■ अनिरुद्ध दुबे
विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार 22 जुलाई से शुरु होने जा रहा है। स्वाभाविक है बलौदाबाज़ार की आगज़नी की घटना को लेकर विपक्षी कांग्रेस विधायक दल सदन के भीतर अपना उग्र तेवर दिखाएगा। इसके अलावा प्रदेश की बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था को लेकर कांग्रेस ने 24 जुलाई को विधानसभा घेराव का अलग ऐलान कर दिया है। गौर करने लायक बात यह है कि पिछली बार जब भाजपा विपक्ष में थी, उसने प्रधानमंत्री आवास निर्माण के लक्ष्य में सरकार के काफ़ी पीछे रहने व बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था को लेकर विधानसभा घेराव आंदोलन किया था। वह विधानसभा घेराव आंदोलन ही था जिसके कारण लंबे समय तक कोमा में रही भाजपा को ऑक्सीजन मिली थी। अब कांग्रेस का विधानसभा घेराव आंदोलन क्या रंग लाता है यह देखने वाली बात रहेगी।
डॉयल 1933
अब ड्रग्स के क़ारोबार के खिलाफ़ कोई भी सूचना टोल फ्री नंबर 1933 पर दी जा सकती है। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में राष्ट्रीय नारकोटिक्स हेल्प लाइन ‘मानस’ की शुरुआत की। ‘मानस’ का अर्थ है ‘मादक पदार्थ निषेध सूचना केन्द्र’ या ‘मादक पदार्थ निषेध खुफ़िया केन्द्र।‘ हर तरह की ख़बर पर पैनी नज़र रखने वाले पढ़ाकू किस्म के लोगों का कहना है कि इस टोल फ्री नंबर की सबसे ज़्यादा ज़रूरत तो छत्तीसगढ़ को पड़ेगी। गोवा, मुम्बई, ओड़िशा एवं राजस्थान से यहां ड्रग्स सप्लाई के किस्से सुनने में आते रहे हैं। अच्छा हो कि छत्तीसगढ़ में ड्रग्स सप्लाई करने वाले दो-चार बड़े माफ़ियाओं पर ‘मानस’ की गाज गिरे। वैसे भी छत्तीसगढ़ शराबखोरी से लेकर गांजा फूंकने के मामले में तो बदनाम है ही इसके अलावा अन्य नशीले पदार्थ यहां समय-समय पर जब्त किए जाते रहे हैं।
हिंसक कुत्ते और पिछले
जन्म के संस्कार
बात 1989 की है। देश के जाने-माने व्यंग्यकार विनोदशंकर शुक्ला जो छत्तीसगढ़ कॉलेज़ रायपुर में पत्रकारिता संकाय (बी.जे.) के प्रोफसर भी थे, क्लास ले रहे थे। चलती क्लास के बीच बाहर से किसी शरारती छात्र की कुत्ते की तरह भौंकने की आवाज़ आई। शुक्ला जी ने चलती क्लॉस में हास्य बोध पैदा करते हुए कहा कि “कुछ लोग अपने पिछले जन्म के संस्कारों को नहीं छोड़ पाते।“ शुक्ला जी ने भले ही यह बात हल्के-फुल्के अंदाज़ में कही थी लेकिन उसका मतलब तो गहरा था। राजधानी रायपुर में कुछ ऐसे लोग हैं जिन्होंने हिंसक कुत्ते पाल रखे हैं। हिंसक कुत्तों से प्रेम रखने वाले ऐसे लोगों को लेकर मन में यही ख़्याल उठता है कि ये लोग पिछले जन्म में क्या रहे होंगे! रायपुर के एक पॉश इलाके में पिछले दिनों जो घटना घटी वह झकझोर कर रख देती है। बेमतलब के तामझाम दिखाकर वाहवाही लूटने वाले एक परिवार ने अपने बंगले में ऐसी नस्ल के दो कुत्ते पाल रखे हैं जिन्हें कि भारत देश में पालना प्रतिबंधित है। खुद को हाई सोसायटी का मानकर चलने वाले इस परिवार ने हिंसक कुत्ते पाले जो पाले लेकिन हद तो यह कि इन्हें खुला छोड़कर बंगले का दरवाज़ा भी खुला रख छोड़ते थे। उस बंगले में सामान छोड़ने के लिए पहुंचा एक डिलवरी ब्वाय दरवाज़ा खुला देख बंगले के भीतर घुस गया। उसके बाद दोनों हिंसक कुत्तों ने उसे ऐसा काटना शुरु किया कि जान के लाले पड़ गए। उसने किसी तरह भागकर बंगले के पास खड़ी एक कार के बोनट पर चढ़कर अपनी जान बचाई। बंगले के बाहर गेट पर ‘बुरे कुत्तों से बचें’ लिखा हुआ एक छोटा सा बोर्ड लगा था। मीडिया के माध्यम से जन-जन तक यह घटना पहुंची। हिंसक कुत्तों के मालिक किस श्रेणी के होंगे, आम जनता अपने-अपने ढंग से उनका आकलन कर रही है।
आवारा कुत्ते भी तो
कम खतरनाक नहीं
मकानों के भीतर से बेवज़ह आने वाली ‘भौं भौं’ की आवाज़ इरिटेट तो करती ही है लेकिन रायपुर शहर की सड़कों पर बहुतायत में विचरण करते रहने वाले आवारा कुत्ते क्या कम खतरनाक हैं! आवारा कुत्तों के काटने के शिकार हुए कितने ही मरीज़ आए दिन सरकारी या निजी अस्पतालों में पहुंचते रहते हैं। इस बरसात के मौसम में ये आवारा कुत्ते और भी हिंसक हो जाते हैं। आवारा गाय, भैंस या सांड़ ही नहीं आवारा कुत्तों पर भी लगाम कसने की ज़िम्मेदारी नगर निगम की होती है। जब तरुण चटर्जी रायपुर महापौर होते थे पहली बार नगर निगम की मेयर इन कौंसिल की बैठक में आवारा कुत्तों की नसबंदी का प्रस्ताव पारित हुआ था। देखते-देखते 24 साल निकल गए, रायपुर शहर में आवारा कुत्तों का जमघट कम होते नहीं दिखा। कुछेक बार ऐसा हुआ कि रायपुर नगर निगम ने आवारा कुत्तों की नसबंदी कराई और कभी ऐसा भी समय आया कि इन्हें पकड़कर शहर से बाहर छुड़वाया गया, लेकिन समस्या जस की तस रही। एक बार विधानसभा में एक रोचक क्षण उस समय सामने आया जब महासमुन्द के तत्कालीन निर्दलीय विधायक डॉ. विमल चोपड़ा ने सदन में अपनी बात रखते हुए कहा था कि “नगर निगम वाले रायपुर के कुत्तों को मेरे महासमुन्द क्षेत्र में ला छोड़ दे रहे हैं। यह बर्दाश्त के बाहर है।“
राजस्थान के गिरोह
ने फांसा युवती को
फेस बुक एवं सोशल मीडिया के अन्य माध्यमों से ठगने एवं सैक्स स्कैंडल में फंसाने का काम सबसे ज़्यादा राजस्थान की तरफ सक्रिय रहने वाले गिरोह कर रहे हैं। कांकेर जिले के चारामा के आसपास रहने वाली एक लड़की राजस्थान के एक ऐसे ही गिरोह के चंगुल में फंस गई। सोशल मीडिया के माध्यम से लड़की की एक लड़के से दोस्ती हुई। नौकरी दिलाने के नाम पर युवक ने उसे सीधे राजस्थान बुला लिया। नासमझ लड़की उसके बहकावे में चली भी गई। वहां युवक और उसके भाई ने लड़की को एक मकान में कैद करके रखा, जहां उसके साथ दुष्कर्म भी हुआ। लड़की किसी तरह भागकर चारामा थाने पहुंची। उसकी आप बीती सुनने के बाद पुलिस दोनों भाइयों को राजस्थान से गिरफ्तार कर चारामा लाने में क़ामयाब रही। अब तक बस्तर की बालिकाओं को प्रलोभन देकर तेलंगाना, आंध्रप्रदेश एवं ओड़िशा जैसे राज्यों में पहुंचाने के मामले सामने आते रहे थे, अब राजस्थान का नाम भी जुड़ गया।
नगर निगमों की आड़
में अवैध वसूली कांड
बिलासपुर एवं दुर्ग नगर निगम इन दिनों अवैध वसूली कांड के कारण सुर्खियों में हैं। दोनों निगमों में हुए कांड पर इस कदर रंग चढ़ा कि जांच कमेटी तक बनानी पड़ गई। बिलासपुर नगर निगम व्दारा बैरिस्टर छेदीलाल नगर के क़रीब बहतराई रोड पर मुख्यमंत्री स्वावलंबन रोजगार योजना के तहत दुकानें बनाई गई हैं। एक पार्षद फर्जी रसीद छपवाकर इन छोटी दुकानों का किराया वसूल रहा था। इस बात की शिकायत मिलने पर निगम कमिश्नर अमित कुमार ने जांच कमेटी बनाई। जांच कमेटी ने उस पार्षद को अवैध वसूली में लिप्त पाया और रिपोर्ट तैयार कर निगम कमिश्नर को सौंप दी। अब निगम कमिश्नर ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने एस.पी. को पत्र लिखा है। वहीं दुर्ग नगर निगम ने सड़क के किनारे ठेला-गुमटी लगाकर जीविका चला रहे दुकानदारों का शहरी आजीविका मिशन के तहत निश्चित ठिकाने पर गुमटी बनाकर वहां उनका व्यवस्थापन किया था। बवाल उस समय मचा जब एक एक-एक गुमटी के पीछे डेढ़ से दो लाख तक वसूले जाने का मामला सामने आया। दुर्ग महापौर धीरज बाकलीवाल को इस फर्जीवाड़े की जांच के लिए कमेटी बनानी पड़ी। हालांकि दुर्ग वाला मामला कुछ महीनों पूराना है लेकिन चर्चाओं का दौर अब तक थमा नहीं है।