, 2009 एवं 2014 में तो महापौर चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से ही हुआ था। पिछले कई हफ़्तों से कयास यही लगाए जा रहे हैं कि महापौर चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होगा! यदि ऐसा कुछ होगा तो पहले छत्तीसगढ़ सरकार को प्रस्ताव लाना होगा। कोई कह रहा है कि प्रस्ताव कैबिनेट की बैठक में आएगा तो कोई कह रहा है कि जुलाई में होने जा रहे विधानसभा के मानसून सत्र में रखा जाएगा। जो हो, राजनीतिक एवं प्रशासनिक क्षेत्र से जुड़े अधिकांश लोगों की यही राय सामने आ रही है कि यदि प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव होना होगा तो इस पर निर्णय जुलाई महीने में ही हो जाएगा।
प्रत्यक्ष हुआ तो कुलदीप
जुनेजा महापौर
के लिए ठोकेंगे दावा
दो बार रायपुर उत्तर से कांग्रेस विधायक रहे कुलदीप जुनेजा ने अपने कुछ क़रीबी लोगों के बीच नया धमाका कर दिया है। जुनेजा ने क़रीबी लोगों से कहा है कि “यदि रायपुर महापौर चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होता है और सीट सामान्य रहती है तो टिकट को लेकर मेरा भी दावा रहेगा।“ जुनेजा के इर्द-गिर्द रहने वाले कुछ लोग कुछ दूसरी तरह की भी चर्चा करते हैं। उनकी तरफ से यही बात सुनने में आती रही है कि कुलदीप जुनेजा अपने दो बेटे में से एक को पार्षद चुनाव लड़वाने की तैयारी कर रहे हैं। पिता महापौर चुनाव लड़ेगा या बेटा पार्षद चुनाव यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा।
‘हंडा’ के लालच में किसी
ने खुदाई की तो
किसी ने फ़िल्म बनाई
एक विचित्र किस्सा सामने आया है। सिरपुर पुरातत्व विभाग की आरक्षित जगह है। बरसों से वहां खुदाई होती रही है और खुदाई में पूरी एक सभ्यता सामने आ चुकी है। नदी किनारे बसे सिरपुर के पुरातात्विक महत्व की कीर्ति प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश भर में है। कुछ अज्ञात लोगों ने गड़े धन के लालच में सिरपुर क्षेत्र में चार स्थानों पर खुदाई करवा दी। खुदाई में धन से भरा हुआ कोई हंडा तो नहीं मिला, गणेश जी की एक प्राचीन प्रतिमा ज़रूर बाहर निकल आई। खुदाई चल ही रही थी कि जेसीबी मशीन ख़राब हो गई और खुदाई करवा रहे अज्ञात लोग वहां से भाग निकले। अवैध खुदाई की ख़बर लगते ही वन विभाग का अमला स्थल पर पहुंचा और जेसीबी जप्त कर प्राचीन गणेश प्रतिमा को पुरातत्व विभाग के हवाले किया। इसे दिलचस्प संयोग कहें कि हंडा के लालच में अज्ञात लोग खुदाई करवाने में लगे हुए थे और इसी विषय पर बनी छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘हंडा’ 5 जुलाई को पूरे छत्तीसगढ़ में रिलीज़ होने जा रही है। ऐसे अनोखे सब्जेक्ट पर फ़िल्म बनाने का काम प्रोड्यूसर मोहित साहू ने किया है और यू ट्यूब पर ‘भैरा कका’ के नाम से मशहूर स्टार कलाकार अमलेश नागेश का ‘हंडा’ में लीड रोल है।